दिल्ली में जहरीली हवा का दोहरा दंश: ‘अमीर फैलाते हैं प्रदूषण, गरीब झेलते हैं मार’ – CJI सूर्यकांत का बड़ा बयान

New Delhi : देश की राजधानी दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में वायु प्रदूषण के लगातार बिगड़ते स्तर पर चिंता व्यक्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 17 दिसंबर को निर्धारित की है।
सोमवार को मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत, न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची और न्यायमूर्ति विपुल एम पामचोली की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह की दलीलों पर ध्यान दिया, जो इस मामले में एमिकस क्यूरी (न्याय मित्र) के रूप में अदालत की सहायता कर रही हैं।
न्यायालय की टिप्पणी: प्रदूषण पर सामाजिक-आर्थिक विषमता
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने एक अत्यंत महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि “प्रदूषण की मार सबसे ज्यादा गरीबों पर पड़ती है, जबकि प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों में अक्सर संपन्न वर्ग की भूमिका होती है।”
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रदूषण का सबसे गहरा और सीधा असर समाज के गरीब तबके पर, खासकर गरीब मजदूरों पर पड़ता है, जैसा कि एमिकस क्यूरी अपराजिता सिंह ने भी सहमति जताते हुए कहा। यह टिप्पणी वायु प्रदूषण के संकट को केवल पर्यावरण के मुद्दे के बजाय एक सामाजिक न्याय के मुद्दे के रूप में स्थापित करती है।
आदेशों का अनुपालन नहीं: राज्य सरकारों पर सवाल
वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने अदालत को बताया कि प्रदूषण नियंत्रण से जुड़े प्रोटोकॉल और मानक मौजूद है, लेकिन राज्य सरकारें उनका प्रभावी ढंग से पालन नहीं कर रही हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक अदालतें स्पष्ट और कड़े निर्देश नहीं देती, तब तक राज्य सरकारें प्रदूषण से निपटने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाती हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि अदालत के आदेशों को दरकिनार करने के लिए राज्य सरकारों द्वारा “तरीके और साधन” अपनाए जा रहे हैं।
एक उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने दिसंबर-जनवरी के दौरान खेल गतिविधियों पर रोक लगाने का निर्देश दिया था, लेकिन इसके बावजूद कई जगहों पर खेल आयोजनों का सिलसिला जारी है।
उन्होंने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि आयोग सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला तो दे रहा है, लेकिन जमीनी स्तर पर वायु गुणवत्ता में कोई सुधार दिखाई नहीं दे रहा है।
प्रभावी और अनुपालन योग्य आदेशों पर जोर
CJI सूर्यकांत ने एमिकस क्यूरी की दलीलों पर सहमति व्यक्त करते हुए कहा कि न्यायालय इस समस्या से पूरी तरह अवगत है। उन्होंने आश्वासन दिया कि अदालत केवल ऐसे ही आदेश पारित करेगी, जो प्रभावी हों और जिनका अनुपालन सुनिश्चित कराया जा सके।
हालाकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि महानगरों में लोगों की एक विशिष्ट जीवनशैली होती है, जिसे बलपूर्वक बदलना आसान नहीं होता, और कुछ निर्देशों को “जबरन लागू” करना पड़ता है।
न्यायालय को यह भी बताया गया कि बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे पर एक अलग आवेदन दायर किया गया है। अंत में, CJI ने स्पष्ट किया कि दिल्ली-एनसीआर वायु प्रदूषण से जुड़े इस महत्वपूर्ण मामले को विस्तार से विचार करने के लिए 17 दिसंबर को पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाएगा।