इंदौर की सबसे चर्चित और रहस्यमयी सुसाइट की फाइल एक बार फिर खुल गई है। इस बार मामला और भी ज्यादा गर्म है। क्योकि साल 2018 में होराइजन ओएसिस पार्क, महालक्ष्मी नगर स्थित एक फ्लैट में यशवंत क्लब की सदस्य खुशी कूलवाल ने आत्महत्या कर ली थी। पहली नजर में ये महज एक आत्महत्या लग रही थी, लेकिन जब परतें खुलीं, तो रसूखदारों के चेहरे उजागर होने लगे थे। तात्कालिन मंत्री के भाई, आईएएस अफसर, ड्रग पैडलर, कारोबारी सहित हर कड़ी एक नए रहस्य की ओर इशारा कर रही थी। लेकिन, तब शायद ‘किसी बड़े राजनैतिक इशारे’ पर फाइल को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था।
दोबारा सुर्खियों में खुशी कूलवाल सुसाइड केस
अब खुशी कूलवाल सुसाइड केस एक बार फिर से सुर्खियों में है। इस बार पुलिस के हाथ कुछ ठोस सुराग लगे हैं। जिससे जांच एक बार फिर से ज़ोर पकड़ रही है। डीसीपी जोन-2 के अभिनय विश्वकर्मा ने स्पष्ट कर दिया है कि खुशी कूलवाल केस की पुरानी केस डायरी मंगाई गई है। जिसमें नए सिरे से जांच शुरू हो गई है। दरअसल, पुलिस को हाल ही में एक जमीन विवाद में पूर्व मंत्री के भाई का नाम फिर से सामने आया। इसके बाद जब कांग्रेस के पूर्व मंत्री के संबंधो को टटोला गया तो ये पता चला कि कुख्यात ड्रग पैडलर ‘जोजो’ उर्फ सोहन का लिंक भी कांग्रेस के पूर्व मंत्री के भाई से था। और यही ‘जोजो’ खुशी कूलवाल के भी संपर्क में था। साल 2020 में ड्रग केस में जब जोजो पकड़ा गया, तो उसके मेमोरेंडम में मंत्री के भाई का नाम सामने आया था लेकिन तत्कालीन टीआई ने मामले को दबा दिया था। अब जब फिर से कांग्रेस नेता जीतू पटवारी के भाई का नाम एक जमीन विवाद में आया, तो पुलिस ने अतीत की परतें खोल दीं। और उन परतों में खुशी कूलवाल की खामोश चीखें फिर से सुनाई देने लगीं।
मोबाइल फोन में छिपे हैं कई ‘बड़े राज’
खुशी का मोबाइल अभी भी कई बड़े नामों की चाबियां समेटे बैठा है। कॉल रिकॉर्ड्स, चैट्स, वीडियो के साथ ही हर एक फाइल जैसे किसी बड़ी साज़िश की कहानी कह रही हो। उस समय सामने आया था कि एक सीनियर आईएएस अफसर से भी खुशी की लगातार बातचीत होती थी। यह सिर्फ एक आत्महत्या नहीं, बल्कि किसी जाल में फंसी एक लड़की की आखिरी पुकार थी। 18 जुलाई 2018 की रात, खुशी अपने दोस्तों राहुल पाटनवाला, पवन यादव और कमलेश के साथ विडोरा पब में थी। वहां खुशी का भाई भी पहुंचा था। उसने उसे नशे की हालत में देखकर फटकारा और परिवार की बदनामी की बात कही। बस, यहीं से खुशी का मूड बिगड़ा और वह गुस्से में उबल उठी। वो रात किसी तूफान से कम नहीं थी। फ्लैट में जमकर हंगामा हुआ, चीज़ें तोड़ी गईं, और फिर सुबह होते-होते… एक सन्नाटा छा गया। यह सिर्फ सन्नाटा नहीं था बल्कि मातम पसरा हुआ था जहां खुशी ने फांसी लगाकर जान दे दी थी।
राहुल पटवाल और नाना पटवारी की भूमिका थी संदिग्ध
घटना के समय खुशी के साथ जो करीबी दोस्त मौजूद था उसका नाम था राहुल पाटनवाला जो खनन कारोबारी था और शादीशुदा होने के बावजूद खुशी के संपर्क में था। वहीं फ्लैट भी उसी ने किराए पर लिया था। घटना के बाद राहुल पाटनवाला गायब हो गया, फोन बंद कर दिए। लेकिन इसके बाद आखिरकार वह सीएसपी जयंत सिंह राठौर के सामने पेश हुआ और उसने अपनी सफाई दी थी। इसी सफाई में उसने नाना पटवारी का नाम और भूमिका बताई थी। जो कि पूर्व कांग्रेस मंत्री और विधायक जीतू पटवारी का भाई है। राहुल पाटनवाला के हाथ में चोट लगने के बाद यहीं नाना पटवारी उन्हें कार से नर्सिंग होम लेकर गया था। अब पुलिस नाना पटवारी और अन्य लोगों के बयान एक बार फिर लेने जा रही है। 2018 में जो केस ‘प्रेशर’ में दबा दिया गया था, अब वहीं केस बड़े खुलासों के करीब है। यदि जांच ईमानदारी से आगे बढ़ी, तो कई सफेदपोश चेहरे बेनकाब हो सकते हैं। नेता, अफसर, बिजनेसमैन… और शायद कुछ ‘अपराधी जो दिखते नहीं।’ भी सामने आ सकते है। या फिर एक बार फिर सिस्टम और सत्ता की सांठगांठ, एक सच्चाई को निगल जाएगी? ये फाइल अब सिर्फ एक केस नहीं, एक संघर्ष है सच को सामने लाने का। अब देखना ये है कि इंदौर की हवा फिर से किसका नाम लेकर गूंजती है। यहीं जांच जारी है और रहस्य बाकी है। अब देखना यह है कि खुशी कूलवाल को इंसाफ मिलता है या एक बार फिर यह फाइल दब जाती है। लेकिन अब यह फाइल बिना न्याय के दबी तो प्रकृति स्वयं इसका न्याय करने का कदम उठाएंगी।