केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान नेताओं और जनप्रतिनिधियों को एक अहम नसीहत दी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) पर आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने फिजूलखर्ची और बच्चों के पोषण के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया।
प्रधान ने स्पष्ट कहा कि स्वागत-सत्कार में गुलदस्ते देने की परंपरा को बदलना चाहिए और उस पैसे का उपयोग गरीब बच्चों के पोषण के लिए किया जाना चाहिए।

शिक्षा मंत्री ने मंच से ही बीजेपी विधायकों और नेताओं को टोकते हुए कहा कि गुलदस्तों पर खर्च होने वाले पैसे का बेहतर इस्तेमाल हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘स्वागत के दौरान मुझे जो गुलदस्ता दिया जाता है, उसकी कीमत कम से कम 500 रुपये होती है। उसकी लाइफ सिर्फ 20 सेकंड की होती है, बस फोटो खिंचवाने तक। जबकि इतने ही पैसों में 2 किलो सेब खरीदे जा सकते हैं, जो किसी बच्चे के काम आ सकते हैं।’
गुजरात मॉडल का दिया उदाहरण
अपने संबोधन में धर्मेंद्र प्रधान ने गुजरात की एक अच्छी पहल का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि गुजरात में अब गुलदस्तों की जगह फलों की टोकरी देने की परंपरा शुरू की गई है।
उन्होंने मध्य प्रदेश के नेताओं से भी अपील की कि वे गुलदस्ते पर खर्च होने वाले 500 या 1000 रुपये को फल या अन्य पोषण सामग्री पर खर्च करें। उनका मानना है कि शिक्षा को जन-आंदोलन बनाने के लिए सिर्फ सरकारी प्रयास काफी नहीं हैं, समाज को भी इसमें भागीदारी निभानी होगी।
’50 लाख बच्चों ने सेब नहीं देखा’
मध्य प्रदेश के स्कूली बच्चों की पोषण स्थिति पर चिंता जताते हुए केंद्रीय मंत्री ने कुछ चौंकाने वाले आंकड़े और बातें रखीं। उन्होंने कहा, ‘मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ कहता हूं कि मध्य प्रदेश के करीब डेढ़ करोड़ विद्यार्थियों में से 50 लाख बच्चे ऐसे होंगे, जिन्होंने 5वीं कक्षा तक सेब (Apple) नहीं देखा होगा।
अगर देखा भी होगा तो सिर्फ बाजार में, उन्हें खाने का सौभाग्य नहीं मिला होगा। अंजीर जैसी चीज तो शायद उनकी जिंदगी में 10वीं के बाद ही आती होगी।’ उन्होंने यह भी कहा कि कई बच्चों को एक गिलास दूध भी तब नहीं मिल पाता, जब उन्हें उसकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है।
विधायकों को दी ‘भंडारे’ वाली सलाह
कार्यक्रम के दौरान धर्मेंद्र प्रधान ने मंच पर मौजूद बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा और भगवानदास सबनानी को विशेष रूप से संबोधित किया। उन्होंने रामेश्वर शर्मा के बड़े भंडारों का जिक्र करते हुए एक रचनात्मक सुझाव दिया।
“ये हमारे मित्र रामेश्वर शर्मा बड़े-बड़े भंडारे करते हैं, हमारे हिंदू नेता हैं। मैं उनसे निवेदन करता हूं कि इस बार रामेश्वर जी की विधानसभा में कम से कम हफ्ते में एक बार एक बच्चे को एक पीस अंजीर, दो काजू और एक बेसन का लड्डू मिल जाए। शायद उसके न्यूट्रिशनल इंपैक्ट से कोई अब्दुल कलाम निकल सकता है।” — धर्मेंद्र प्रधान, केंद्रीय शिक्षा मंत्री