उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी : सीताकुंड मेला अब बिहार मेला प्राधिकरण के अधीन

सम्राट चौधरी : बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने बताया कि मुंगेर में होने वाला ‘सीताकुंड मेला’ अब बिहार मेला प्राधिकार के तहत चलेगा। इसके लिए नियम बनाकर अधिसूचना तैयार कर ली गई है। इस फैसले से मेले का महत्व बढ़ेगा और यह और बड़ा होगा। इससे स्थानीय लोगों को ज्यादा रोजगार के मौके मिलेंगे। सीताकुंड गंगा नदी के किनारे है और मुंगेर शहर से 8 किलोमीटर दूर है। माना जाता है कि यहां माता सीता ने अग्नि परीक्षा दी थी, इसलिए यह जगह श्रद्धालुओं के लिए बहुत खास है।

विदेशियों समेत हजारों श्रद्धालु करते हैं दर्शन

सम्राट चौधरी ने बताया कि सीताकुंड मेला हर साल माघी पूर्णिमा से शुरू होकर फाल्गुन पूर्णिमा तक चलता है। यह मेला लगभग एक महीने तक रहता है। इस मेले में मुंगेर के साथ-साथ भागलपुर, खगड़िया, बेगूसराय, सहरसा, पूर्णिया, लखीसराय और आसपास के जिलों से लाखों श्रद्धालु आते हैं। पूरे साल करीब 5000 विदेशी पर्यटक भी सीताकुंड मंदिर में दर्शन और पूजा करने आते हैं, जिससे यह मेला दुनिया भर में प्रसिद्ध है।

धार्मिक पहलू और महत्व

उपमुख्यमंत्री ने बताया कि सीताकुंड के अंदर माता सीता, भगवान राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के नाम पर पांच कुण्ड हैं। लोगों का मानना है कि माता सीता के कुण्ड से गर्म पानी निकलता है क्योंकि उन्होंने अग्नि परीक्षा दी थी। बाकी चार कुण्डों से ठंडा पानी आता है। इस वजह से यह जगह सिर्फ आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि रहस्यमय और खास जगह भी बन गई है।

व्यापार से स्थानीय अर्थव्यवस्था को फायदा

मेले के दौरान बहुत सारी फर्नीचर और दूसरी दुकानें लगती हैं। गंगा नदी के पास होने की वजह से कुछ श्रद्धालु जलमार्ग से भी आते हैं। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे पारंपरिक मेले से स्थानीय व्यापार और कारीगरों को पैसा कमाने में मदद मिलती है। सम्राट चौधरी ने बताया कि सरकार पारंपरिक मेलों को बचाने और बढ़ावा देने के लिए काम कर रही है। अब सीताकुंड मेला मेला प्राधिकार के तहत बेहतर तरीके से चलेगा और इसका विकास होगा।