महाकाल मंदिर में आए दिन विवाद, मंदिर समिति पर उठे सवाल, साधु पर बनाया परंपरा का दबाव

विश्व प्रसिद्ध महाकाल के दरबार मे आए दिन विवाद हो रहे है। जहां उज्जैन में महाकाल बाबा के गर्भगृह में प्रवेश करना आम जनता के लिए असंभव हो गया है। यहीं इसे मंदिर समिति ने जहां एक ओर वीआईपी लोगों के गढ़ बनाने के साथ ही मंदिर को पुजारियों का अखाड़ा बना दिया है जहां पुजारी आस्था से ज्यादा अपना वर्चस्व दिखाने पर अड़े रहते है। यदि इसी तरह माहौल बना रहा तो वह दिन दूर नहीं जब महाकाल का प्रकोप उज्जैनवासियों को झेलना पड़ेगा।

किसने बनाई पगड़ी ना पहनने की परंपरा
महाकाल मंदिर में पगड़ी पहनने को लेकर साधु और पुजारी के बीच विवाद हो गया। इस दौरान साधु ने पुजारी को अपशब्द भी कह दिए और हाथापाई होने लगी। पुजारी ने साधु से मंदिर की धर्म परंपरा का पालन करते हुए पगड़ी नहीं पहनकर आने को कहा। यदि साधु इसे इस परंपरा को जानते हुए भी पगड़ी पहन कर आए है तो इसका कारण जानने का प्रयास यहां के पुजारी ने नहीं किया इसके विपरित साधु से भिड़ गए।

साधु को कैसे प्रवेश करना है यह पुजारी बता रहे
ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में परंपरा के पालन के नाम पर पुजारी व साधु के बीच विवाद हो गया। गर्भगृह में शुरू हुआ विवाद मंदिर के बाहर तक पहुंच गया। साधु को किस तरह से महाकाल बाबा की शरण में जाना है यह क्या साधु नहीं जानते है। यहां एक बड़ा प्रश्न यह उठता है कि बाबा महाकाल की शरण में जाने वाले साधु महाकाल के नियमों के ज्यादा अच्छे से जानते है। लेकिन पुजारी अपने अहम और नित्य सेवा करने के घमंड में शायद स्वयं को श्रेष्ठ बताने में लगे है।

महाकुंभ का होने वाला है आगमन
उज्जैन में आगामी वर्षो में सिंहस्थ का आगमन होने वाला है चारों तरफ साधु-संतों का प्रवेश होने व उनकी व्यवस्थाओं के चलते साधु-संतो का आगमन होता रहता है।ऐसे में मंदिर के पुजारी का साधु से विवाद करना कई प्रश्नों को जन्म दे रहा है। यदि धार्मिक मान्यतो से देखा जाए तो महाकाल के मंदिर में साधु पहले है। साधु से ही महाकाल है। क्योकि महाकाल स्वयं साधु है ऐसे में मंदिर में पुजा पाठ का आडम्बर करने वाले पुजारी की महत्ता कम ही होती है तो फिर पुजारी साधु पर अपने नियम क्यों थोप रहे है।

ऐसा है घटनाक्रम
घटना बुधवार सुबह की है। बताया जाता है कि उस समय महाकाल मंदिर के पं. महेश पुजारी गर्भगृह में मौजूद थे। इस दौरान महावीरनाथ पुरोहित नीरज शर्मा के साथ गर्भगृह में जल चढ़ाने आए। पुजारी ने साधु से मंदिर की धर्म परंपरा का पालन करते हुए पगड़ी नहीं पहनकर आने का आग्रह किया। इसी बात को लेकर दोनों के बीच विवाद हुआ। मामले में महंत योगी महावीर नाथ ने मंदिर समिति के आला अधिकारियों को पुजारी के खिलाफ आवेदन दिया है। पुजारियों ने भी मंदिर की धर्म परंपरा का पालन कराने के लिए प्रशासक को आवेदन दिया। पुजारियों ने कहा कि मंदिर के नियमों तथा गर्भगृह की मर्यादा का पालन होना चाहिए।

नाथ संप्रदाय की परंपरा
महंत योगी महावीर नाथ ने बताया नाथ संप्रदाय की अपनी परंपरा है। इसमें पगड़ी तथा विशेष भगवा वस्त्र धारण करना अनिवार्य है। नाथ संप्रदाय की वेशभूषा में वे पहले भी भगवान महाकाल के दर्शन करने जाते रहे हैं। बुधवार को पुजारी ने उन्हें अपमानित करते हुए विवाद किया।

महाकाल राजा… उनके सामने पगड़ी नहीं पहन सकते
पं. महेश पुजारी ने बताया कि भगवान महाकाल उज्जैन के राजा हैं। महाकाल मंदिर की पूजन परंपरा में आदि अनादिकाल से इसी मूलभाव के साथ भगवान की सेवा पूजा की परंपरा चली आ रही है। कोई भी व्यक्ति राजा के सामने पगड़ी, टोपी आदि पहनकर नहीं आ सकता है। अगर पगड़ी, टोपी पहनना अनिवार्य है, तो गर्भगृह के बाहर से दर्शन करें। गर्भगृह में प्रवेश की परंपरा में अस्त्र, शस्त्र, लाठी, चमड़े की वस्तुएं आदि ले जाने पर भी प्रतिबंध है। ये नियम साधु परंपरा पर लागू करना उचित है या नही यह अब बड़ी चर्चा का विषय बन चुका है। यदि साधु संप्रदाय ने इस पर विरोध जता दिया महाकाल की व्यवस्थाए बिगड़ जाएगी।