सीताराम ठाकुर, भोपाल
मप्र सरकार ने एक ऐसे अधीक्षण यंत्री जीपी वर्मा को चीफ इंजीनियर ( Chief Engineer ) ब्रिज का काम दे रखा है, जिसके खिलाफ जिला अदालत इंदौर के भवन निर्माण कार्य में लापरवाही बरते जाने और फर्जी तरीके से टर्नओवर दिखाने वाली कंपनी को 63 करोड़ का ठेका देने का आरोप हैं। जबकि वृहद पुल निर्माण शाखा में 500 करोड़ से अधिक के काम किए जा रहे हैं। इसके पहले भी जब ये दतिया में कार्यपालन यंत्री के रूप में पदस्थ थे, तब भी घटिया निर्माण के आरोपों के चलते इनके विरुद्ध डीई प्रारंभ की गई थी, जो अभी चल रही है।
पीडब्ल्यूडी मुख्यालय में बना रखा है Chief Engineer
लोक निर्माण विभाग ने मुख्य अभियंता (भवन) इंदौर के पद पर 6 सिंतबर 2023 से 15 मार्च 2024 तक पदस्थ रहे जीपी वर्मा को 27 सितंबर 2024 को आरोप पत्र जारी किया है। इस आरोप पत्र के आधार पर इनके विरुद्ध विभागीय जांच का निर्णय लिया गया। इसके बावजूद सरकार ने इन्हें पीडब्ल्यूडी मुख्यालय में चीफ इंजीनियर ( Chief Engineer ) ब्रिज बना रखा है। वर्तमान में चीफ इंजीनियर ब्रिज में 500 करोड़ से अधिक के वृहद पुलों का निर्माण कार्य कराया जा रहा है और आरोप पत्र में यह सीधे-सीधे भ्रष्टाचार के आरोपी ठहराए गए थे। 13 अगस्त को एक शिकायत पीडब्ल्यूडी में की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि इंदौर में बन रहे जिला अदालत भवन निर्माण कार्य में राज्य सरकार को 63 करोड़ का नुकसान होने का उल्लेख किया गया। इसके लिए शासन ने इस घोटाले की जांच के लिए 21 अगस्त 2024 को एक जांच समिति का गठन किया। जांच समिति ने उपलब्ध अभिलेखों के आधार पर जांच प्रतिवेदन शासन को सौंप दिया।
सीएम दफ्तर में शिकायत के बाद एक्शन
जीपी वर्मा के खिलाफ एक अन्य शिकायत 8 मई 2024 को मुख्यमंत्री कार्यालय को प्राप्त हुई थी। इसमें मेसर्स एरकॉन इंफ्रा लिमिटेड गुजरात के द्वारा लगाया गया अनुभव प्रमाण पत्र भी फर्जी पाया गया। इसलिए सरकार ने 7 जून को कंपनी से किया गया अनुबंध निरस्त कर ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट कर दिया और मेसर्स एरकॉन इंफ्रा लिमिटेड के खिलाफ एफआइआर भी दर्ज कराई गई। वर्मा द्वारा मेसर्स एरकॉन कंपनी द्वारा निविदा आमंत्रण के दौरान प्रस्तुत दस्तावेजों की जांच नहीं कराई गई और कंपनी को ठेका दे दिया, जिससे जिला न्यायालय भवन के निर्माण में देरी हुई और इस कारण भवन निर्माण की कास्ट बढ़ी।
पहले भी धराशायी हुए आवासीय भवन
सूत्र बताते है कि दतिया में कार्यपालन यंत्री के रूप में पदस्थ रहे जीपी वर्मा द्वारा न्यायालय के आवासीय क्वाटरों का निर्माण कराया गया था, लेकिन आधे-अधूरे और घटिया निर्माण के दौरान ये क्वाटर पहली ही बारिश में धराशायी हो गए थे। जिसके बाद भी इनके खिलाफ विभाग ने डीई शुरू की थी और अब इन्हें इतने बडेÞ 500 करोड़ से ज्यादा के प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी सौंप रखी है। खासकर केंद्र सरकार से मिलने वाले 300 करोड़ से अधिक के बडेÞ पुलों का निर्माण भी इनके द्वारा ही कराया जा रहा है। इस मामले में जीपी वर्मा से चर्चा करनी चाही, तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।