ओखा और बेट द्वारका को जोड़ेगा देश का पहला signature bridge

स्वतंत्र समय, राजकोट

एक्सक्लूसिव रिपोर्ट, विनोद नागर

अब ओखा बंदरगाह में देश का सबसे लम्बा केबल स्टे ब्रिज सिग्नेचर ब्रिज ( signature bridge ) बनकर तैयार हो गया है। इससे कच्छ की खाड़ी में ओखा से बेट द्वारका जाने के लिए समुद्र में नाव से आने-जाने की सदियों से चली आ रही विवशता दूर होगी। गुजरात में श्री द्वारकाधीश धाम आने वाले लाखों श्रद्धालु अभी तक ओखा (भारत के पश्चिमी छोर का आखिरी रेलवे स्टेशन) पहुंचकर वहां से नाव द्वारा बेट द्वारका जाते रहे हैं। प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी रविवार 25 फरवरी को इसका लोकार्पण कर इसे यातायात के लिए खोलेंगे। पाँच साल की अवधि में करीब एक हजार करोड़ रूपये की लागत से निर्मित इस अत्याधुनिक पुल की लंबाई दो किलोमीटर से भी अधिक है। अभी तक देश में सबसे लंबे केबल स्टे ब्रिज के बतौर कोलकाता के विद्यासागर सेतु का नाम लिया जाता रहा है। ओखा सिग्नेचर ब्रिज न केवल लंबाई में, बल्कि कई अन्य खूबियां अपने आधुनिक स्वरूप में समेटे हुए है।

signature bridge पर एक मेगावाट का सोलर पॉवर प्लांट

ढेर सारी खूबियों वाले इस सिग्नेचर ब्रिज ( signature bridge ) पुल को ईको फ्रैंडली मरीन ब्रिज भी कहा जा सकता है। क्योंकि इस विशाल पुल पर रोशनी के लिए एक मेगावॉट क्षमता का सोलर पॉवर प्लांट भी समाहित है। इसके सोलर पैनल पुल के दोनों ओर बने पैदल गलियारे की छत पर लगाये गये हैं। जाहिर है प्रकाश व्यवस्था के लिए महंगी बिजली की आवश्यकता नहीं होगी। बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने न केवल इस ब्रिज के निर्माण में, बल्कि इसकी डिज़ाइन तैयार करने में भी काफी रुचि ली है। उन्हीं के सुझाव पर सभी विकल्पों पर विचार करने के बाद इसे लार्जर देन लाइफ स्टाइल में बनाने का फैसला किया गया। इसके लिए देश भर में नदी और समुद्र पर निर्मित/ निर्माणाधीन सभी केबल स्टे ब्रिज का अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार की गई। कोलकाता के 823 मीटर लंबे विद्यासागर सेतु के मुख्य स्पान की लंबाई 457 मीटर से थोड़ी अधिक है। अब देश में इससे अधिक लंबाई और ऊंचाई के केबल स्टे ब्रिज बनाये जा रहे हैं जिन्हें सिग्नेचर ब्रिज कहा जा रहा है। इस तरह के केबल स्टे ब्रिज पर वाहनों की फोर लेन के अलावा ढाई मीटर चौड़े पैदल गलियारे भी होंगे जिन पर बुजुर्गों और निशक्तजनों के लिए बैटरी चलित गोल्फ कार्ट भी चलाई जा सकेंगी। इस लिहाज से ओखा बेट द्वारका केबल स्टे ब्रिज देश का पहला सिग्नेचर ब्रिज है। जहां पैदल गलियारे से होकर जाने वाले दर्शनार्थियों को तेज धूप और बारिश से बचाने के लिए छत के रूप में सोलर पैनल लगाये गये हैं। इसके सोलर प्लांट से दिन के समय तैयार अतिरिक्त बिजली ग्रिड में दी जाएगी। गौर तलब है कि देश का सबसे बड़ा मरीन नेशनल पार्क भी ओखा द्वारका में ही है।

भारत में सिविल इंजीनियरिंग का उत्कृष्ट उदाहरण

मसलन डेढ़ सौ मीटर ऊंचे दो कर्व शेप पिलर के बीच केबल पर टिका भाग ही नौ सौ मीटर लंबा है। दोनों ओर दो-दो सौ मीटर के स्पान के अलावा पांच सौ मीटर का मुख्य स्पान इसे भारत में सिविल इंजीनियरिंग का उत्कृष्ट उदाहरण साबित करता है। इस फोर लेन ब्रिज के दोनों तरफ पैदल यात्रियों के लिए ढाई ढाई मीटर चौड़े विशेष गलियारे बनाये गये हैं। इस पैदल गलियारे में हर दस मीटर के अंतराल पर गीता के ज्ञान को दर्शाती धार्मिक कलाकृतियां उसे भारतीय सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ती प्रतीत होती हैं। इसके अलावा पर्यटकों की सुविधा के लिए पैदल गलियारे में जगह जगह केंटीलीवर व्यू गैलरी भी बनाई गई हैं। समुद्र की सतह से अठारह मीटर ऊंचे इस पुल के नीचे से पानी के जहाज आसानी से निकल सकेंगे। ब्रिज के दोनों छोर पर वाहनों की पार्किंग का माकूल इंतजाम किया गया है। ओखा छोर पर करीब 24 हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में पार्किंग स्थल विकसित किया गया है। जबकि बेट द्वारका में 16 हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में वाहनों के पार्किंग की मुख्य व्यवस्था की गई है।