स्वतंत्र समय, इंदौर
नगर निगम में हुए फर्जी बिल महाघोटाले से सबक लेकर इंदौर नगर निगम में ठेकेदारों के पैमेंट के लिए अब नई व्यवस्था लागू की जा रही है। नगर निगम कमिश्नर ( Commissioner ) शिवम वर्मा ने अफसरों को निर्देश जारी किए है कि ठेकेदारों के बिलों के भुगतान की फाइल दो सप्ताह के भीतर हर हाल में ऑडिट विभाग में पहुंचा दी जाएं। ऐसी व्यवस्था इसलिए की गई है कि पिछले दिनों ठेकेदारों ने ऑडिट विभाग पर फाइलों को रोकने का आरोप लगाया था। इस मामले में ठेकेदारों ने निगम कमिश्नर को इसकी शिकायत भी की थी।
Commissioner ने दी अधिकारियों और कर्मचारियों को चेतावनी
इस मामले में निगम कमिश्नर ( Commissioner ) ने समस्त अधिकारियों और कर्मचारियों को चेतावनी दी है कि खुद के लाभ के लिए अगर किसी ठेकेदार की फाइल रोकी तो उसके खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएंगी। हाल ही में नगर निगम में फर्जी बिल महाघोटाला हुआ था। इस घोटाले की जांच पड़ताल से निगम के कई अधिकारी और कर्मचारी शामिल होना पाए गए थे। अपना लाभ देखने के लिए अधिकारी व कर्मचारी फर्जी बिल के माध्यम से भुगतान करवा लेते थे। इसी से सबक लेकर नगर निगम कमिश्नर ने ठेकेदारों का समय पर भुगतान हो और भुगतान के लिए बिलों की फाइल भी जल्द ऑडिट विभाग में पहुंच जाए इन सारी बातों को लेकर फरमान जारी किया है कि दो सप्ताह के भीतर अधिकारी ठेकेदारों की फाइल ऑडिट विभाग में पहुंचा दे।
कमिश्नर से की शिकायत
शहर में विकास के साथ अन्य कई कार्य निगम ठेकेदारों से करवाता है। कार्य होने के बाद भुगतान के लिए लगने वाले बिलों की फाइल को अफसर और कर्मचारी पैसों के चक्कर में रोक देते हैं। इतना ही नहीं पैसा देने के बावजूद कई-कई दिनों तक फाइलें विभागों में पड़ी रहती है। इसके चलते कुछ ठेकेदारों ने पिछले दिनों निगमायुक्त शिवम वर्मा से शिकायत की थी कि बिना वजह फाइलों को रोका जा रहा है। इस पर निगमायुक्त ने तत्काल एक्शन लेते हुए भुगतान की समय सीमा तय कर दी।
भुगतान के लिए समय सीमा तय
इसके चलते अब जोनल ऑफिस से लेकर मुख्यालय में संबंधित विभाग और ऑडिट विभाग से होते हुए फाइल भुगतान के लिए लेखा विभाग में दो सप्ताह में पहुंचेगी। निगमायुक्त वर्मा ने अफसरों व कर्मचारियों को चेताया है कि तय समय सीमा में फाइल लेखा विभाग में न पहुंचने और जबरन रोकने पर दंडात्मक कार्रवाई होगी। इसके साथ ही अगर जोन पर फाइलों को रोका गया तो जिम्मेदारी जोनल अफसर व संबंधित कर्मचारी की रहेगी। मुख्यालय स्तर पर छोटे कर्मचारियों ने फाइलों को रोका तो अपर आयुक्त, अधीक्षण यंत्री, विभाग प्रमुख की जिम्मेदारी मानी जाएगी।