चीन का Defence बजट भारत से 3 गुना ज्यादा… अमेरिका से 4 गुना कम

एजेंसी, बीजिंग

चीन ने अपने सालाना रक्षा ( Defence ) बजट में 7.2 प्रतिशत की बढ़त की है। इस साल यह 249 अरब डॉलर (1.78 ट्रिलियन युआन) हो गया। यह भारत के 79 अरब डॉलर के सैन्य बजट के मुकाबले करीब 3 गुना ज्यादा है। लेकिन अमेरिका से 4 गुना कम है।

चीन का Defence बजट अमेरिका से चार गुना कम

टीओआई के मुताबिक एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि चीन का वास्तविक डिफेंस ( Defence ) खर्च उसकी तरफ से बताए गए खर्च से 40-50 प्रतिशत ज्यादा है। चीन अपने सैन्य खर्च को कम दिखाने के लिए अलग-अलग सेक्टर के तहत धन आवंटित करता है। चीन अमेरिका के बाद सेना पर सबसे ज्यादा खर्च करता है। अमेरिका का रक्षा बजट 950 अरब डॉलर के करीब है। जो चीन के बजट से 4 गुना से भी ज्यादा है।

चीन का मकसद ताइवान के मामले में बाहरी हस्तक्षेप रोकना

चीन वर्तमान वैश्विक उथल-पुथल के बीच इंडो-पैसेफिक और उसके आस पास के इलाकों में विरोधियों से निपटने के लिए आर्मी, नेवी, एयरफोर्स, न्यूक्लियर, स्पेस और साइबर क्षेत्रों में अपनी क्षमताओं को बढ़ा रहा है। चीन अपनी 20 लाख की संख्या वाली पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के लगातार आधुनिकीकरण करने के लिए कदम उठा रहा है। उसका मकसद ताइवान में किसी भी तीसरे पक्ष का हस्तक्षेप रोकना और साउथ-ईस्ट चीनी सागर में अपनी ताकत का प्रदर्शन करना है। चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है, लेकिन ताइवान खुद को एक अलग देश मानता है। ताइवान को अलग देश के रूप में अब तक मान्यता नहीं मिली है।

भारत के सैन्य बजट का 75 प्रति. सैलरी-पेंशन पर खर्च होता है

फिलहाल भारत का डिफेंस बजट जीडीपी का 1.9 प्रतिशत है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि चीन और पाकिस्तान दोनों को एक साथ काउंटर करने के लिए इसे जीडीपी का कम से कम 2.5 प्रतिशत होना चाहिए। भारत अपनी 14 लाख की सेना की सैलरी और पेंशन पर अपने डिफेंस बजट का 75 प्रतिशत हिस्सा खर्च करता है, जिससे उसके पास सैन्य आधुनिकीकरण के लिए सिर्फ 25 प्रतिशत ही बचता है। भारतीय वायुसेना को विमानों की 42 स्क्वॉड्रन की जरूरत है। इसके बजाय वायुसेना के पास सिर्फ 31 स्क्वॉड्रन हैं। इसमें भी सक्रिय स्क्वॉड्रन की संख्या 29 ही हैं। मिग 29 बाइसन की 2 स्क्वॉड्रन इसी साल रिटायर हो जांएगी। एक स्क्वॉड्रन में 18 विमान होते हैं। इस हिसाब से वायुसेना के पास 234 विमानों की बड़ी कमी है।

चीन के पास 600 से ज्यादा ऑपरेशनल न्यूक्लियर वॉर-हेड

भारत स्वदेशी चौथी पीढ़ी के तेजस फाइटर जेट्स प्रोडक्शन पर काम कर रहा है। जबकि इसके मुकाबले चीन पांचवीं जनरेशन के जे-20 स्टेल्थ फाइटर जेट्स की तैनाती के बाद अब छठी जनरेशन के प्रोटोटाइप भी प्रदर्शित कर रहा है। चीन किसी भी अन्य देश के मुकाबले अपने न्यूक्लियर जखीरा तेजी से बढ़ा रहा है। फिलहाल उसके पास 600 से ज्यादा ऑपरेशनल न्यूक्लियर वॉर-हेड हैं और 2035 तक यह संख्या 1,000 को पार कर सकती है। वहीं, चीन 370 से ज्यादा युद्धपोत और पनडुब्बियों के साथ दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना होने का भी दावा करता है।