एक बार फिर मुखिया विहीन हुआ Department of Water Resources

स्वतंत्र समय, भोपाल

गर्मी की आहट के साथ ही प्रदेश में जल संकट भी दस्तक देने लगा है। ऐसे में जल संसाधन विभाग ( Department of Water Resources ) की भूमिका बढ़ जाती है, ताकि प्रदेशभर में जल आपूर्ति की व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके। लेकिन ऐसी स्थिति में जल संसाधन विभाग मुखिया विहीन हो गया है। दरअसल, जल संसाधन विभाग के प्रमुख अभियंता (ईएनसी) बनाए गए शिरीष मिश्रा को हाईकोर्ट के निर्देश पर अधीक्षण यंत्री (एसई) बना दिया गया है। मप्र के इतिहास में शायद इस तरह का पहला मामला है। इसके साथ ही जल संसाधन विभाग एक बार फिर मुखिया विहीन हो गया है। गौरतलब है कि जल संसाधन महकमा इंजीनियरों की कमी से जूझ रहा है। यहां स्थिति यह है कि कार्यपालन यंत्री के पद पर काम करने वालों को चीफ इंजीनियर पद का प्रभार सौंपा गया है। इसके पहले विभाग में इंजीनियरों की वरिष्ठता की अनदेखी करते हुए संविदा पर प्रमुख अभियंता की पदस्थापना भी की जा चुकी है। दरअसल, 22 फरवरी को प्रदेश सरकार ने जल संसाधन विभाग के सेवानिवृत्ति अधीक्षण यंत्री शिरीष मिश्रा को एक वर्ष की संविदा नियुक्ति देकर विभाग का मुखिया यानी प्रमुख अभियंता बना दिया। जानकारों का कहना है कि यह नियमों के विरूद्ध है। मिश्रा को ईएनसी बनाए जाने का विरोध विभाग में ही शुरू हो गया है।

 Department of Water Resources का प्रमुख अभियंता बना दिया

शिरीष मिश्रा को जल संसाधन विभाग का प्रमुख अभियंता (ईएनसी) बनाए जाने के आदेश के विरुद्ध जल संसाधन विभाग ( Department of Water Resources ) के एक कार्यपालन यंत्री पीडी खरे ने हाईकोर्ट जबलपुर का दरवाजा खटखटाया। खरे के वकील हिमांशु मिश्रा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की कि मध्यप्रदेश सरकार ने 22 मार्च को एक आदेश जारी कर अधीक्षण यंत्री के पद से सेवानिवृत्त हुए व्यक्ति को एक साल के लिए संविदा नियुक्ति देकर जल संसाधन विभाग का प्रमुख अभियंता बना दिया। यह नियम विरुद्ध है, किसी व्यक्ति को संविदा नियुक्ति देकर एक साथ दो पदोन्नति नहीं दी जा सकती। हाईकोर्ट के विद्वान न्यायाधीश संजय द्विवेदी ने 21 मार्च 2024 को जारी आदेश में 22 फरवरी 2024 को मध्यप्रदेश सरकार द्वारा शिरीष मिश्रा को प्रमुख अभियंता बनाए जाने संबंधी आदेश पर रोक लगा दी है। न्यायालय ने 7 मई 2024 को राज्य सरकार को अपना पक्ष रखने के निर्देश दिए हैं। साथ ही यह भी कहा है कि सरकार विभाग के किसी नियमित मुख्य अभियंता को प्रमुख अभियंता का प्रभार दे सकती है।

सरकार के सामने समस्या खड़ी

सरकार ने हाईकोर्ट के निर्देश के बाद शिरीष मिश्रा को अधीक्षण यंत्री (एसई) बना दिया है, लेकिन अब मामला काफी जटिल हो गया है, क्योंकि जल संसाधन विभाग में एक भी नियमित मुख्य अभियंता नहीं है। अब देखना यह है कि सरकार क्या निर्णय लेती है। अन्यथा आगामी सात मई तक जल संसाधन विभाग प्रमुख अभियंता विहीन रहेगा। बड़ा सवाल यह भी है कि एक माह तक प्रमुख अभियंता रहने वाले शिरीष मिश्रा क्या अधीक्षण यंत्री पद का कार्यभार ग्रहण करेंगे। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार जल संसाधन विभाग में पदस्थ कई इंजीनियर दस से बारह से अधीक्षण यंत्री के पद पर काम कर रहे हैं।
लेकिन वे प्रमुख अभियंता नहीं बन सके। ये अधिकारी मुख्य अभियंता पद से रिटायर हो रहे हैं। ऐसे अधीक्षण यंत्रियों की संख्या दस बताई जा रही है जो प्रमुख अभियंता के पद की पात्रता के बाद भी वंचित हैं। इधर, संविदा पर प्रमुख अभियंता का पद भरने की कार्यवाही जल संसाधन विभाग के अफसरों ने कर दी है। विभागीय पदोन्नति की जो व्यवस्था है उसके अनुसार 5 साल तक सहायक यंत्री पद पर कार्य करने के बाद कार्यपालन यंत्री बनाया जाता है तथा 5 साल की सेवा के बाद कार्यपालन यंत्री को अधीक्षण यंत्री बनाया जाता है। इसी प्रकार 5 साल या 3 साल की सेवा करने के बाद अधीक्षण यंत्री को मुख्य अभियंता बनाया जा सकता है। 3 साल की सेवा पूर्ण करने पर या वरिष्ठ मुख्य अभियंता को प्रमुख अभियंता मेंबर इंजीनियर एवं सचिव बनाया जा सकता है। प्रदेश में अप्रैल 2016 के बाद इंजीनियर पदोन्नति से वंचित हैं। विभाग में बीते छह माह से पदोन्नति नहीं की गई है, जिसकी वजह से अधिकांश पदों पर एसडीओ को कार्यपालन यंत्री, कार्यपालन यंत्री को अधीक्षण यंत्री का और अधीक्षण यंत्री को चीफ इंजिनियर का प्रभार देकर काम चलाया जा रहा है। यह बात अलग है कि इस बीच विभाग के आला अफसरों ने अपने चहेते अफसरों को उपकृत करने के लिए दो उपयंत्रियों को पदोन्नत कर प्रभारी एसडीओ के पद पर जरूर पदस्थ कर दिया है। उन्हें पदोन्नति देने के लिए 2016 में हुई डीपीसी को आधार बनाया गया है।