आज भगवान परशुराम जी का जन्मोत्सव है इस उपलक्ष्य में हम आपको बताने जा रहे भगवान परशुरामजी की जन्मस्थली के बारे में। मध्यप्रदेश के इंदौर से लगभग 40 किलोमीटर दूर जानापाव कुटी को परशुरामजी की जन्मस्थली कहा जाता है। जानापाव कुटी इंदौर की महू तहसील से करीब 15 किलोमीटर दूर है। आपको बतादे कि जानापाव कुटी एक धार्मिक स्थल होने के साथ-साथ एक पर्यटन स्थल भी है।
विंध्यांचल पर्वत की दूसरी सबसे बड़ी श्रृंखला पर मालवा के पठार में स्थित जानापाव कुटी अपने आप में एक ऐतिहासिक धरोहर है। घने जंगलो में स्थित जानापाव में श्रद्धालु भगवान परशुराम के दर्शन कर यहां प्रकृति का आनंद लेने आते है। पौराणिक मान्यता है कि जानापाव भगवान परशुराम के पिता ऋषि जमदग्नि की तपोभूमि है। यहां ऋषि जमदग्नि का आश्रम भी है।
यहां भगवान परशुराम के साथ जमदग्नेश्वर महादेव का मंदिर भी है। इनके दर्शन के लिए भक्त यहां पहाड़ी पर भगवान परशुराम के दर्शन करने बड़ी दूर-दूर से आते है। पहाड़ी पर 7 नदियों का उद्गम स्थल भी है। मान्यता है कि जानापाव कुटी में जन्म के बाद भगवान परशुरामजी शिक्षा ग्रहण करने के लिए कैलाश पर्वत चले गए थे। जहां भगवान शंकर से उन्होने शस्त्र और शास्त्र की शिक्षा ग्रहण की थी। भगवान परशुराम को विष्णुजी का छटा अवतार माना जाता है।
जानापाव महू तहसील के हासलपुर गांव में स्थित है। चारो तरफ घने जंगल और पहाड़ी पर बीच बने पक्के रास्ते का सफर काफी रोमांचक लगता है। कहते है जानापाव पहाड़ी से करीब साढ़े सात नदिया चंबल, गंभीर अजनार और सुमरिया साथ ही बालम, चोरल, कारम और नेकेड़ेश्वरी नदी निकलती है।