इंदौर। डेली कॉलेज में आयोजित ‘टीच-कैम्प’ (Teach Camp) के दूसरे दिन शिक्षा जगत के कई दिग्गजों ने शिरकत की। रविवार को आयोजित विभिन्न मास्टर क्लास सत्रों में देश के प्रतिष्ठित शिक्षाविदों ने शिक्षण और अधिगम (Learning) की बदलती अवधारणाओं पर अपने विचार साझा किए। इस दौरान कक्षा में शिक्षकों के व्यवहार से लेकर डिजिटल तकनीक के दुष्प्रभावों तक कई अहम मुद्दों पर मंथन हुआ।
कार्यक्रम के मुख्य सत्रों में से एक में कर्नल गोपाल करुणाकरन ने शिक्षकों को संबोधित किया। उन्होंने कक्षा के माहौल को सकारात्मक बनाने पर विशेष जोर दिया। उनका कहना था कि एक शिक्षक जब मुस्कान के साथ कक्षा में प्रवेश करता है और शुरुआत को रोचक बनाता है, तो विद्यार्थियों की भागीदारी अपने आप बढ़ जाती है।
“प्रशंसा हमेशा सार्वजनिक रूप से की जानी चाहिए और आलोचना निजी रूप से। विषय का गहरा अध्ययन, व्यापक पठन और आत्मचिंतन ही प्रभावी शिक्षण का आधार है।” — कर्नल गोपाल करुणाकरन
योग्यता-आधारित शिक्षा और NCF 2023
शिक्षाविद अमृता बर्मन ने योग्यता-आधारित शिक्षा (Competency-Based Education) की बारीकियों को समझाया। उन्होंने राष्ट्रीय पाठ्यक्रम ढांचा (NCF) 2023 का हवाला देते हुए कहा कि सीखने का असली मूल्य तभी है जब उसे व्यवहार और अनुप्रयोग के जरिए प्रदर्शित किया जा सके। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह पद्धति मूल्यांकन को अधिक प्रामाणिक और अर्थपूर्ण बनाती है।
सत्र के दौरान केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) और एनसीएफ के दृष्टिकोण पर भी चर्चा की गई। विशेषज्ञों ने बताया कि एनसीएफ अब वास्तविक जीवन से जुड़ी शिक्षा पर फोकस कर रहा है। इसी कड़ी में सीबीएसई ने अपनी परीक्षाओं में 50 प्रतिशत प्रश्न योग्यता-आधारित रखने का निर्णय लिया है। इसका मुख्य उद्देश्य शिक्षा को केवल किताबी ज्ञान तक सीमित न रखकर विद्यार्थियों की क्षमताओं का विकास करना है।
डिजिटल उपयोग और मानसिक स्वास्थ्य
विक्रमजीत रूपराय ने तकनीक के मानव मस्तिष्क पर पड़ने वाले प्रभावों को रेखांकित किया। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अत्यधिक डिजिटल उपयोग से एकाग्रता घट रही है और मानसिक आलस्य बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि इससे निर्णय लेने की क्षमता भी कमजोर होती है।
अन्य सत्रों में श्री भवानी शंकर ने व्यक्तिगत विकास के क्षेत्रों की पहचान पर अपनी बात रखी। वहीं, कर्नल ए. शेखर ने विद्यार्थियों और विद्यालयों के बीच बदलते रिश्तों की जमीनी हकीकत और चुनौतियों पर प्रकाश डाला। प्रभा दीक्षित ने विकास के समग्र आकलन (Holistic Assessment) की आवश्यकता पर बल दिया।
सकारात्मक सोच का मंत्र
कार्यक्रम के समापन सत्रों में सुश्री लीना अशर ने ‘शिफ़्ट योर लेंस, शिफ़्ट योर लाइफ़’ विषय पर प्रेरक वक्तव्य दिया। उन्होंने शिक्षकों और उपस्थित लोगों को सकारात्मक सोच और मानसिक रि-प्रोग्रामिंग के जरिए उज्ज्वल भविष्य की ओर बढ़ने का मार्ग दिखाया। इस दो दिवसीय आयोजन ने शिक्षकों को नवाचार और जिज्ञासा आधारित दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित किया।