मध्य प्रदेश में बिजली दरों में बदलाव की सिफारिश से मध्यम वर्ग के बिजली उपभोक्ताओं पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। वर्तमान में 151 से 300 यूनिट की खपत वाले स्लैब को खत्म करने की योजना है। यदि यह सिफारिश लागू होती है, तो 151 यूनिट से अधिक बिजली खपत करने वालों को प्रति यूनिट 7.11 रुपये तक का भुगतान करना होगा। इस बदलाव का प्रभाव विशेष रूप से उन उपभोक्ताओं पर पड़ेगा जो अपनी मासिक बिजली खपत को इस स्लैब के तहत रखते हैं। इससे लगभग 25 लाख बिजली उपभोक्ताओं पर वित्तीय दबाव बढ़ सकता है। मध्यम वर्ग के लिए यह बदलाव महंगाई का बोझ और बढ़ा सकता है, खासकर उन परिवारों के लिए जो इस खपत सीमा में आते हैं।
जानकारी के अनुसार, बिजली कंपनियां न केवल 151 से 300 यूनिट के स्लैब को समाप्त करने की योजना बना रही हैं, बल्कि “टाइम ऑफ डे” (टीओडी) टैरिफ लागू करने की भी सिफारिश कर रही हैं। इस प्रणाली के तहत, बिजली की खपत का शुल्क दिन और समय के अनुसार अलग-अलग हो सकता है। दिन के समय बिजली की खपत पर छूट दी जा सकती है, जिससे उपभोक्ता को कुछ राहत मिलेगी। वहीं, पीक आवर्स, जैसे सुबह और शाम के समय, बिजली की दरें बढ़ाई जा सकती हैं। इस बदलाव का उद्देश्य बिजली खपत को संतुलित करना और पावर ग्रिड पर दबाव को कम करना है, लेकिन इससे उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ने की संभावना भी बढ़ सकती है।
यदि टाइम ऑफ डे (टीओडी) टैरिफ लागू किया जाता है, तो 10 किलोवॉट से अधिक बिजली खपत करने वाले 11 लाख उपभोक्ताओं को पीक आवर्स में बिजली दरों में 20% वृद्धि का सामना करना पड़ेगा। इससे बिजली खर्च में काफी बढ़ोतरी हो सकती है। यह बदलाव विशेष रूप से छोटे और मध्यम वर्ग के उपभोक्ताओं के लिए चिंता का विषय बन सकता है, क्योंकि बिजली की बढ़ती दरें उनकी दैनिक जरूरतों और बजट पर सीधा प्रभाव डाल सकती हैं। इस वृद्धि से न केवल घरेलू उपभोक्ताओं पर आर्थिक दबाव बढ़ेगा, बल्कि व्यवसायिक और औद्योगिक उपभोक्ताओं की लागत भी प्रभावित हो सकती है, जिससे राज्य के आर्थिक परिदृश्य पर नकारात्मक असर पड़ने की संभावना है।
यह बदलाव बिजली आपूर्ति और खपत के बीच संतुलन बनाए रखने के उद्देश्य से किया जा सकता है। मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने इस प्रस्ताव पर चर्चा के लिए 24 जनवरी तक आपत्तियां मांगी हैं। जानकारी के अनुसार, 11 से 14 फरवरी के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इस प्रस्ताव पर विस्तृत चर्चा की जाएगी। यदि इसे मंजूरी मिलती है, तो राज्य के लाखों बिजली उपभोक्ताओं पर इसका प्रभाव पड़ेगा। उपभोक्ताओं के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे नियामक आयोग के पास अपनी आपत्तियां और सुझाव दर्ज कराएं, ताकि संभावित परेशानियों पर विचार किया जा सके और बिजली दरों में अनावश्यक बढ़ोतरी को रोका जा सके। इस प्रक्रिया से यह सुनिश्चित करने का प्रयास होगा कि उपभोक्ताओं की चिंताओं को ध्यान में रखा जाए और संतुलित समाधान निकाला जाए।