Digital Security: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में हाल ही में बढ़ती डिजिटल धोखाधड़ी और साइबर ठगी की घटनाओं पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने लोगों को इस विषय में सतर्क रहने की सलाह दी और एक वीडियो के माध्यम से दिखाया कि किस प्रकार साइबर अपराधी खुद को पुलिस या जांच एजेंसी का अधिकारी बताकर लोगों को डराते हैं और उनसे ठगी करते हैं। प्रधानमंत्री ने लोगों से अपील की कि किसी भी संदिग्ध कॉल या संदेश पर विश्वास न करें और अपनी व्यक्तिगत जानकारी सुरक्षित रखें।
उन्होंने कहा कि लोगों को ऐसे ठगों से बचने के लिए जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है और डिजिटल सुरक्षा को लेकर सतर्क रहना आवश्यक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में डिजिटल सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए लोगों को एक सरल और प्रभावी मंत्र दिया। उन्होंने कहा कि साइबर ठगी से बचने के लिए तीन चरणों का पालन करें: “रुको, सोचो और एक्शन लो”।
1.रुको – किसी भी संदिग्ध कॉल, मैसेज या लिंक पर तुरंत प्रतिक्रिया न दें।
2.सोचो – यह सोचें कि कॉल या संदेश कहां से आया है और उसमें मांगी गई जानकारी कितनी सुरक्षित है।
3.एक्शन लो – अगर कोई जानकारी संदिग्ध लगे तो संबंधित अधिकारियों को सूचित करें और अपनी जानकारी सुरक्षित रखें।
प्रधानमंत्री ने जनता से अपील की कि साइबर ठगी से बचने के लिए इस मंत्र को अपनाएं और सतर्क रहें।
प्रधानमंत्री मोदी ने डिजिटल सुरक्षा के लिए तीन चरणीय प्रक्रिया का विस्तार से उल्लेख किया
1.पहला चरण – “रुको”: कॉल आते ही घबराएं नहीं, शांत रहें, किसी जल्दबाजी में व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें। स्क्रीनशॉट लें और कॉल रिकॉर्डिंग करने का प्रयास करें ताकि संदिग्ध जानकारी सुरक्षित रखी जा सके।
2.दूसरा चरण – “सोचो”: यह ध्यान रखें कि कोई भी सरकारी एजेंसी फोन या वीडियो कॉल पर धमकी नहीं देती, न ही पैसे की मांग करती है। यदि ऐसा कोई अनुरोध आए, तो यह साइबर ठगी का संकेत हो सकता है।
3.तीसरा चरण – “एक्शन लो”: ऐसी स्थिति में तुरंत राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करें या cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें। इसके अलावा, परिवार और पुलिस को सूचित करें और सभी सबूतों को सुरक्षित रखें।
प्रधानमंत्री के इस मंत्र का उद्देश्य लोगों को साइबर अपराध के प्रति सतर्क और सुरक्षित बनाना है।
मध्य प्रदेश, खासकर इंदौर में हाल के दिनों में डिजिटल ठगी के कई मामले सामने आए हैं, जहां साइबर अपराधियों ने हर आयु वर्ग के लोगों को निशाना बनाकर लाखों रुपये ठगे हैं। इन अपराधियों ने न केवल आम नागरिकों बल्कि वैज्ञानिकों, मेट्रो के अधिकारियों, और महिला प्रोफेसरों जैसी प्रतिष्ठित हस्तियों को भी धोखाधड़ी का शिकार बनाया है।
साइबर ठग इन घटनाओं में अक्सर खुद को पुलिस या जांच एजेंसी का अधिकारी बताकर डराने-धमकाने की कोशिश करते हैं और लोगों को भ्रमित कर उनसे पैसे ऐंठ लेते हैं। इस प्रकार के मामलों की बढ़ती संख्या ने सरकार और पुलिस को सतर्क कर दिया है, जिसके चलते प्रधानमंत्री मोदी ने अपने “मन की बात” कार्यक्रम में जनता को सचेत रहने और साइबर अपराध के प्रति जागरूक करने पर जोर दिया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साइबर अपराधियों के खतरनाक तरीकों पर चेतावनी देते हुए कहा कि ठग अक्सर पीड़ितों की निजी जानकारी पहले से जुटा लेते हैं, जैसे कि उनकी नौकरी, बच्चों की पढ़ाई, और अन्य निजी विवरण। ये ठग वीडियो कॉल के माध्यम से खुद को पुलिस या सरकारी अधिकारी की वर्दी में या दफ्तर में बैठे हुए दिखाते हैं, ताकि उनके पास अधिकारिक पहचान का भ्रम पैदा हो। इस दौरान, वे लोगों को धमकाते हैं और मानसिक दबाव डालते हैं ताकि पीड़ित जल्दबाजी में निर्णय लेकर ठगों के झांसे में आ जाए। इसलिए प्रधानमंत्री ने “रुको, सोचो और एक्शन लो” के तीन चरणों का पालन करने पर जोर दिया है ताकि लोग साइबर अपराधियों के शिकार बनने से बच सकें।
प्रधानमंत्री ने “डिजिटल अरेस्ट” जैसी किसी भी व्यवस्था के अस्तित्व से इनकार करते हुए इसे पूरी तरह से फरेब, झूठ, और अपराधियों का षड्यंत्र बताया। उन्होंने कहा कि जो लोग डिजिटल अरेस्ट के नाम पर ठगी कर रहे हैं, वे समाज के दुश्मन हैं। प्रधानमंत्री ने आश्वस्त किया कि इस तरह के साइबर अपराधों से निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर कार्य कर रही हैं, और अपराधियों पर सख्ती से कार्रवाई की जा रही है। इस प्रयास में जांच एजेंसियों के तालमेल के लिए नेशनल साइबर को-ऑर्डिनेशन सेंटर की स्थापना की गई है, जो साइबर अपराधों के मामलों में सहयोग और समन्वय को बढ़ावा देने में सहायक है।