DAVV इंदौर का बड़ा फैसला, डेढ़ लाख छात्रों की कॉपियों की होगी डबल चेकिंग, रिजल्ट से पहले विशेषज्ञ करेंगे जांच

देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (DAVV) ने परीक्षा परिणामों में होने वाली गड़बड़ियों पर लगाम लगाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने स्नातक (UG) और स्नातकोत्तर (PG) पाठ्यक्रमों की उत्तर पुस्तिकाओं के लिए अब दो-स्तरीय मूल्यांकन प्रणाली को मंजूरी दे दी है। इस नई व्यवस्था के तहत, शिक्षकों द्वारा कॉपियां जांचने के बाद विषय विशेषज्ञ भी उनकी समीक्षा करेंगे, ताकि परिणामों को पूरी तरह से त्रुटिहीन बनाया जा सके।

यह फैसला विश्वविद्यालय की परीक्षा समिति और अध्ययन मंडल की बैठक में लिया गया है। इसका सीधा असर आगामी परीक्षाओं में शामिल होने वाले लगभग डेढ़ लाख से अधिक छात्रों पर पड़ेगा। विश्वविद्यालय का लक्ष्य मूल्यांकन प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना और छात्रों को पुनर्मूल्यांकन की लंबी प्रक्रिया से बचाना है।

क्या है दो-स्तरीय मूल्यांकन प्रणाली?

नई व्यवस्था के अनुसार, परीक्षा के बाद उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन दो चरणों में होगा।

पहला चरण: सामान्य प्रक्रिया के तहत शिक्षक और परीक्षक उत्तर पुस्तिकाओं की जांच करेंगे और अंक देंगे।

दूसरा चरण: जांच पूरी होने के बाद, प्रत्येक बंडल में से 10 प्रतिशत कॉपियों को रैंडम आधार पर चुना जाएगा। इन कॉपियों को संबंधित विषय के विशेषज्ञों के पास भेजा जाएगा। विशेषज्ञ यह देखेंगे कि मूल्यांकन सही तरीके से हुआ है या नहीं।

यदि विशेषज्ञ की जांच में शिक्षक द्वारा दिए गए अंकों में 10 से 15 प्रतिशत से ज्यादा का अंतर मिलता है, तो उस पूरे बंडल की सभी कॉपियों का पुनर्मूल्यांकन किया जाएगा। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही अंक ऑनलाइन चढ़ाए जाएंगे और परिणाम घोषित होगा।

क्यों पड़ी इस बदलाव की जरूरत?

पिछले कुछ वर्षों में डीएवीवी के कई परिणामों में मूल्यांकन संबंधी गंभीर शिकायतें सामने आई थीं। बी.कॉम और बी.एससी. जैसे पाठ्यक्रमों में कई छात्रों ने आरोप लगाया था कि उन्हें उम्मीद से बहुत कम अंक मिले। बाद में जब पुनर्मूल्यांकन हुआ, तो कई छात्रों के अंकों में 15 से 20 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई। इन घटनाओं से विश्वविद्यालय की मूल्यांकन प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े हुए थे, जिसके बाद यह सुधारवादी कदम उठाया गया है।

इन पाठ्यक्रमों पर लागू होगी नई व्यवस्था

यह नई प्रणाली आगामी यूजी प्रथम, तृतीय और पंचम सेमेस्टर तथा पीजी प्रथम और तृतीय सेमेस्टर की परीक्षाओं से लागू की जाएगी। इसके दायरे में बीए, बी.कॉम, बी.एससी, बीबीए, बीसीए, एमए, एम.कॉम और एम.एससी. सहित अन्य सभी पारंपरिक पाठ्यक्रम आएंगे। इस बदलाव से करीब चार से पांच लाख उत्तर पुस्तिकाओं की जांच प्रक्रिया प्रभावित होगी।

“हमारा उद्देश्य छात्रों को सटीक और निष्पक्ष परिणाम देना है। इस दो-स्तरीय जांच से मानवीय त्रुटि की गुंजाइश कम हो जाएगी। हो सकता है कि परिणाम घोषित होने में कुछ दिनों की देरी हो, लेकिन वे पहले से कहीं ज्यादा विश्वसनीय होंगे।” — डॉ. अशेष तिवारी, परीक्षा नियंत्रक, डीएवीवी