Contract Employees Regularization News: सरकार के सामने रखी मांग, कर्मचारियों को कब मिलेगा नियमितीकरण का तोहफा? यहां जानें पूरी डिटेल

Contract Employees Regularization News: प्रदेशभर के आउटसोर्स और अस्थायी कर्मचारियों का आंदोलन लगातार दूसरे दिन भी जारी है। अपनी विभिन्न मांगों को लेकर ये कर्मचारी आज विकास भवन का घेराव करेंगे और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करेंगे। प्रदर्शन में ग्राम पंचायत चौकीदार, पंप ऑपरेटर, प्यून और सफाईकर्मी जैसे कर्मचारी भी शामिल होंगे। इन कर्मचारियों ने सरकार के समक्ष कई प्रमुख मांगें रखी हैं, जिनमें न्यूनतम वेतन लागू करना, चतुर्थ श्रेणी के पदों पर स्थायी नियुक्ति करना, आउटसोर्सिंग प्रथा को समाप्त कर कर्मचारियों को नियमित करना और कार्यस्थलों पर सुरक्षा व आवश्यक सुविधाएं सुनिश्चित करना शामिल है। कर्मचारियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, तब तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा।

प्रदेशभर के आउटसोर्स और अस्थायी कर्मचारियों का आंदोलन लगातार तेज़ होता जा रहा है। अपनी विभिन्न मांगों को लेकर ये कर्मचारी आज विकास भवन का घेराव कर रहे हैं और सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं। इस प्रदर्शन में ग्राम पंचायत चौकीदार, पंप ऑपरेटर, प्यून और सफाईकर्मी सहित हजारों कर्मचारी राज्य के विभिन्न जिलों से शामिल हुए हैं। प्रदर्शनकारियों ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए स्पष्ट किया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, उनका संघर्ष जारी रहेगा। उनकी प्रमुख मांगों में न्यूनतम वेतन लागू करना, चतुर्थ श्रेणी के पदों पर स्थायी नियुक्ति, आउटसोर्सिंग प्रथा को समाप्त कर नियमितीकरण और कार्यस्थलों पर सुरक्षा व सुविधाएं उपलब्ध कराना शामिल है। हालांकि सरकार ने चर्चा के संकेत तो दिए हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। उधर, कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन ने भारी पुलिस बल तैनात किया है और प्रदर्शनकारियों से शांति बनाए रखने की अपील की है।

आउटसोर्स कर्मचारियों की हड़ताल को लेकर प्रदेश अध्यक्ष ने सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार आउटसोर्स कर्मचारियों के साथ अन्याय कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि विधानसभा में पहले भी इस मुद्दे को उठाया गया था, लेकिन सरकार ने इसे लगातार नजरअंदाज किया। प्रदेश अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि इस बार वे अपनी मांगों को फिर से विधानसभा तक पहुंचाएंगे। महिला दिवस के अवसर पर जब चतुर्थ श्रेणी की महिलाओं ने महापौर से न्यूनतम वेतन की मांग की, तो उन्हें भी अनसुना कर दिया गया। उन्होंने कहा कि सरकार हर घर जल पहुंचाने की बात करती है, लेकिन जल घर-घर तक पहुंचाने वाले हम कर्मचारी हैं और फिर भी हमारे साथ ही अन्याय हो रहा है। अन्य प्रदेशों में आउटसोर्स कर्मचारियों के साथ न्याय किया जा रहा है, लेकिन मध्य प्रदेश सरकार ने इस मुद्दे पर आंखें मूंद रखी हैं।

आउटसोर्स कर्मचारियों की आवाज को बुलंद करते हुए प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि राज्य के शासकीय विभागों में लाखों की संख्या में आउटसोर्स और अस्थायी कर्मचारी कार्यरत हैं। स्वास्थ्य, बिजली, शिक्षा, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, नगरीय निकाय और सहकारिता विभागों सहित लगभग सभी विभागों में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों पर यह कर्मचारी सेवाएं दे रहे हैं। ये कर्मचारी समाज के गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों से आते हैं, लेकिन आउटसोर्स प्रथा के चलते इनके साथ हर स्तर पर अन्याय हो रहा है। उन्होंने कहा कि इन कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए आवश्यक है कि एक लघु कैडर बनाकर इनका विभागीय संविलियन किया जाए, ताकि उनके परिवारों को भी आर्थिक स्थिरता और खुशहाली मिल सके। प्रदेश अध्यक्ष ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार पहले ही इस दिशा में कदम उठा चुकी है, जहां आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन बढ़ाकर 18,000 रुपये तक किया जा चुका है। ऐसे में मध्यप्रदेश में भी इस मॉडल को अपनाया जाना चाहिए।