दत्त ही सत्य है और सत्य ही दत्त है – श्री दादागुरु महाराज

महायोगी अवधूत श्री दादा गुरु महाराज पांढुरना जिले के विभिन्न स्थानों पर आध्यात्मिक और धार्मिक प्रवास के तहत बुधवार को पांढुर्णा जिले के तिगांव और चमत्कारिक जामसावली हनुमान मंदिर में पहुंचे जहां हजारों श्रद्धालु उपस्थित रहे और दर्शन लाभ लिया।
बुधवार सुबह 10 बजे जिले की पावन नगरियों में से एक तिगांव में महायोगी अवधूत श्री दादागुरु महाराज का शुभ आगमन हुआ जहां ग्राम वासियों ने तिगांव राष्ट्रीय राजमार्ग बायपास जोड़ पर उनका भव्य स्वागत करके अगवानी की।

सत्य की राह पर चलना ही भगवान की वास्तविक पूजा
जिसके बाद वे हनुमान मंदिर होते हुए ग्राम के प्रमुख मार्ग से श्रद्धालुओं को दर्शन देते हुए दत्तात्रेय मंदिर देवस्थान पहुंचे। इस बीच श्रद्धालुओं ने जगह-जगह दादागुरु का अभूतपूर्व स्वागत किया और उनके दर्शनों का लाभ लिया। मंदिर पहुंचकर महायोगी अवधूत श्री दादा गुरु महाराज ने दत्तात्रेय भगवान सहित विभिन्न देवी देवताओं के साथ-साथ संत श्री मुकाबाबा की समाधि को भी प्रणाम किया।

महायोगी अवधूत श्री दादा गुरु महाराज के आशीर्वचन सुनने के लिए हजारों की संख्या में दत्तात्रेय मंदिर परिसर में भक्तगण मौजूद रहे। अपने आशीर्वचन में श्री दादागुरु ने कहा कि हमेशा सत्य की राह पर चलना ही भगवान की वास्तविक पूजा है, क्योंकि दत्त ही सत्य है और सत्य ही दत्त है। शरीर बदल सकता है लेकिन सत्य नहीं बदल सकता, लेकिन एक सत्य सारी दुनिया को बदल सकता है। सत्य तुम्हारे जीवन को नई दिशा दे सकता है, इसलिए सत्य को अपने जीवन में उतारो।

धरती व जाम नदी हम सबकी मां
धरती व जाम नदी हम सबकी मां है, इसे स्वच्छ और हराभरा रखना अब आप सब की जिम्मेदारी है। अधिक से अधिक पेड़ लगाने का दादागुरु ने मंच से आव्हान किया। तिगांव में बसते है त्रिदेव – जाम नदी किनारे बसी संत श्री मुकाबाबा की नगरी तिगांव के संबंध में महायोगी अवधूत श्री दादा गुरु महाराज ने उल्लेख करते हुए बताया कि तिगांव नगर त्रिदेव यानी ब्रह्मा विष्णु और महेश का संगम स्थल बताया। इसी कारण भगवान दत्तात्रेय की आप सभी तिगांव वासियों पर बड़ी कृपा है।

जहां आप और हम सभी बैठकर संत श्री मुकाबाबा के सानिध्य में धर्म मार्ग की चर्चा कर रहे है , इसी दत्तात्रेय देवस्थान में स्वयं त्रिदेव के प्रतीक भगवान दत्तात्रेय स्थापित है। संत श्री मुकाबाबा की समाधि को आज भी जीवंत और चैतन्य है। पवित्र जाम नदी के तट पर तीनों देवताओं की अलौकिक शक्तियां जहां मिलती है वहीं ग्यारहवां रुद्र प्रमाण है उसकी प्रामाणिकता वो संत मुकाबाबा है।