Jayarogya hospital के डॉक्टर चोरी-छिपे निजी अस्पतालों में दे रहे सेवाएं

स्वतंत्र समय, ग्वालियर

गजराराजा मेडिकल कॉलेज के जयारोग्य चिकित्सालय ( Jayarogya hospital ) के डाक्टर चोरी-छिपे निजी अस्पतालों में सेवाएं दे रहे हैं। निजी अस्पतालों में प्राइवेट प्रैक्टिस करने के बावजूद डाक्टर इसकी जानकारी छिपा रहे हैं। मेडिकल कालेज में करीब 200 से ज्यादा डाक्टर हैं। सर्जरी, मेडिसिन, नेत्र रोग, हड्डी व स्त्री रोग सहित अमूमन सभी विभागों के डाक्टर निजी अस्पताल में इलाज कर रहे हैं। कुछ ने तो अपने अस्पताल भी खोल लिए हैं।

Jayarogya hospital के डॉक्टरों ने नियम रखे ताक पर

नियमों को ताक पर रखकर जयारोग्य चिकित्सालय ( Jayarogya hospital ) के नामी डाक्टर निजी अस्पतालों में जाकर मरीजों को देखने के साथ मोटी फीस ले रहे हैं। नियम है कि कौन कहां प्रैक्टिस कर रहा है, इसकी जानकारी मेडिकल कालेज प्रशासन को देना चाहिए, लेकिन कोई भी जानकारी नहीं दे रहा है। चोरी-छिपे निजी अस्पताल पहुंचकर मरीजों को डाक्टर धड़ल्ले से देख रहे हैं। नियम का सख्ती से पालन कराने को लेकर बरती जा रही अनदेखी के चलते डाक्टर मनमानी पर उतारू हैं। नियमानुसार यदि कोई भी डाक्टर बाहर मरीज का इलाज करता है या आपरेशन करता है तो उसे इसकी जानकारी साझा करने का आदेश था, लेकिन कोई इसपर ध्यान नहीं देता था।  लंबे समय से यह खेल चल रहा है, लेकिन जिम्मेदार डाक्टरों पर कार्रवाई करने के बजाय चुप्पी साधकर बैठे हैं, जबकि जो डाक्टर जानकारी मुहैया नहीं करा रहे हैं उनपर कार्रवाई की जाना चाहिए थी, लेकिन कार्रवाई तो छोडि़ए उनको हिदायत तक नहीं दी जा सकी।

डाक्टर घर पर कर सकते हैं प्रैक्टिस

नान प्रैक्टिसिंग अलाउंस (एनपीए) नहीं लेने वाले डाक्टर घर से प्रैक्टिस कर सकते हैं, लेकिन डाक्टर क्लीनिक पर बैठकर खुलेआम प्रैक्टिस कर रहे हैं, लेकिन प्रैक्टिस नियमों की अनदेखी को लेकर कोई भी गंभीर नहीं है। शहर में जगह-जगह जयारोग्य चिकित्सालय के डाक्टरों के क्लीनिक चल रहे हैं। अस्पताल रोड पर ही कई सारे क्लीनिक खुले हैं, लेकिन अब तक किसी एक पर भी नियमों की अनदेखी करने को लेकर कार्रवाई नहीं की जा सकी है, जबकि नियमों की जानकारी सबको है।

एनपीए लेने वाले कर रहे प्रैक्टिस

नान प्रैक्टिसिंग अलाउंस (एनपीए) लेकर डाक्टर प्रैक्टिस नहीं कर सकता। बताया जा रहा है कि कुछ डाक्टर एनपीए उठाकर भी प्रैक्टिस कर रहे हैं। वहीं जो डाक्टर निजी अस्पतालों में जाकर मरीजों को देख रहे हैं और मेडिकल कालेज को जानकारी नहीं दे रहे हैं, उनको चिह्नित करने के लिए भी अब तक कोई प्रयास प्रबंधन द्वारा नहीं किए जा सके हैं। वहीं कई डाक्टर दूसरे नाम से निजी अस्पताल का संचालन भी कर रहे हैं।