MP News: बागेश्वर धाम के प्रमुख कथावाचक पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने एक सभा में जात-पात और भेदभाव को समाज के लिए “जहर” बताया और इसे जड़ से समाप्त करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के “बंटेंगे तो कटेंगे” बयान का समर्थन किया। शास्त्री ने कहा कि यदि यह बयान एक साधु के तौर पर दिया गया है, तो वह इसका स्वागत करते हैं।
उन्होंने स्पष्ट किया कि यह बयान राजनीति से जुड़ा हो तो उस पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे, लेकिन एक भारतीय के रूप में यह महत्वपूर्ण है कि समाज में विभाजन न हो। उन्होंने जातिगत और सामाजिक भेदभाव को समाप्त करने का संदेश दिया, जिससे समाज एकजुट और प्रगतिशील बने। यह टिप्पणी उनकी सामाजिक और धार्मिक विचारधारा को रेखांकित करती है, जो भारतीय संस्कृति और एकता को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
पंडित धीरेंद्र शास्त्री शुक्रवार को भोपाल में भाजपा विधायक संजय पाठक के निवास पर पहुंचे, जहां उन्होंने पत्रकारों से चर्चा की। इस दौरान उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के “बंटेंगे तो कटेंगे” बयान का समर्थन करते हुए कहा कि यह नारा बहुत उचित है। उन्होंने कहा, “अगर हम भारतीय आपस में बंटेंगे, तो चीन और पाकिस्तान जैसी विदेशी ताकतें हमें नुकसान पहुंचाएंगी।” उन्होंने इसे एक महात्मा और कट्टर हिंदू के नाते दिया गया सही संदेश बताया। उनका कहना था कि भारतीयों को एकजुट रहना चाहिए, क्योंकि एकता ही हमारी ताकत है।
पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने इस मौके पर जात-पात और भेदभाव मिटाने की भी बात कही और इसे समाज के लिए “जहर” बताया। उनकी टिप्पणियां सामाजिक और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने की दिशा में थीं। पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने हाल ही में एक कार्यक्रम में जात-पात और भेदभाव को नकारने और भारतीय एकता को अपनाने का संदेश दिया। उन्होंने कहा, “हम ब्राह्मण, वैश्य, कायस्थ हो सकते हैं, लेकिन हमें सबसे पहले हिंदुस्तानी बनना होगा।” उन्होंने चिंता व्यक्त की कि सनातन धर्म को मानने वालों की संख्या तेजी से घट रही है, जबकि अन्य धर्मों के अनुयायियों की संख्या में वृद्धि हो रही है।
उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि हिंदुओं की आबादी पहले 90 प्रतिशत से अधिक थी, लेकिन अब यह 80 प्रतिशत से भी कम हो गई है। इसके विपरीत, इस्लाम धर्म को मानने वालों की संख्या 6 प्रतिशत से बढ़कर 22 प्रतिशत तक पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि हिंदुओं के लिए भारत ही एकमात्र स्थान है, और इसीलिए यहां जन जागरूकता बढ़ाना बेहद जरूरी है।
पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने 21 से 29 नवंबर के बीच “राम राज पदयात्रा” आयोजित करने की घोषणा की। यह यात्रा बागेश्वर धाम से राम राजा सरकार, ओरछा तक निकाली जाएगी। इस यात्रा का उद्देश्य सनातन धर्म को बढ़ावा देना और समाज में एकता एवं जागरूकता फैलाना है। उनकी इस पहल का उद्देश्य समाज को एकजुट करना और भारतीय संस्कृति एवं सनातन परंपराओं को संरक्षित रखना है।
पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कुंभ स्नान में गैर-हिंदुओं की एंट्री पर प्रतिबंध के अपने बयान को लेकर अपनी राय स्पष्ट की है। उन्होंने कहा, “हमने कहा है कि मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है। मक्का-मदीना में हमें नहीं बुलाया जाता, तो गैर-हिंदुओं को कुंभ में क्यों आने दिया जाए?” उन्होंने यह भी कहा कि कुंभ मेले का महत्व समझने के लिए त्रिवेणी संगम, संतों की परंपराओं, और सनातन धर्म की गहराई का ज्ञान होना चाहिए। उन्होंने तर्क दिया कि जिन लोगों को हिंदू परंपराओं और धार्मिक मान्यताओं की समझ नहीं है, वे कुंभ जैसे धार्मिक आयोजन में आकर क्या करेंगे।
उनके इस बयान ने धार्मिक आयोजनों में अन्य धर्मों की सहभागिता पर एक बहस छेड़ दी है। हालांकि, पंडित शास्त्री ने इसे सनातन धर्म और उसकी परंपराओं की रक्षा के लिए एक कदम बताया। उनका कहना था कि जैसे अन्य धर्मों के पवित्र स्थलों में गैर-धर्मावलंबियों को प्रवेश की अनुमति नहीं होती, वैसे ही सनातन धर्म के आयोजनों में भी यही नीति अपनाई जानी चाहिए। यह बयान धार्मिक एकता और सहिष्णुता के मुद्दे पर विभिन्न दृष्टिकोणों को उजागर करता है और समाज में एक व्यापक चर्चा का विषय बना है।
पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने भारत में घुसपैठियों को शरण और सुविधाएं देने की आलोचना करते हुए इसे एक “प्रायोजित षड्यंत्र” करार दिया। उन्होंने कहा कि जो लोग हिंदुत्व से शत्रुता रखते हैं, वंदे मातरम और राष्ट्रगान गाने से परहेज करते हैं, और “गजवा-ए-हिंद” जैसे विचारधाराओं का समर्थन करते हैं, वे देश की जनसंख्या संतुलन को बदलने की साजिश में लगे हैं।
उन्होंने कहा कि विदेशों में रहने वाले उनके समर्थक रोहिंग्या और अन्य घुसपैठियों को भारत बुलाकर भारतीय वोट बैंक को बढ़ाने और सत्ता हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। पंडित शास्त्री ने इस विषय पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि “हमें, भारत सरकार को और हर भारतीय को जागरूक होना पड़ेगा। हम विदेशी शरणार्थियों और देश-विरोधी तत्वों को पनाह नहीं देंगे।”
उनकी टिप्पणी देश में चल रही जनसांख्यिकीय और राजनीतिक बदलावों को लेकर एक चेतावनी के रूप में आई है। यह बयान एक ओर राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता की बात करता है, तो दूसरी ओर देश में धर्म और राजनीति के गहराते जुड़ाव पर भी प्रकाश डालता है। पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने भारतीय क्रिकेट टीम को पाकिस्तान न भेजने के बीसीसीआई के फैसले का समर्थन करते हुए इसे सही ठहराया। उन्होंने पाकिस्तान को “कंगाल” और “भिखमंगा” देश करार देते हुए कहा कि वहां जाने का कोई औचित्य नहीं है।
उन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तान ने हर बार भारत के साथ किए गए समझौतों और वादों को तोड़ा है। उन्होंने आशंका जताई कि पाकिस्तान में भारतीय खिलाड़ियों की सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है, और उन्हें किडनैप किए जाने का खतरा भी हो सकता है। उन्होंने कहा, “पहले पाकिस्तान को भरोसा जीतना होगा और भारत की शरण में आना होगा।” पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने यह भी कहा कि फिलहाल पाकिस्तान चीन की मदद पर निर्भर है और अपनी स्थिति सुधारने के लिए उसे जिम्मेदारी और भरोसेमंद बनने की जरूरत है। उनका यह बयान भारत-पाकिस्तान संबंधों और क्रिकेट के जरिए दोनों देशों के बीच राजनीतिक और कूटनीतिक माहौल पर प्रकाश डालता है।