देश के पहले गृहमंत्री अमित शाह आज छत्तीसगढ़ के बस्तर में दशहरा के विशेष कार्यक्रम मुड़िया दरबार में शामिल होंगे। इस दौरान अमित शाह दरबार में 80 परगनाओं से आए मांझी-मुखियाओं से सीधे संवाद करेंगे और उनकी समस्याएं सुनेंगे। गृहमंत्री का पिछले 22 महीने में यह बस्तर का छठा दौरा होगा। इससे एक बात तो सामने आती है कि गृहमंत्री आदिवासी क्षेत्र बस्तर को लेकर कोई बड़ी योजना बना चुके है। इसके साथ ही बस्तर के विकास में बाधक बने नक्कसवाद को खत्म करने का प्रयास कर रहे है। मुडिया दरबार में शामिल हो कर आज गृहमंत्री ने एतिहासिक शुरूआत कर दी है।
क्या होता है मुरिया दरबार ?
बस्तर में जब राजशाही का दौर था, उस समय बस्तर दशहरा के बाद राजा लोगों की समस्या सुनने दरबार लगाते थे, इसे ही मुरिया दरबार कहा जाता है। कमलचंद भंजदेव का कहना है कि, इस मुरिया दरबार में जनता की समस्या सुनी जाती है। बस्तर में मुरिया दरबार की शुरुआत 8 मार्च, 1876 को हुई थी, जिसमें सिरोंचा के डिप्टी कमिश्नर मेक जार्ज ने मांझी- चालकियों को संबोधित किया था। बाद में लोगों की सुविधा के अनुरूप इसे बस्तर दशहरा का अभिन्न अंग बनाया गया, जो परंपरानुसार 145 साल से जारी है।
हर क्षेत्र की समस्या से रूबरू होते थे राजा
बस्तर रियासत द्वारा अपने राज्य में परगना स्थापित कर यहाँ के मूल आदिवासियों से मांझी (मुखिया) नियुक्त किया गया था, जो अपने क्षेत्र की हर बात राजा तक पहुँचाया करते थे, वहीं राजाज्ञा से ग्रामीणों को अवगत भी कराते थे। मूरिया दरबार में राजा द्वारा निर्धारित 80 परगना के मांझी ही उन्हें अपने क्षेत्र की समस्याओं से अवगत कराते हैं। मुरिया दरबार में पहले राजा और रियासत के अधिकारी कर्मचारी मांझियों की बातें सुना करते थे और तत्कालीन प्रशासन से उन्हें हल कराने की पहल होती थी। आज़ादी के बाद मुरिया दरबार का स्वरूप बदल गया। 1947 के बाद राजा के साथ जनप्रतिनिधि भी इसमें शामिल होने लगे। 1965 के पूर्व बस्तर महाराजा स्व. प्रवीर चंद्र भंजदेव दरबार की अध्यक्षता करते रहे। उनके निधन के बाद राज परिवार के सदस्यों मुरिया दरबार में आना बंद कर दिया था। वर्ष 2015 से राज परिवार के कमलचंद्र भंजदेव इस दरबार में शामिल हो रहे हैं।
गृहमंत्री का एतिहासिक कदम
बस्तर के मुरिया दरबार में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भी 2009 -10 से लगभग हर मुरिया दरबार में शामिल हो रहे हैं। इस बार देश के गृहमंत्री अमित शाह इस दरबार में शामिल होकर पूरे आदिवासी समाज के सामने एक मिसाल पेश कर रहे है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जदगलपुर पहुंच चुके हैं। यहां उन्होंने मां दंतेश्वरी मंदिर के सामने बस्तर के लोगों से बातचीत की। इसके बाद गृहमंत्री ने मां दंतेश्वरी के दर्शन किए। इसके बाद यहां से सीधे पास स्थित सिराहसारा भवन में मुरिया दरबार में मांझी, चालकी, गायता, पे से मिलेंगे।