केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए आयकर रिटर्न (ITR) फाइल करने की अंतिम तारीख को बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 कर दिया है। हालांकि, अगर इस तारीख तक आप किसी कारणवश रिटर्न दाखिल नहीं कर पाते हैं, तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। सरकार ने लेट फाइलिंग का विकल्प भी उपलब्ध कराया है, जिससे आप बाद में भी अपना ITR फाइल कर सकते हैं।
लेट फाइलिंग कैसे करें?
अगर आपने निर्धारित समय सीमा तक ITR फाइल नहीं किया है, तो इसे बाद में फाइल करने के लिए कुछ आसान स्टेप्स फॉलो करने होंगे:
- सबसे पहले इनकम टैक्स की ई-फाइलिंग वेबसाइट पर लॉग-इन करें।
- अपनी वार्षिक आय के अनुसार सही ITR फॉर्म (ITR-1 से ITR-4) चुनें।
- अपनी इनकम, कटौतियों और टैक्स विवरण सही-सही भरें।
- सिस्टम अपने आप लेट फीस जोड़ देगा।
- आवश्यक दस्तावेज़ अपलोड करके OTP या DSC से सबमिट करें।
- इसके बाद बन रहे टैक्स और ब्याज का भुगतान ऑनलाइन करें और पूरा प्रोसेस पूरा करें।
टाइम पर ITR फाइल करना सबसे सुरक्षित तरीका है, लेकिन अगर डेडलाइन मिस हो गई है, तो भी लेट फाइलिंग करना जरूरी है। साथ ही, KYC पेंडिंग हो तो उसे पूरा करें और सभी टैक्स पेमेंट रिकॉर्ड संभालकर रखें। भविष्य में इसी तरह की समस्याओं से बचने के लिए रिमाइंडर सेट करें या किसी टैक्स कंसल्टेंट की मदद लें।
लेट फाइलिंग पर जुर्माना और ब्याज
यदि आप समय पर ITR फाइल नहीं करते और टैक्स बकाया है, तो आपको सेक्शन 234A के तहत ब्याज देना होगा। इसके साथ ही सेक्शन 234F के अनुसार लेट फीस भी लागू होगी।
- अगर आपकी आय ₹5 लाख से अधिक है, तो लेट फीस ₹5,000 होगी।
- यदि आय ₹5 लाख से कम है, तो लेट फीस ₹1,000 रहेगी।
- टैक्स का भुगतान लेट करने पर हर महीने 1% ब्याज भी लागू हो सकता है।
- जितनी जल्दी आप ITR फाइल करेंगे, उतनी कम फीस और ब्याज लगेगा।
लेट फाइलिंग के नुकसान
लेट ITR फाइल करने का एक बड़ा नुकसान यह है कि आप कुछ लॉस जैसे बिजनेस लॉस या कैपिटल लॉस को अगले वित्त वर्ष के लिए कैरी फॉरवर्ड नहीं कर पाएंगे। ये लाभ केवल समय पर फाइल करने वालों को मिलता है। यदि आप भविष्य में अपनी टैक्सेबल इनकम कम करना चाहते हैं, तो लेट फाइलिंग से यह अवसर हाथ से निकल सकता है।
रिफंड और टैक्स छूट का लाभ
हालांकि लेट फाइलिंग करते समय आप टैक्स रिफंड या अन्य छूट का दावा कर सकते हैं, लेकिन कुछ टाइम-बाउंड बेनिफिट्स जैसे धारा 87A के तहत ₹7 लाख तक की आय पर मिलने वाली छूट केवल समय पर फाइल करने वालों को ही मिलेगी। वहीं, लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन और अन्य डिडक्शन सही दस्तावेज़ों के साथ क्लेम किए जा सकते हैं।