दिल्ली की राजनीति उस समय हिल गई जब सोमवार, 20 अगस्त की सुबह मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर उनके ही आवास पर आयोजित जनसुनवाई कार्यक्रम के दौरान हमला कर दिया गया। यह घटना उस समय हुई जब वे आम नागरिकों की शिकायतें सुन रही थीं। हमलावर ने खुद को शिकायतकर्ता के रूप में पेश किया और मौका मिलते ही अचानक मुख्यमंत्री पर झपट पड़ा। घटना के बाद वहां अफरा-तफरी का माहौल बन गया।
आरोपी तुरंत पुलिस की गिरफ्त में
जानकारी के अनुसार आरोपी की उम्र लगभग 41 वर्ष बताई जा रही है। वह कुछ दस्तावेज लेकर मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचा था। दस्तावेज दिखाने के बहाने बातचीत के दौरान उसने पहले सीएम को थप्पड़ मारा और फिर उनके बाल खींचे। हालांकि मौके पर मौजूद सुरक्षा कर्मियों ने तुरंत कार्रवाई करते हुए हमलावर को काबू में कर लिया। फिलहाल पुलिस आरोपी से पूछताछ कर रही है और यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि उसने हमला क्यों किया।
मुख्यमंत्री अस्पताल में भर्ती
हमले के बाद मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को तत्काल पास के अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका इलाज जारी है। डॉक्टरों ने बताया कि उन्हें हल्की चोटें आई हैं और फिलहाल उनकी हालत स्थिर है। इस घटना के कारण न केवल राजनीतिक हलकों में हलचल मची है, बल्कि आम जनता के बीच भी सुरक्षा व्यवस्थाओं पर सवाल उठने लगे हैं।
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष ने की निंदा
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने इस हमले की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि, “जनसुनवाई कार्यक्रम का उद्देश्य जनता की समस्याओं को हल करना होता है, ऐसे में वहां हमला होना बेहद निंदनीय है। एक महिला मुख्यमंत्री के साथ इस तरह का व्यवहार पूरी तरह अस्वीकार्य है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि राजनीति में हिंसा का कोई स्थान नहीं होना चाहिए और लोकतांत्रिक व्यवस्था में असहमति को संवाद के माध्यम से व्यक्त किया जाना चाहिए।
आम आदमी पार्टी की प्रतिक्रिया
आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी ने भी इस घटना को लेकर गहरा दुख जताया। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में विरोध और असहमति की जगह होती है, लेकिन हिंसा को किसी भी स्थिति में सही नहीं ठहराया जा सकता। आतिशी ने पुलिस से मांग की कि दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए और साथ ही मुख्यमंत्री के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना भी की।
सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल
दिल्ली पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और इसे एक बड़ी सुरक्षा चूक माना जा रहा है। पुलिस आयुक्त एसबीके सिंह ने स्वयं जांच की निगरानी करने का निर्णय लिया है। चूंकि जनसुनवाई का आयोजन मुख्यमंत्री आवास पर हर हफ्ते होता है, इसलिए इस घटना ने सुरक्षा इंतजामों की मजबूती पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। पुलिस सूत्रों के अनुसार, आरोपी से लगातार पूछताछ जारी है और जल्द ही हमले की असली वजह सामने आने की संभावना है।
लोकतंत्र में हिंसा की जगह नहीं
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह की घटनाएं लोकतंत्र की मूल भावना को ठेस पहुंचाती हैं। जनता और नेताओं के बीच संवाद का मंच जनसुनवाई होता है, जहां शिकायतों को सुना और समाधान खोजा जाता है। ऐसे समय में हिंसा न केवल लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है, बल्कि सुरक्षा एजेंसियों की जिम्मेदारी पर भी सवाल उठाती है। अब सभी की निगाहें पुलिस की जांच और आगे उठाए जाने वाले कदमों पर टिकी हैं।