स्वतंत्र समय, इंदौर
इस आधुनिक युग में जहां हर हाथ में मोबाइल है और इसमें समय बताने वाली घड़ी है ऐसे समय में भी नगर निगम में निगम कर्मियों ( corporate worker ) को आने और जाने का समय बताने के लिए प्रतिदिन घंटा बजाना पड़ रहा है। इसे परंपरा को जारी रखना कहें या कहें कि किसी ने कभी इसकी उपयोगिता प्रासंगिक है या नहीं है इस पर ध्यान ही नहीं दिया ।
20 साल से घंटे बजाने का काम कर रहे corporate worker राजेंद्र
नगर निगम में निगम कर्मियों ( corporate worker ) के सुबह 10 बजे आने दोपहर 1.30 बजे लंच पर जाने और 6 बजे छुट्टी होने के समय की जानकारी नगर निगम में लगे एक घंटे को बजा कर दी जाती है। इसके लिए बकायदा एक कर्मचारी की ड्यूटी लगाई गई है। सुरक्षा कर्मी राजेंद्र चौहान बताते हैं कि पिछले 20 वर्षों से वे समय पर इस घंटे को बजाने का काम करते आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनकी याददाश्त के समय से वे यहां इस घंटे को बजते हुए देख रहे हैं। हालांकि इस घंटे की आवाज अब नगर निगम के परिसर में फैले अन्य कई कार्यालयों तक नहीं पहुंचती है। राजेंद्र चौहान ने बताया कि तीन-चार वर्ष पूर्व विशाल आकार का कांसे से का बना हुआ घंटा टूट गया था इसके स्थान पर नया पीतल का घंटा लगाया गया है। इसे बजाने के लिए विशेष रूप से अमरूद के पेड़ की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है।