Contract Employees: मध्यप्रदेश विधानसभा के बजट सत्र का आज आठवां दिन है और सदन का माहौल लगातार गरमाता जा रहा है। विपक्ष विभिन्न मुद्दों को लेकर सरकार को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश कर रहा है। जैसे ही विधानसभा की कार्यवाही शुरू हुई, कांग्रेस ने संविदा कर्मचारियों का मुद्दा जोरशोर से उठाया। कांग्रेस विधायक नितेंद्र सिंह ने प्रश्नकाल के दौरान यह सवाल किया कि संविदा कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद सामाजिक सुरक्षा देने के लिए सरकार की क्या योजना है और स्थायी कर्मचारियों तथा संविदा कर्मियों को मिलने वाली सुविधाओं में क्या अंतर है? इसके जवाब में मंत्री कृष्णा गौर ने कहा कि संविदा कर्मचारियों को भी राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) का लाभ देने का प्रावधान है। इस जवाब से विपक्ष संतुष्ट नहीं हुआ और सदन में इस मुद्दे को लेकर बहस और गर्मा-गर्मी का माहौल बना रहा।
सदन में आज आउटसोर्स कर्मियों का मुद्दा भी प्रमुखता से उठा। पूर्व मंत्री और बीजेपी विधायक जयंत मलैया ने शासकीय विभागों में कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारियों की स्थिति को लेकर सरकार से सवाल किए। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में हजारों शासकीय कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं, जिनकी जगह अब आउटसोर्स के माध्यम से कर्मचारियों की भर्ती की जा रही है। ऐसे में सरकार कब तक इन कर्मचारियों के लिए कोई स्थायी और स्पष्ट नीति बनाएगी? मलैया ने यह भी पूछा कि इन कर्मचारियों को आयुष्मान योजना जैसे सामाजिक सुरक्षा लाभ कब तक उपलब्ध कराए जाएंगे। उनके इस सवाल ने सदन में आउटसोर्स कर्मियों की दशा और सुरक्षा को लेकर गंभीर चर्चा को जन्म दिया।
आउटसोर्स कर्मियों के मुद्दे पर मंत्री उदयप्रताप सिंह ने जवाब देते हुए स्पष्ट किया कि आउटसोर्स कर्मचारियों की सेवा शर्तें स्थायी कर्मचारियों जैसी नहीं होतीं। उन्होंने कहा कि ऐसे कर्मचारी विभागीय आवश्यकता के अनुसार अस्थायी तौर पर कार्य में लिए जाते हैं। मंत्री ने यह भी बताया कि आउटसोर्स कर्मियों को श्रम विभाग द्वारा निर्धारित नियमों और प्रावधानों के तहत वेतन और अन्य सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी संकेत दिया कि फिलहाल उनके लिए स्थायी नीति बनाने पर कोई विचार नहीं किया गया है, जिससे विपक्ष की नाराजगी बढ़ गई।
सदन में रो पड़े राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल
विधानसभा सत्र के दौरान उस वक्त भावुक क्षण देखने को मिला, जब कांग्रेस विधायक अभय मिश्रा के सवाल का जवाब देते हुए राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल की आंखें भर आईं। मंत्री पटेल ने सदन में खड़े होकर कहा कि एक सम्मानित जनप्रतिनिधि और उसके बच्चों के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज होना बेहद पीड़ादायक है। उन्होंने यह भी बताया कि अभय मिश्रा और उनके बेटे के खिलाफ दर्ज किया गया मामला बाद में समाप्त कर दिया गया, लेकिन इस प्रक्रिया ने उन्हें गहरी चोट पहुंचाई है।
मंत्री पटेल ने आश्वासन दिया कि इस पूरे मामले की राज्य स्तरीय जांच करवाई जाएगी और एक विशेष जांच टीम भोपाल से भेजी जाएगी। इस दौरान वे अपने जज्बातों पर काबू नहीं रख सके और भावुक हो गए। वहीं, विधायक अभय मिश्रा ने भी इस मुद्दे को पूरे प्रदेश की चिंता बताते हुए कहा कि अगर एक जनप्रतिनिधि के साथ ऐसा हो सकता है, तो आम जनता की स्थिति क्या होगी। उन्होंने कहा कि “जब हमारे खिलाफ ही मामला दर्ज हो जाएगा, तो हम दूसरों को न्याय कैसे दिला पाएंगे?” बता दें कि मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल के बेटे के खिलाफ भी भोपाल के शाहपुरा थाने में एक आपराधिक मामला दर्ज हो चुका है, जिससे मामला और संवेदनशील हो गया है।