प्रवीण शर्मा, भोपाल
छह साल से अटके सहकारिता ( Cooperative ) चुनावों के लिए भारतीय जनता पार्टी ने जमीन बनाना शुरू कर दी है। इसके लिए सबसे पहले सहकारी समितियों से प्रशासकों की रवानगी की जाएगी। इन सरकारी प्रशासकों की जगह भाजपा के सहकारिता नेता पदस्थ किए जाएंगे।
Cooperative चुनाव के लिए बीजेपी सभी समितियों में नियुक्ति करेगी
सहकारिता ( Cooperative ) चुनावों के लिए बीजेपी संगठन ने सभी जिलों से 3 से 5 नामों की पैनल मांगी है। पैनल मिलते ही नियुक्तियां शुरू हो जाएंगी। सभी समितियों में अपने सदस्य नियुक्त करने के साथ ही भाजपा प्रदेश भर में सदस्यता अभियान चलाकर समितियों को जिंदा करने का काम भी करेगी। ताकि चुनाव होने पर पार्टी का वर्चस्व कम न हो सके। भाजपा प्रदेश कार्यालय में मंगलवार को हुई सत्ता और संगठन की बैठक महत्वपूर्ण साबित हुई है। प्रदेश भर से बुलाए गए 15 सहकारिता नेताओं के साथ सीएम मोहन यादव, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा, सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग व प्रदेश संगठन के तमाम वरिष्ठ नेताओं ने चुनावों के विकल्प पर मंथन किया है। तीन स्तरों पर हुई बैठकों में पहले भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ के वर्तमान व पुराने नेताओं के साथ सीएम व प्रदेश संगठन ने चर्चा की। फिर सभी ने सहकारिता मंत्री ने प्रकोष्ठ के नेताओं के साथ विकल्पों पर मंथन किया। अंत में जिलाध्यक्षों, प्रदेश पदाधिकारियों की मौजूदगी में सीएम यादव व प्रदेशाध्यक्ष शर्मा ने लंबी चर्चा कर जल्द से जल्द सभी समितियों व संचालक मंडलों में नियुक्ति करने पर सहमति बनाई। ये नियुक्तियां होते ही सरकारी अधिकारी प्रशासक की जिम्मेदारी से मुक्त हो जाएंगे। भाजपा के सहकारिता नेता समितियों की कमान संभालते ही गांव स्तर तक समितियों को दुबारा जिंदा करने का काम करेंगे।
ये काम करेंगे नए सदस्य
सरकार द्वारा प्रशासक बनाए जाने वाले भाजपा नेताओं को तीन टास्क दिए जाएंगे। इनमें प्रमुख है सदस्यता अभियान, समितियों का परिसीमन, डिफाल्टर समितियों के सदस्यों से कर्ज की वसूली करना और फिर समितियों के चुनाव कराना। सरकार द्वारा नियुक्त किए जाने वाले सदस्यों को छह माह के अंदर खुद भी चुनाव जीतना होगा और अपनी समितियों के भी चुनाव कराना होंगे। प्रदेश में नवंबर के बाद चुनाव प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। ताकि उसके बाद छह माह में प्रदेश स्तर तक चुनाव पूर्ण हो जाएं।
किसानों को हो रहा नुकसान
प्रदेश की लगभग 60 फीसदी समितियां डिफाल्टर हो चुकी हैं। प्रशासकों ने डिफाल्टर सदस्यों से वसूली पर भी ध्यान नहीं दिया। समितियां डिफाल्टर होने से नए किसानों को भी नहीं जुड़े। सबसे अधिक नुकसान वर्ष 2020 में कांग्रेस सरकार गिरने के बाद किसानों को उठाना पड़ा। शिवराज सरकार द्वारा जीरो प्रतिशत ब्याज पर दिए जा रहे ऋण का लाभ किसानों को नहीं मिल सका। दूसरी तरफ कांग्रेस की कर्ज माफी योजना के कारण लाखों किसान डिफाल्टर हो गए। इससे वे भी आगे कर्ज नहीं ले सके।
चुनाव की तैयारी को लेकर महत्वपूर्ण चर्चा हुई है
सत्ता और संगठन की संयुक्त बैठक में सहकारिता चुनावों की तैयारी को लेकर महत्वपूर्ण चर्चा हुई है। चुनावों का आधार तैयार करने जल्द ही प्रशासकों की जगह संगठन के सक्रिय कार्यकर्ताओं को मौका दिया जाएगा। जिलों से पैनल मिलते ही हर समिति में प्रशासक नियुक्त कर दिए जाएंगे। अभियान चलाकर नए सदस्य भी बनाए जाएंगे। ताकि सरकार की योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक किसानों को मिल सके।
–मोहनलाल राठौर, प्रदेश संयोजक भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ।