पांच साल के लंबे इंतज़ार के बाद एक बार फिर भक्तों के लिए कैलाश मानसरोवर की पावन यात्रा के द्वार खुलने जा रहे हैं। 30 जून 2025 से शुरू होकर अगस्त तक चलने वाली यह यात्रा ना सिर्फ आस्था से जुड़ी है, बल्कि रोमांच से भरपूर भी है। इस ऐतिहासिक यात्रा का संचालन विदेश मंत्रालय और उत्तराखंड सरकार के प्रयासों से किया जाएगा।
कोरोना महामारी के बाद अब होगी शुरू
कोरोना महामारी के कारण कैलाश मानसरोवर यात्रा 2020 से रुकी हुई थी। इस यात्रा को इस बार नए जोश और कुछ नए नियमों के साथ फिर से शुरू किया जा रहा है। हालांकि, इस बार भक्तों को बढ़ती महंगाई का असर भी महसूस होगा – जहां पहले यात्रियों को ₹35 हजार खर्च करने होते थे, अब उन्हें कुमाऊं मंडल विकास निगम (KMVN) को ₹56 हजार अदा करने होंगे। यह राशि यात्रा, ठहराव और भोजन आदि के लिए है, जबकि मेडिकल जांच, चीन वीज़ा और सीमा शुल्क जैसे अतिरिक्त खर्च अलग से देंने होंगे।
उत्तराखंड और सिक्किम – दो रास्ते, एक मंज़िल
विदेश मंत्रालय के मुताबिक कैलाश मानसरोवर यात्रा दो मुख्य मार्गों से कराई जाएगी। जिसमें एक मार्ग उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे के ज़रिए 5 बैच भेजे जाएंगे, हर बैच में 50 यात्री होंगे। दूसरा मार्ग सिक्किम के नाथू ला दर्रे से 10 बैच यात्रा पर निकलेंगे, हर बैच में 50 यात्री शामिल होंगे। इस तरह इस यात्रा का लाभ लगभग 750 यात्री ले सकेगे।
पंजीकरण के लिए पोर्टल चालू
कैलाश मानसरोवर यात्रा के पंजीकरण के लिए kmy.gov.in पोर्टल चालू कर दिया गया है। यात्रियों का चयन पूरी तरह से निष्पक्ष प्रक्रिया के तहत होगा।
22 दिनों का है रोमांचक सफर
उत्तराखंड से निकलने वाले यात्रियों की यह यात्रा दिल्ली से शुरू होकर टनकपुर, धारचूला, गुंजी, नाभीढांग होते हुए चीन के तकलाकोट क्षेत्र तक जाएगी। हर दल की यात्रा कुल 22 दिन की होगी।
पहला जत्था 10 जुलाई को चीन में प्रवेश करेगा और अंतिम जत्था 22 अगस्त को भारत लौटेगा। वापसी में दल चौकोड़ी और अल्मोड़ा होते हुए दिल्ली पहुंचेंगे।
आत्मा का होता है शिव से मिलन
कैलाश मानसरोवर यात्रा को अत्यधिक रोमाचंक और आध्यात्मिक माना जाता है। यह सिर्फ एक यात्रा नहीं, बल्कि आत्मा से शिव के मिलन का अवसर है। प्रकृति की गोद में बसी हिमालय की चोटियाँ, कठिन रास्तों का रोमांच और अंत में कैलाश पर्वत के दर्शन यह अनुभव जीवन को एक अदभूत रोमांचक अनुभूति देता है।