इंदौर में डाबर ने लॉन्च किया नया कैंपेन, च्यवनप्राश से बढ़ेगी इम्युनिटी, 3,000 साल पुरानी जड़ी-बूटियों का आयुर्वेदिक चमत्कार

भारत में लोग सबसे ज्यादा मानसून का इंतजार करते हैं, क्योंकि यह चिलचिलाती गर्मी से राहत देकर हमें फिर से तरोताजा कर देता है। लेकिन हमारे भीतर नई ताजगी का संचार करने के साथ-साथ यह मौसम कई तरह की बीमारियां भी साथ लाता है, और रोग प्रतिरोधक क्षमता के कमजोर होने पर हम इनकी चपेट में आ सकते हैं, और खासकर बच्चे इससे प्रभावित होते हैं। तापमान में कमी और नमी के स्तर में वृद्धि के कारण मानसून के दौरान संक्रमण होना एक आम बात है।आमतौर पर मानसून में सर्दी एवं खाँसी, मलेरिया, डेंगू, टायफाइड और निमोनिया जैसी बीमारियां फैलती हैं। उष्ण, नम और आर्द्र जलवायु के कारण कई तरह के संक्रमण हो सकते हैं, जो प्रतिरोधक क्षमता के कमजोर होने पर ज्यादा तेजी से फैलते हैं। इस संदर्भ में, डाबर च्यवनप्राश ने हाल ही में इंदौर स्थित जगदाले स्कूल में एक कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें प्राचार्य जगदीश परिहार, उप-प्राचार्य उमेश राव पवार और डाबर इंडिया से श्री ब्यास आनंदजी शामिल हुए।

सदियों पुरानी आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति पर आधारित औषधि की सही मात्रा, मानसून के रोगाणुओं से लड़ने में मददगार है। एलोपैथिक चिकित्सा विज्ञान में बीमारियों का इलाज किया जाता है, जबकि प्राचीन भारतीय जड़ी-बूटियों और आयुर्वेद में दिए गए सूत्र हमारी जीवन शैली को स्वस्थ एवं ऊर्जावान बनाते हैं।रसायन तं त्र, आयुर्वेद की आठ विशेषताओं में से एक है। इसमें नवजीवन का संचार करने से संबंधित नुस्खे, आहार अनुशासन और विशेष स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले व्यवहार का विवरण मौजूद है। प्रतिदिन दो चम्मच डाबर च्यवनप्राश का उपयोग करना, दैनिक आहार में रसायण तंत्र को शामिल करने का एक तरीका है।

डॉ. रुचि सिंह, मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं विभागाध्यक्ष आयुष ने कहा कि,च्यवनप्राश एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक सूत्र है, जिसका इस्तेमाल कई दशकों से रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करने के लिए किया जा रहा है। डाबर ने कई प्रकार के नैदानिक एवं पूर्व-नैदानिक अध्ययनों का संचालन किया है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता, मौसम के दुष्प्रभावों, नासिका संबंधी एलर्जी एवं संक्रमण, इत्यादि पर लाभकारी प्रभावों की पुष्टि करता है। च्यवनप्राश प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में वर्णित त्रिदोष ‘वात, पित्त और कफ’ को संतुलित करने में मदद करता है। डाबर च्यवनप्राश रोगाणुओं से लड़ने वाले डेंट्रिक सेल, एनके सेल और मैक्रोफेज को सक्रिय करने में मदद करता है।

ब्यास आनंद, प्रमुख सीएसआर एवं कॉरपोरेट कम्युनिकेशन्स, डाबर इंडिया लिमिटेड ने कहा, “आयुर्वेद की समृद्ध विरासत और प्रकृति के गहन ज्ञान के साथ, डाबर ने हमेशा प्रामाणिक अध्ययन के माध्यम से सभी के लिए सुरक्षित, लागत प्रभावी और प्रभावी स्वास्थ्य देखभाल पर ध्यान केंद्रित किया है। आयुर्वेद पुस्तकें/पांडुलिपियाँ। हम अपने उत्पाद के माध्यम से वर्तमान में भारत में विभिन्न बीमारियों से निपटने का प्रयास कर रहे हैं। भारत में, लोग अपने ‘प्रकृति’ गुणों के कारण चिकित्सा हस्तक्षेप के रूप में हर्बल और वनस्पति अर्क को पसंद करते हैं। डाबर च्यवनप्राश आयुर्वेद के प्राचीन भारतीय ज्ञान और विज्ञान की अत्याधुनिक तकनीक से तैयार किया गया फॉर्मूलेशन है। यह उत्पाद खुद को दिन-प्रतिदिन के विभिन्न संक्रमणों से बचाने का एक आदर्श तरीका है।

अमला (भारतीय आंवला) डाबर च्यवनप्राश का प्रमुख घटक है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाले गुणों के लिए जाना जाता है। इसके अलावा गुदुची, पिप्पली, कांटाकरी, काकदासिंगी, भूम्यामालकी, वासाक, पुष्करमूल, प्रिष्णीपर्णी, शालपर्णी, आदि अन्य सामग्रियां भी सामान्य संक्रमण एवं श्वसन तंत्र की एलर्जी को कम करने में मददगार हैं। इस प्रकार च्यवनप्राश कई गुणकारी जड़ी-बूटियों का संतुलित मिश्रण है, जो मानसून के मौसम में रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान कर हमें बेहतर स्वास्थ्य देता है।