पोस्टर उतरा या गया ‘मंत्री पद’?- कई संदेश दे गई उतरते पोस्टर की कहानी

मोहन कैबिनेट के मंत्री विजय शाह के पोस्टर जब उनके खुद के विभाग की कार्यशाला से हटाए जा रहे थे तो यह साफ हो गया कि संकट सिर्फ गहराया नहीं है। बल्कि अब सार्वजनिक मंचों पर भी दिखने लगा है। यहां विजय शाह के लिए यह सिर्फ एक पोस्टर नहीं था—
यह उनकी सियासी स्थिति का प्रतीक बन गया है। घटनाक्रम ऐसे घटा कि पूरे प्रदेश में हलचल मचा गया। सबको शायद यह संकेत दिया गया कि देश की वीर सिपाही पर बयानबाजी इतनी सरल नही। उनके सम्मान में मंत्री पद बहुत बौना है। शायद यहीं संदेश ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में आयोजित एक कार्यक्रम से मंत्री शाह का पोस्टर हटा कर दिया गया।

अधिकारियो की बेसब्री बयान कर गई सियासी हलचल
ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर सरकारी कार्यशाला का एक केंद्र बना, वैसे ही वहां का माहौल अचानक राजनीतिक ड्रामे में तब्दील हो गया। यहां जनजातीय कार्य विभाग और वन विभाग की अहम कार्यशाला में इंदौर-उज्जैन संभाग के कलेक्टर, वरिष्ठ अधिकारी, और खुद विभाग के प्रमुख सचिव गुलशन बामरा मौजूद थे। लेकिन कार्यक्रम की शुरुआत से पहले ही एक बड़ा दृश्य सबका ध्यान खींचने लगा। बैकड्रॉप पर कैबिनेट मंत्री विजय शाह और मुख्यमंत्री मोहन यादव की बड़ी मुस्कुराती तस्वीरें। तभी मंच पर पहुंचे आला अधिकारियों की नजर जैसे ही मंत्री विजय शाह के पोस्टर पर पड़ी, वहां हलचल मच गई। नाराज अफसरों ने तुरंत आदेश दिया—”ये तस्वीरें हटाइए!” लेकिन तब तक पोस्टर पूरी तरह सेट हो चुका था और हटाना संभव नहीं था।

फिर शरू हुई तस्वीर छिपाओ मुहिम
तेजी से सफेद कागज़ मंगवाए गए। पोस्टर पर चिपकाए गए। और फिर.- विजय शाह की जगह आ गए खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी! मुस्कुराते चेहरों की अदला-बदली ने वहां मौजूद सभी अफसरों को असहज कर दिया। कोई नजरें चुराने लगा, तो कोई चुपचाप अपनी कुर्सी में दुबक गया। इस सबके बीच एक और बड़ा सवाल तैरने लगा—मंत्री विजय शाह की ये तस्वीरें हटाई क्यों गईं? दरअसल, हाल ही में कर्नल सोफिया कुरैशी पर की गई विवादित टिप्पणी के बाद विजय शाह चौतरफा आलोचना के घेरे में आ गए हैं। हाई कोर्ट के निर्देश पर उनके खिलाफ FIR दर्ज हो चुकी है और अब राजनीतिक गलियारों में उनका विरोध खुलकर सामने आने लगा है। इसके बाद यह बात लगभग तय मानी जा रही है कि मोहन कैबिनेट से उन्हें हटाया जाएगा। क्योकि बात अब सिर्फ बेतुके बयानबाजी की नहीं है बल्कि भाजपा पार्टी और मोहन की कैबिनेट के वर्चस्व और प्रतिष्ठा तक पहुंच चुंकी है।