घर सिर्फ चार दीवारों से नहीं बनता, उसमें रहने वाले लोगों की खुशियां, सेहत और तरक्की भी अहम होती है। लेकिन कई बार हम अनजाने में कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं, जो हमारे जीवन में समस्याओं का कारण बन जाती हैं। वास्तु शास्त्र में इन गलतियों को “वास्तु दोष” कहा गया है। ये दोष इतने गंभीर हो सकते हैं कि घर में हमेशा तनाव, बीमारियां, आर्थिक तंगी और रिश्तों में दरार बनी रहती है।
अगर आपके घर में भी कोई वास्तु दोष है, तो उसे नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है। आइए जानते हैं ऐसे 5 बड़े वास्तु दोष, जो घर की सुख-शांति छीन सकते हैं।
1. गलत दिशा में मुख्य दरवाजा
घर का मेन गेट ऊर्जा का प्रवेश द्वार होता है। वास्तु के अनुसार अगर यह गलत दिशा में बना हो, जैसे दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम दिशा में, तो इससे नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश कर सकती है। इसका असर पूरे परिवार की मानसिक शांति और तरक्की पर पड़ता है। इसलिए हमेशा उत्तर, उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा की ओर मुख वाला दरवाजा शुभ माना जाता है।
2. रसोईघर की गलत स्थिति
रसोई सिर्फ खाना बनाने की जगह नहीं है, यह घर की ऊर्जा और सेहत से भी जुड़ी होती है। अगर किचन दक्षिण-पश्चिम दिशा में बना है या अग्नि कोण (दक्षिण-पूर्व) में चूल्हा न हो, तो यह आर्थिक तंगी और सेहत की परेशानी ला सकता है। सही दिशा में बनी रसोई से घर में सकारात्मकता बनी रहती है।
3. बेडरूम की दिशा भी रखती है मायने
हम दिनभर की थकान के बाद आराम की उम्मीद बेडरूम से करते हैं। लेकिन अगर यह गलत दिशा में बना हो, जैसे उत्तर-पूर्व दिशा में, तो मानसिक तनाव, नींद की कमी और दांपत्य जीवन में तनाव हो सकता है। दक्षिण-पश्चिम दिशा बेडरूम के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है।
4. टॉयलेट की गलत जगह
शौचालय अगर गलत दिशा में बना हो, जैसे कि ब्रह्मस्थान (घर का मध्य भाग) या उत्तर-पूर्व में, तो यह सेहत पर बुरा असर डालता है और घर में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ाता है। टॉयलेट की सही दिशा उत्तर-पश्चिम मानी गई है।
5. जब घर में हो नकारात्मक ऊर्जा
अगर घर में हमेशा भारीपन महसूस होता है, झगड़े ज्यादा होते हैं, या कोई काम बनने से पहले ही बिगड़ जाता है, तो समझिए कि वहां नकारात्मक ऊर्जा हावी है। गंदगी, टूटे सामान, बंद घड़ियां या बासी फूल ऐसे माहौल को बढ़ाते हैं। ऐसे में घर को साफ-सुथरा रखें, धूप-दीप जलाएं और सकारात्मक चित्र या पौधे लगाएं।
Disclaimer : यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है। स्वतंत्र समय इसकी प्रामाणिकता या वैज्ञानिक पुष्टि का समर्थन नहीं करता है।