दिल्ली सरकार ने आबकारी नियमों में किया बड़ा बदलाव, शराब रखने और सैक्रामेंटल वाइन हासिल करने की प्रक्रिया हुई आसान

दिल्ली सरकार ने राजधानी में शराब रखने और इसकी खरीद-फरोख्त से जुड़े नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। सरकार ने ‘दिल्ली आबकारी नियम, 2010’ में संशोधन किया है, जिसका उद्देश्य प्रक्रियाओं को सरल बनाना और अनावश्यक जटिलताओं को कम करना है। इस कदम से न केवल आम नागरिकों को राहत मिलेगी, बल्कि धार्मिक संस्थानों के लिए भी वाइन प्राप्त करना आसान हो जाएगा।

इन नए नियमों को लेकर आबकारी विभाग ने एक अधिसूचना जारी की है। इस बदलाव का सबसे बड़ा असर चर्च और अन्य ईसाई धार्मिक संस्थानों पर पड़ेगा, जिन्हें अब ‘सैक्रामेंटल वाइन’ (पवित्र वाइन) प्राप्त करने के लिए लंबी प्रक्रिया से नहीं गुजरना होगा।

सैक्रामेंटल वाइन के लिए अब परमिट की जरूरत नहीं

संशोधित नियमों के तहत, दिल्ली सरकार ने चर्चों और धार्मिक संस्थानों को बड़ी राहत दी है। अब उन्हें धार्मिक अनुष्ठानों के लिए इस्तेमाल होने वाली सैक्रामेंटल वाइन खरीदने के लिए आबकारी विभाग से परमिट लेने की आवश्यकता नहीं होगी। पहले इसके लिए एल-42 लाइसेंस की जरूरत होती थी, जिसे अब समाप्त कर दिया गया है।

नए नियमों के मुताबिक, धार्मिक प्राधिकरण अब सीधे एल-1 लाइसेंस धारकों (थोक विक्रेताओं) या अन्य खुदरा दुकानों से वाइन खरीद सकेंगे। इसके लिए उन्हें केवल एक प्रमाण पत्र की आवश्यकता होगी, जिसे संबंधित जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) द्वारा जारी किया जाएगा। यह प्रमाण पत्र इस बात की पुष्टि करेगा कि वाइन का उपयोग केवल धार्मिक उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है।

घरों में शराब रखने के नियम हुए स्पष्ट

सरकार ने घरों में शराब रखने की सीमा (पजेशन लिमिट) से जुड़े नियमों को भी स्पष्ट किया है। हालांकि, शराब रखने की अधिकतम सीमा में कोई बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन नियमों की भाषा को सरल बनाया गया है ताकि भ्रम की स्थिति न रहे। दिल्ली में एक व्यक्ति अपने घर में अधिकतम 18 लीटर शराब (बीयर और वाइन सहित) रख सकता है।

अधिसूचना में यह भी साफ किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति निर्धारित सीमा से अधिक शराब रखना चाहता है, तो उसे विशेष लाइसेंस (एल-30) के लिए आवेदन करना होगा। यह लाइसेंस सालाना आधार पर जारी किया जाता है और इसके लिए एक निश्चित शुल्क चुकाना होता है।

आबकारी राजस्व बढ़ाने की कवायद

जानकारों का मानना है कि इन बदलावों के पीछे सरकार का उद्देश्य आबकारी राजस्व को बढ़ाना और काले बाजार पर लगाम लगाना है। नियमों को सरल बनाकर सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि लोग वैध तरीके से शराब की खरीद करें। इससे पहले भी दिल्ली सरकार ने अपनी आबकारी नीति में कई प्रयोग किए थे, हालांकि विवादों के चलते पुरानी नीति को वापस लागू करना पड़ा था।

ताजा अधिसूचना में यह भी उल्लेख किया गया है कि होटलों, क्लबों और रेस्तरां में बची हुई शराब (लेफ्ट ओवर लिकर) के निपटान के नियमों में भी कुछ रियायतें दी गई हैं। इससे हॉस्पिटालिटी सेक्टर को भी थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।

गौरतलब है कि दिल्ली में शराब नीति हमेशा से चर्चा का विषय रही है। हालिया संशोधन प्रशासनिक सुधारों का हिस्सा माने जा रहे हैं, जिसका मकसद सिस्टम को पारदर्शी और सुगम बनाना है। धार्मिक संस्थानों ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है, क्योंकि इससे उनकी धार्मिक प्रक्रियाओं में आने वाली बाधाएं दूर होंगी।