Crime News: ग्वालियर में सेंट्रल बैंक के कियोस्क चलाने वाले युवक द्वारा 500 से अधिक लोगों के 10 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। आरोपी ने फर्जी एफडीआर (फिक्स्ड डिपॉजिट रसीद) बनाकर लोगों को पैसे जमा करने का भरोसा दिया, लेकिन जब लोग कियोस्क बंद पाया तो उनकी चिंता बढ़ गई। बैंक जाकर जब उन्होंने पुष्टि की, तो पता चला कि उनके पैसे बैंक में जमा नहीं किए गए थे और सभी एफडीआर फर्जी थीं।
इस घटना से प्रभावित लोगों, जिनमें अधिकतर महिलाएं शामिल हैं, ने कम्पू थाना जाकर प्रदर्शन किया। उन्होंने आरोपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। मामले की जांच शुरू कर दी गई है, और पुलिस ने आरोपी की गिरफ्तारी के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं। यह मामला वित्तीय धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों की ओर संकेत करता है, जिसमें लोग फर्जी निवेश योजनाओं का शिकार बन जाते हैं।
ग्वालियर के कम्पू थाना इलाके के अवाडपुरा में एक बड़ा वित्तीय धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। यहां मोनू उर्फ साहिल नामक युवक ने एक दुकान में कियोस्क चलाया, जहां उसने सेंट्रल बैंक का बोर्ड लगाकर सैकड़ों लोगों से पैसों का लेनदेन किया। इस इलाके की अधिकांश आबादी गरीब है, और ज्यादातर महिलाएं उसके पास पैसे जमा करने और निकालने के लिए आती थीं।
साहिल ने बाद में फर्जी एफडीआर बनाना शुरू कर दिया, जिससे लोगों को यह भरोसा दिलाया गया कि उनका पैसा सुरक्षित है। लेकिन अचानक वह करोड़ों रुपये लेकर फरार हो गया। जब लोगों ने कियोस्क बंद देखा, तो उनकी चिंता बढ़ गई, और जब उन्होंने बैंक जाकर स्थिति की जांच की, तो सभी एफडीआर फर्जी निकलीं। इस घटना से प्रभावित लोग अब पुलिस के पास जाकर आरोपी के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने जांच शुरू कर दी है, और आरोपी की तलाश की जा रही है। यह घटना स्थानीय निवासियों के लिए एक गंभीर आर्थिक झटका साबित हुई है।
स्कैम से पीड़ित महिलाओं में से एक, सलमा, ने बताया कि वह पिछले दो साल से मोनू उर्फ साहिल के कियोस्क का इस्तेमाल कर रही थीं और कभी भी कोई समस्या नहीं आई। लेकिन दो दिन पहले अचानक साहिल ने सब कुछ बंद कर दिया और भाग निकला। जब सलमा बैंक पहुंची, तो उसे बताया गया कि उसके खाते से सारे रुपये गायब हैं और बैलेंस जीरो हो गया है।
इसी तरह, मजदूरी करके घर चलाने वाली सुरेखा ने अपनी बेटियों की पढ़ाई और शादी के लिए दो लाख रुपये की एफडीआर करवाई थी। हाल ही में, उन्होंने तीन दिन पहले दो लाख रुपये और जमा किए, लेकिन साहिल ने इसके लिए उन्हें रसीद भी नहीं दी। अब बैंक इन एफडीआर को नकली बता रही है, जिससे सुरेखा और उनके जैसे कई अन्य लोग बेहद चिंतित और परेशान हैं।
ये घटनाएं इस बात की ओर इशारा करती हैं कि किस तरह धोखाधड़ी के मामलों ने आम लोगों को आर्थिक संकट में डाल दिया है। पीड़ित महिलाएं अब न्याय और अपनी मेहनत की कमाई की वापसी की उम्मीद कर रही हैं।करोड़ों रुपये के इस घोटाले मामले में बैंक की स्थिति स्पष्ट नहीं है। बैंक का कहना है कि जो लोग पैसे जमा करने आए थे, उन्हें अपने पैसे उसी स्थान पर जाकर मिलेंगे जहां उन्होंने जमा किए थे। यह स्थिति पीड़ितों के लिए और भी मुश्किलें पैदा कर रही है, क्योंकि उन्हें इस बात का कोई भरोसा नहीं है कि उनका पैसा वापस आएगा या नहीं।
वहीं, पुलिस की ओर से कहा गया है कि वे केवल डॉक्यूमेंट्स लेकर जांच कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि पुलिस मामले की गंभीरता को समझते हुए सक्रियता से कार्यवाही नहीं कर रही है, जिससे पीड़ितों में और भी निराशा और अविश्वास बढ़ रहा है। इस स्थिति ने प्रभावित लोगों को और अधिक परेशान कर दिया है, क्योंकि वे अपनी मेहनत की कमाई खोने के बाद न्याय की उम्मीद कर रहे हैं। पीड़ितों का कहना है कि उन्हें तुरंत कार्रवाई की आवश्यकता है और आरोपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।