सुप्रीम कोर्ट में EVM-VVPAT के 100 फीसदी मिलान की मांग खारिज

स्वतंत्र समय, नई दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट ने बैलट पेपर से चुनाव कराने और इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और वीवीपैट ( EVM-VVPAT ) स्लिप की 100 प्रतिशत क्रॉस-चेकिंग कराने से जुड़ी याचिकाएं खारिज कर दीं। लेकिन एक बड़ा फैसला भी दिया। कोर्ट ने ईवीएम के इस्तेमाल के 42 साल के इतिहास में पहली बार जांच का रास्ता खोल दिया। सुनवाई शुक्रवार को हुई जिसमें जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने फैसला सुनाया।

EVM-VVPAT से वोट देने की प्रोसेस में कोई बदलाव नहीं

देश में 1982 में पहली बार केरल में ईवीएम से विधानसभा चुनाव हुए थे। सुप्रीम कोर्ट में चुनौती के बाद इन्हें रद्द कर दिया गया था। इस केस में 3 पक्ष शामिल थे। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म यानी याचिकाकर्ता, चुनाव आयोग, केंद्र सरकार। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से आम आदमी की वोट देने की प्रोसेस में कोई बदलाव नहीं होगा। वोटर पोलिंग बूथ जाएगा। अंगुली पर स्याही लगेगी। चुनाव अधिकारी कंट्रोल यूनिट का बटन दबाएगा। वोटर बैलट यूनिट में कैंडिडेट के नाम के सामने का बटन दबाएगा और फिर कुछ सेकेंड तक वीवीपैट की लाइट में अपनी पर्ची देख सकेगा।

प्रत्याशी की शिकायत पर 5 फीसदी ईवीएम की होगी जांच

इस फैसले के बाद राजनीतिक पार्टियां और प्रत्याशियों के लिए एक रास्ता खुला है। वे ईवीएम की जांच करवा सकेंगे। दूसरे या तीसरे नंबर पर आने वाले किसी प्रत्याशी को शक है तो वह रिजल्ट घोषित होने के 7 दिन के भीतर शिकायत कर सकता है। शिकायत के बाद ईवीएम बनाने वाली कंपनी के इंजीनियर्स इसकी जांच करेंगे। किसी भी लोकसभा क्षेत्र में शामिल विधानसभा क्षेत्रवार की टोटल ईवीएम में से 5 प्रतिशत मशीनों की जांच हो सकेगी। इन 5 प्रतिशत ईवीएम को शिकायत करने वाला प्रत्याशी या उसका प्रतिनिधि चुनेगा। इस जांच का खर्च कैंडिडेट को ही उठाना होगा। चुनाव आयोग ने बताया- जांच की समय सीमा और खर्च को लेकर जल्द ही जानकारी शेयर की जाएगी। जांच के बाद अगर ये साबित होता है कि ईवीएम से छेड़छाड़ की गई है तो शिकायत करने वाले कैंडिडेट को जांच का पूरा खर्च लौटा दिया जाएगा।

यह फैसला विपक्ष के मुंह पर तमाचा: मोदी

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार के अररिया में चुनावी सभा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय का फैसला विपक्ष के मुंह पर करारा तमाचा है। विपक्ष को देश से माफी मांगनी चाहिए। इन्होंने बैलेट पेपर लूटकर राज किया। ये ईवीएम हटाना चाहते हैं, इनके सपने चूर-चूर हो गए।

40 बार अदालतों ने याचिकाएं कीं खारिज

चुनाव आयोग के अधिकारी ने फैसले के बाद कहा कि ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने वाली याचिकाओं को अदालतें 40 बार खारिज कर चुकी हैं। अधिकारी ने मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के बयान का जिक्र किया। इसमें राजीव कुमार ने कहा था कि ईवीएम 100 फीसदी सुरक्षित हैं और राजनीतिक दल भी यह जानते हैं कि ये मशीनें निष्पक्ष हैं। उन्होंने कहा था-ईवीएम की वजह से ही राजनीतिक दल अस्तित्व में आए हैं। कई छोटी पार्टियां हैं, जो बैलट पेपर के युग में शायद अस्तित्व में नहीं आतीं।