Recovery at check post- मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने जब राज्यभर में ट्रांसपोर्टर्स के साथ हो रही ज़्यादतियों पर संज्ञान लिया, तो उम्मीद जागी थी कि अब वाहन चेकिंग के नाम पर चेक पोस्टों पर चल रही अवैध वसूली, बदसलूकी और खुलेआम गुंडागर्दी पर लगाम कसने के लिए चलित चेक प्वाइंट (Random Checking) का एक पारदर्शी सिस्टम लागू किया है। लेकिन शायद सीएम के आदेशो का वसूलबाजों पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। सीएम यादव ने कई चेक पोस्टों को बंद करने के आदेश दे दिए है। इसके बाद भी वसुली की जा रही है। जिससे वाहन चालक परेशान है। जब वाहन चालक कह रहे है कि उनकी पुरी जानकारी आनलाइन है तो फिर उन्हें चेक पोस्ट के नाम पर क्यों रोका जा रहा है।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा वीडियों
चेक पोस्टों की जगह अब नए ठिकाने हैं, लेकिन हाथ वही हैं, और तरीका पहले से भी ज़्यादा शातिर है। इस तरह की वसूली पर पुलिस प्रशासन अब भी कोई एक्शन नहीं ले रहा है। जबकि बंद चेक पोस्ट पर अपराधिक तत्व की जबरन वसूली पर सीएम मोहन यादव ने जुलाई 2024 में आदेश दिए थे। और मुख्यमंत्री ने आदेश में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया था कि यदि इन चेक पोस्ट पर भ्रष्टाचार या अनियमितता की कोई भी शिकायत मिलती है तो राज्य शासन सख्त कार्रवाई करेगा लेकिन इसके बावजूद चेक पोस्ट के नाम पर वसूली की जा रही है।
देखे यह वीडियों
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संस्था जुटा रही वसूली के सबुत
इंदौर ट्रक ऑपरेटर एन्ड ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष C L मुकाती एवं पूर्व कोषाध्यक्ष दीपक खण्डेलवाल से प्राप्त जानकारी अनुसार। दीपक खंडेलवाल ने बताया कि हमारी संस्था ने ऐसी कई घटनाओं के ठोस प्रमाण जुटाए हैं। जिसमें यह स्पष्ट देखा जा सकता है कि चेक पोस्ट बंद होने के बाद भी अपराधिक तत्व भारी वाहन चालकों से वसूली कर रहे है।
ट्रांसपोर्टर हो रहे है वसूली से परेशान
देश के ट्रक व्यवसाय को पहले ही आपसी प्रतिस्पर्धा, लगातार बढ़ती लागत, सरकारी नीतियों की जटिलता, और माल की कमी ने घुटनों पर ला दिया है। ऐसे में ऊपर से हर रोज़ की यह मनमानी वसूली और उत्पीड़न, ट्रक व्यवसाय से जुड़े लोगों को नुकसान में डाल रहे है इसके साथ ही ड्राइवरों के साथ दुर्व्यवहार के कारण उनकी सुरक्षा पर भी सवाल उठ रहे है। यदि वह मना करें तो उनके साथ मारपीट तक कर दी जाती है।
नया सिस्टम- अब उठाए आवाज
एसोसिएशन के पूर्व पदाधिकारी दीपक खंडेलवाल का कहना है कि अब वक्त आ गया है कि इसे बेनकाब किया जाए। इसके साथ ही सच्चाई को सामने लाने का भी प्रयास करें। यदि अब इस तरह की वसूली हो रही है तो से सीएम के सोशल साइट्स पर डाले ताकि उन्हें भी पता चल सके कि उनके आदेशों की धज्जियां किस तरह से अपराधिक तत्व उठा रहे है।