Corporation Scam : ऑडिट और लेखा शाखा ने बिना जांच 80 करोड़ के फर्जी बिलों को ओके कर दिया

स्वतंत्र समय, इंदौर

निगम में पकड़ाए फर्जी बिल महाघोटाले ( Corporation Scam ) की जांच रिपोर्ट शुक्रवार रात साढ़े 11 बजे तैयार की गई, जो लगभग 300 पेज की है, जिसमें 20 उन फर्जी बिलों से जुड़ी फाइलों की जांच की गई, जिसकी एफआईआर निगम ने एमजी रोड थाने पर पांच ठेकेदार फर्मों के खिलाफ दर्ज करवाई थी। शुक्रवार सुबह ही उच्च स्तरीय जांच कमेटी के गठन की जानकारी दी गई थी और रात को ही मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर नगरीय प्रशासन विभाग ने ये जांच कमेटी प्रमुख सचिव वाणिज्य कर की अध्यक्षता में गठित कर दी।

Corporation Scam की रिपोर्ट तैयार

आयुक्त शिवम वर्मा ने नगर निगम के घोटाले ( Corporation Scam ) गठित जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट संबंधित दस्तावेजों के साथ तैयार कर ली, जो कमिश्नर को सौंप दी जाएगी। इस जांच कमेटी का नेतृत्व अपर आयुक्त सिद्धार्थ जैन ने किया। सूत्रों के मुताबिक इस रिपोर्ट में प्रथम दृष्ट्या ऑडिट और लेखा शाखा को ही दोषी माना गया है, जिसने फर्जी बिलों को बिना जांच के ही मंजूर कर डाला, जिसके चलते 80 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान 5 ठगोरी फर्मों को हो गया। जिन अपर आयुक्त के साइन इन फाइलों पर हैं, वे चूंकि फर्जी हैं, इसलिए सीधे-सीधे किसी बड़े अधिकारी का तो इस घोटाले में शामिल होना नहीं पाया गया। अलबत्ता पुलिस ने इंजीनियर अभय राठौर को आरोपी बनाया है। वही इस पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड है, जिसे आयुक्त ने निलंबित भी कर दिया।

188 फाइलों को भी जांच में लिया

बीते 10 सालों में इन पांच फर्मों ने जो ठेके हासिल किए या फर्जी बिल बनाए उससे जुड़ी 188 फाइलों को भी जांच में लिया गया, जिनके माध्यम से 107 करोड़ रुपए की राशि शामिल है, जिसमें से 80 करोड़ से ज्यादा हासिल भी कर लिए गए। दूसरी तरफ पुलिस ने दो और नई फर्मों के खिलाफ भी कल एफआईआर दर्ज की, जो कि क्रिस्टल, इमरान खान और ईश्वर मौसम व्यास के द्वारा बनाई गई और इनके जरिए भी पांच करोड़ रुपए की राशि निकाल ली गई। दूसरी तरफ एमजी रोड थाना प्रभारी विजयसिंह सिसोदिया ने इन दोनों नई फर्मों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की पुष्टि के साथ ही यह भी बताया कि ऑपरेटर चेतन भदौरिया और उदय भदौरिया का पुलिस रिमांड कोर्ट ने 5 मई तक बढ़ा दिया। वहीं शेष आरोपियों, जो पुलिस गिरफ्त में हैं, उनकी रिमांड अवधि 7 मई तक मिल गई है। वहीं निगमायुक्त ने क्रिस्टल और ईश्वर दोनों फर्मों को भी काली सूची में डालने के आदेश जारी किए, क्योंकि प्राथमिक जांच में ही कूटरचना करते हुए चार देयकों के जरिए क्रिस्टल इंटरप्राइजेस ने 2.43 करोड़ रुपए, तथा ईश्वर इंटरप्राइजेस ने 2.49 करोड़ का भुगतान निगम से हासिल कर लिया।

सीएम से उच्चस्तरीय जांच की मांग

वहीं इस मामले की गूंज चूंकि शासन स्तर तक पहुंच गई और विभागीय मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के साथ ही महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने भी मुख्यमंत्री से उच्च स्तरीय जांच की मांग की। लिहाजा कल रात सामान्य प्रशासन विभाग ने निगम के फर्जी बिलों की जांच के लिए उच्च स्तरीय समिति के गठन की घोषणा भी कर दी। समिति के अध्यक्ष प्रमुख सचिव वाणिज्य कर अमित राठौर रहेंगे, जबकि सदस्यों के रूप में सचिव वित्त विभाग अजीत कुमार और लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता को शामिल किया गया है। दूसरी तरफ आयुक्त नगरीय प्रशासन और विकास के पत्र के आधार पर वित्त विभाग द्वारा निगम में पदस्थ लोक फंड के समरसिंह परमार, उप संचालक जगदीश ओहरिया और रामेश्वर परमार को शासकीय कार्य में लापरवाही बरतने पर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी शुरू करवाई गई है।