शासकीय मंदिर की भूमि पर जिला प्रशासन ने लिया कब्जा

जिला कलेक्टर आशीष सिंह के नेतृत्व में आज एक बड़ी  कार्रवाई को अंजाम दिया गया, जिसमें 150 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की बेशकीमती शासकीय भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराया गया। यह जमीन पिपल्याकुमार गांव स्थित खसरा नंबर 206 की थी, जो कि खेड़ापति हनुमान मंदिर और श्रीराम मंदिर के नाम पर दर्ज शासकीय भूमि है। लंबे समय से इस जमीन पर अवैध कब्जा कर निर्माण किए जा रहे थे और खेती भी की जा रही थी।

बटांकन आदेश हुए रद्द, मंदिर की जमीन फिर से सरकार के नाम

कलेक्टर आशीष सिंह ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मंदिर की जमीन से संबंधित सभी नामांतरण और बटांकन आदेशों को निरस्त कर दिया। राजस्व रिकॉर्ड में यह स्पष्ट किया गया कि मंदिर की भूमि का स्वामित्व किसी व्यक्ति विशेष के पास नहीं है, बल्कि इसका अभिरक्षक जिला कलेक्टर होता है। इस आदेश के बाद मंदिर की जमीन को फिर से शासकीय दस्तावेजों में मंदिर और कलेक्टर के नाम दर्ज किया गया।

SDM की निगरानी में अतिक्रमण हटाया गया

एसडीएम प्रदीप सोनी ने जानकारी दी कि जिला प्रशासन और नगर निगम की संयुक्त टीम ने खसरा नंबर 206 की पूरी 1.1890 हेक्टेयर जमीन से अतिक्रमण हटाया। अवैध निर्माणों को मौके पर ही ध्वस्त किया गया और अनधिकृत रूप से बोई गई फसलों को भी हटाया गया। साथ ही उस स्थान पर एक सूचना पट्टिका लगाई गई, जिसमें यह स्पष्ट चेतावनी दी गई है कि यह भूमि शासकीय है और श्रीराम एवं खेड़ापति मंदिर के नाम पर दर्ज है। भविष्य में किसी भी प्रकार का अतिक्रमण, निर्माण या उपयोग कानूनन अपराध माना जाएगा और सख्त दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।

मंदिर की जमीन बेचना पुजारी का अधिकार नहीं

इस पूरे मामले में यह तथ्य भी सामने आया कि कुछ भू-माफियाओं ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पुजारी के माध्यम से जमीन को बेचने का प्रयास किया। जबकि कानून के अनुसार, मंदिर को नाबालिग संस्था माना जाता है और उसकी संपत्तियों की सुरक्षा और देखरेख का अधिकार जिला कलेक्टर को होता है। मंदिर की आय भी सीधे मंदिर के खाते में जानी चाहिए, लेकिन कुछ लोगों ने षड्यंत्रपूर्वक यह प्रक्रिया बिगाड़ने का प्रयास किया।

कलेक्टर ने दिखाया सख्त रवैया

कलेक्टर आशीष सिंह ने इस पूरे प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए, राजस्व बोर्ड के आदेशों का पालन करते हुए सभी अवैध नामांतरण को रद्द कर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार ने कभी भी इस जमीन पर से अपना कब्जा छोड़ा नहीं था, सिर्फ राजस्व रिकॉर्ड में बदलाव किए गए थे। आज की कार्रवाई के जरिए प्रशासन ने जमीन पर पुनः भौतिक कब्जा स्थापित कर दिया।

अब जिलेभर में होगी मंदिर भूमि की सुरक्षा

कलेक्टर ने यह भी संकेत दिया कि यह कार्रवाई केवल एक शुरुआत है। आने वाले दिनों में पूरे जिले में स्थित शासकीय मंदिरों की भूमि की स्थिति की समीक्षा की जाएगी और जहां भी अवैध कब्जे पाए जाएंगे, उन्हें तत्काल हटाया जाएगा। यह कार्रवाई एक स्पष्ट संदेश है कि शासन की संपत्तियों, विशेषकर धार्मिक स्थलों की भूमि पर कोई भी अवैध रूप से कब्जा नहीं कर सकता।