जबलपुर हाई कोर्ट की एकल पीठ का 13 दिसंबर 2024 का आदेश, जो 21 जनवरी 2025 को सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, ने भोपाल के प्रशासन और पटौदी परिवार के विवाद को फिर से चर्चा में ला दिया है। आदेश के मुताबिक, पटौदी परिवार को 30 दिनों के भीतर अपीलीय प्राधिकरण के समक्ष अपना पक्ष रखना था। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि परिवार ने अपना पक्ष रखा या नहीं। भोपाल कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने कहा कि आदेश का विश्लेषण करने के बाद ही प्रशासन कोई कार्रवाई करेगा।
संपत्ति विवाद और हाई कोर्ट का मामला
पटौदी परिवार और भारत सरकार के बीच यह विवाद 2015 से मध्यप्रदेश हाई कोर्ट, जबलपुर में लंबित है। मामला नवाबों की संपत्ति से जुड़ा है, जिसे केंद्र सरकार ने शत्रु संपत्ति घोषित किया है। 1947 में भोपाल रियासत के आखिरी नवाब हमीदुल्लाह खान की संपत्ति को लेकर विवाद तब शुरू हुआ, जब उनकी दो बेटियों आबिदा सुल्तान और साजिदा सुल्तान के बीच अधिकार का प्रश्न उठा। सरकार ने नवाब की बड़ी बेटी आबिदा को संपत्ति का हकदार माना, जबकि पटौदी परिवार साजिदा सुल्तान को असली वारिस मानता है।
फ्लैग स्टाफ हाउस और 15,000 करोड़ की संपत्ति का दावा
भोपाल के कोहेफिजा स्थित फ्लैग स्टाफ हाउस, जिसकी अनुमानित कीमत 15,000 करोड़ रुपये से अधिक है, पर पटौदी परिवार अपना दावा करता है। इस संपत्ति को लेकर हाई कोर्ट का आदेश वायरल होने के बाद, मंगलवार को कई लोग फ्लैग हाउस पहुंचे। हालांकि, पटौदी परिवार या उनके वकील की तरफ से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
शत्रु संपत्ति घोषित करने पर विवाद
मुंबई स्थित शत्रु संपत्ति अभिरक्षक कार्यालय ने 2015 में भोपाल नवाब की जमीन को सरकारी घोषित कर दिया था। इसके विरोध में पटौदी परिवार ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अब हाई कोर्ट द्वारा स्टे हटाए जाने की खबरों के बीच यह मामला फिर से गरमाया हुआ है।