दिल्ली सरकार का बड़ा फैसला, छोटे अपराधों के लिए अब नहीं होगी जेल, ‘सामुदायिक सेवा’ का नया कानून होगा लागू

दिल्ली सरकार ने आपराधिक न्याय प्रणाली में एक बड़े सुधार की ओर कदम बढ़ाया है। सरकार एक ऐसा कानून लाने जा रही है, जिसके तहत छोटे-मोटे अपराधों के लिए लोगों को अब जेल नहीं भेजा जाएगा। इसके बजाय, उन्हें सजा के तौर पर ‘सामुदायिक सेवा’ (Community Service) करनी होगी। इस पहल का उद्देश्य जेलों में कैदियों की भीड़ कम करना और छोटे अपराध करने वालों को सुधारने का मौका देना है।

दिल्ली के गृह मंत्री कैलाश गहलोत ने इस प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी है। अब इसे अंतिम स्वीकृति के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास भेजा गया है। भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 23 के तहत सामुदायिक सेवा को एक दंड के रूप में शामिल किया गया है, और इसी के आधार पर दिल्ली सरकार यह नया नियम लागू करने जा रही है।

क्या होगी ‘सामुदायिक सेवा’?

नये नियमों के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति पहली बार कोई छोटा अपराध करता है, तो उसे जेल भेजने के बजाय समाज सेवा के कार्य सौंपे जाएंगे। इसमें कई तरह के काम शामिल हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, दोषी व्यक्ति को सार्वजनिक स्थानों की सफाई करनी पड़ सकती है या पेड़-पौधे लगाने और उनकी देखभाल करने का जिम्मा दिया जा सकता है।

इसके अलावा, रैन बसेरों या अनाथालयों में सेवा करना भी सजा का हिस्सा हो सकता है। ट्रैफिक नियमों का पालन करवाने में पुलिस की मदद करना या नशामुक्ति केंद्रों में सहायता करना भी सामुदायिक सेवा के दायरे में आएगा। सरकार का मानना है कि इससे अपराधी को समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी का अहसास होगा।

किन अपराधों पर लागू होगा नियम?

यह कानून मुख्य रूप से उन अपराधों पर लागू होगा जो गंभीर प्रकृति के नहीं हैं। इसमें 5,000 रुपये से कम की चोरी, मानहानि, या सार्वजनिक रूप से नशा करके हंगामा करना जैसे मामले शामिल हैं। आत्महत्या का प्रयास करने वालों को भी जेल भेजने के बजाय सामुदायिक सेवा का विकल्प दिया जा सकता है।

अधिकारियों का कहना है कि अक्सर छोटे अपराधों में भी लोगों को जेल हो जाती है, जिससे वे पेशेवर अपराधियों के संपर्क में आ जाते हैं। सामुदायिक सेवा का प्रावधान उन्हें इस संगत से बचाएगा और उन्हें मुख्यधारा में लौटने का अवसर देगा।

निगरानी की व्यवस्था

सामुदायिक सेवा की सजा पाने वाले व्यक्तियों पर निगरानी रखने के लिए भी एक तंत्र विकसित किया जाएगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि दोषी व्यक्ति दी गई सजा को ईमानदारी से पूरा करे। यह काम प्रोबेशन अधिकारी या कोर्ट द्वारा नियुक्त किसी अधिकारी की देखरेख में होगा। यदि कोई व्यक्ति सामुदायिक सेवा करने में आनाकानी करता है या नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसे वापस जेल भेजने का प्रावधान भी रखा जा सकता है।

इस कदम को जेल सुधारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है। दिल्ली की जेलों में क्षमता से अधिक कैदी हैं, और इस नियम के लागू होने से जेल प्रशासन पर दबाव कम होने की उम्मीद है।