Sardar Ji 3: रिलीज से पहले ही दिलजीत दोसांझ की फिल्म ‘सरदार जी 3’ पर लगा ग्रहण, इस वजह से उठे सवाल

Sardar Ji 3: पंजाबी सुपरस्टार दिलजीत दोसांझ की मोस्ट अवेटेड फिल्म ‘सरदार जी 3’ रिलीज से पहले विवादों में घिर गई है। 27 जून 2025 को सिनेमाघरों में आने वाली इस फिल्म पर बीजेपी चित्रपट कामगार आघाडी ने बैन की मांग की है। इसका कारण फिल्म में पाकिस्तानी कलाकारों—हानिया आमिर, नासिर चिन्योती, डेनियल खावर और सलीम अलबेला—की कथित भागीदारी है। संगठन ने सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) से फिल्म को सेंसर सर्टिफिकेट न देने की अपील की है।

विवाद की शुरुआत हाल के भू-राजनीतिक तनावों से हुई है। 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम के बैसारन वैली में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान गई थी। इसके जवाब में भारत ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया, जिसने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को नष्ट किया। इस दौरान कुछ पाकिस्तानी हस्तियों के भारत विरोधी सोशल मीडिया बयानों ने माहौल को और गर्म कर दिया। बीजेपी यूनियन का कहना है कि ऐसे समय में पाकिस्तानी कलाकारों को भारतीय सिनेमा में जगह देना सैनिकों के बलिदान का अपमान है। उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान ने भारत को अपना दुश्मन घोषित किया है। फिर भी उनके कलाकारों को मौका देना अस्वीकार्य है।’

सरदार जी 3 पर लोगों ने उठाए सवाल

‘सरदार जी 3’ दिलजीत दोसांझ की लोकप्रिय ‘सरदार जी’ फ्रैंचाइजी की तीसरी कड़ी है। अमर हुंदल के निर्देशन में बनी इस फिल्म में नीरू बाजवा, गुलशन ग्रोवर और मनव विज भी मुख्य भूमिकाओं में हैं। पहले दो भागों की जबरदस्त सफलता के बाद फैंस इस फिल्म का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। लेकिन पाकिस्तानी कलाकारों की मौजूदगी ने इसकी रिलीज पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पहले खबर थी कि पहलगाम हमले के बाद हानिया आमिर को हटा दिया गया और उनके सीन दोबारा शूट किए गए। फिर भी, बीजेपी यूनियन का दावा है कि पाकिस्तानी कलाकार अब भी फिल्म का हिस्सा हैं।

सोशल मीडिया पर बंटे फैंस

विवाद के बाद सोशल मीडिया पर फैंस दो धड़ों में बंट गए हैं। कुछ लोग बैन का समर्थन कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, ‘पाकिस्तानी कलाकारों को भारत में काम नहीं करना चाहिए। यह देश की गरिमा का सवाल है।’ वहीं, कुछ फैंस इसे कला पर हमला बता रहे हैं। एक अन्य यूजर ने कहा, ‘कलाकारों का धर्म या देश से कोई लेना-देना नहीं। यह सिर्फ एक फिल्म है।’ सोशल मीडिया पर यह बहस तेज हो रही है कि कला को राजनीति से जोड़ा जाना चाहिए या नहीं।