Ujjain News : विश्व प्रसिद्ध उज्जैन के बाबा महाकाल मंदिर में इस साल पांच दिवसीय दीपावली पर्व की शुरूआत शनि प्रदोश के संयोग के साथ हो रही है। दीपावली 18 अक्टूबर से शूरू होगी।
मिली जानकारी के अनुसार बताया जा रहा है कि श्री महाकालेश्वर मंदिर में शनिवार को सुबह 9 बजे पुजारी और पुरोहित राष्ट्र की सुख और समृद्धि की कामना करते हुए भगवान महाकाल का विशेष पूजन और अभिषेक करेंगे।
साथ ही इसी दिन शाम को 4 बजे शनि प्रदोष होने के कारण ब्राह्मणों के द्वारा गर्भगृह में रूद्र पाठ किया जाएगा। जिसके बाद भगवान का पूजन और अभिषेक होगा और पूजन के पश्चात महाकाल को संध्या आरती के समय नैवेद्य का भोग अर्पित किया जाएगा।
बाबा महाकाल मंदिर में 20 अक्टूबर को अभ्यंग स्नान, दीपावली और अन्नकूट का पर्व मनाया जाएगा। इसके बाद 22 अक्टूबर को गोर्वधन पूजा होगी। दीपावली के त्योहार पर पूरे मंदिर परिसर में रंग रोगन किया गया है और मुख्य शिखर पर विद्युत साज-सज्जा की गई है।
दीपावली कब 20 या 21 अक्टूबर……….
उज्जैन के जाने-माने विद्वानों का मानना है कि प्रदोष काल की अमावस्या 20 अक्टूबर की रात तक ही रहेगी, इसलिए दिवाली 20 अक्टूबर को ही मनाना शाश्त्रसम्मत है।
इस बार अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर को दोपहर 3:45 बजे से शुरू होकर 21 अक्टूबर को दोपहर 3:35 बजे तक रहेगी। सूर्यास्त के बाद कम से कम 24 मिनट तक बनी रहेगी, तभी प्रदोष काल में दीपावली महापर्व मान्य होता है।
उज्जैन के प्रमुख ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस बार 21 अक्टूबर को प्रदोष नहीं होगा, बल्कि 20 अक्टूबर को ही प्रदोष काल रहेगा। इसलिए दिवाली का पर्व 20 अक्टूबर को मनाना ही उचित बताया जा रहा है।
ज्योतिषाचार्य पंडित अमर डिब्बेवाला के अनुसार बताया जा रहा है कि हर साल कार्तिक महीने की अमावस्या पर ही दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। महालक्ष्मी का प्राकट्य प्रदोष काल का माना गया है। इसलिए दिपावली का पर्व प्रदोष काल की अमावस्या पर ही मनाना उचित है।
उन्होने बताया कि भारतीय ज्योतिष शास्त्र में पंचान की दो अवधारणाएं है। ग्रह लघु और ग्रह चैत्र। चैत्र पद्धति दर्शय गणित से संबंधित है और ग्रह लाघव सूक्ष्म गणित पर आधारित है। इसी कारण विद्वानों में मतभेद देखने को मिलता है।
ज्योतिषाचार्य पंडित अमर डिब्बेवाला ने कहा कि पंचांगो के अनुसार तिथि और दिन का गणित तय होता है। इस बार प्रदोष काल 20 अक्टूबर को ही रहेग, इसलिए इसी दिन दिवाली पर्व मनाना श्रेष्ठ माना गया है।