मध्य प्रदेश का खरगोन जिला इन दिनों पूरे देश में सुर्खियों में है. यहां के किसानों ने कपास की खेती को इस मुकाम तक पहुंचा दिया है कि अब इसे ‘सफेद सोने की धरती’ कहा जाने लगा है. खरगोन की मिट्टी और मौसम कपास के लिए इतने अनुकूल हैं कि यहां के करीब 95% किसान खरीफ सीजन में सिर्फ कपास ही उगाते हैं.
किसानों की किस्मत चमकी
किसानों की मेहनत और वैज्ञानिक तरीकों की मदद से अब हर एकड़ से 25 से 30 क्विंटल तक कपास की उपज मिल रही है. इससे उन्हें एक सीजन में 50 हजार से 1 लाख रुपये तक की कमाई हो जाती है. कई किसान ऐसे भी हैं जिन्होंने कपास की खेती से पक्के घर, बाइक, ट्रैक्टर और यहां तक कि कार तक खरीद ली है. एक समय था जब किसान घाटे की खेती से परेशान थे, लेकिन अब सिर्फ कपास की फसल ने उनकी किस्मत बदल दी है.
देश ही नहीं, विदेश में भी डिमांड
खरगोन में उगने वाला कपास न केवल देश में बल्कि विदेशों में भी बड़ी मात्रा में भेजा जाता है. यहां से निकला कपास धागा बनकर टेक्सटाइल इंडस्ट्री और गारमेंट फैक्ट्रियों में इस्तेमाल होता है. विदेशों में इसकी क्वालिटी और सफेदी की वजह से काफी मांग है. इससे न सिर्फ किसानों की आमदनी बढ़ी है, बल्कि जिले की पहचान भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनी है.
सरकार और वैज्ञानिकों का सहयोग
इस सफलता के पीछे सिर्फ किसानों की मेहनत नहीं, बल्कि सरकार और कृषि वैज्ञानिकों का बड़ा योगदान भी है. किसानों को बेहतर बीज, जैविक खाद, सिंचाई तकनीक और प्रशिक्षण दिया गया है. वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. राजीव सिंह बताते हैं कि कपास के साथ दूसरी फसलें जैसे उड़द, मूंग आदि मिलाकर मिश्रित खेती की जाए तो कमाई और भी बढ़ सकती है.