इंदौर में सक्सेस होगी Double Decker बस, ड्रायवर ने बताई ट्रायल रन की सच्चाई

विपिन नीमा, इंदौर

इंदौर में डबल डेकर ( Double Decker ) बस का ट्रायल रन में कोई बड़ी परेशानी सामने नहीं आई। ट्रायल रन के दौरान शहर के लोगों ने बस को नजदीक से देखा और बस में सफर भी किया। त्यौहार पर बढ़ती भीड़ के कारण बस को बीच शहर में नहीं लाया गया, लेकिन बाहरी क्षेत्र में बस का ट्रायल बहुत अच्छी तरीके से हुआ। डबल डेकर बस के लिए शहर की सडक़ों पर पर्याप्त जगह है। बस के संचालन में किसी तरह की कोई अडचन नहीं आएगी। यह बात भी सही है कि बीआरटीएस कॉरिडोर में डबल डेकर बस नहीं चल सकती है, क्योंकि बस स्टॉप की हाइट, डबल डेकर बस की हाइट से 5 फीट छोटी है। कॉरिडोर पर केवल सिंगल बस ही दौड़ सकती है।

पहली बार Double Decker बस चलाई : सुनील कुमार


डबल डेकर ( Double Decker ) बस का ट्रायल रन ले रहे बस ड्राइवर सुनील कुमार ने बातचीत के दौरान यह जानकारी दी। डबल डेकर बस 18 अक्टूबर को इंदौर आई थी और 20 अक्टूबर से इसका ट्रायल रन शुरू हुआ था। आष्टा के रहने वाले बस ड्राइवर सुनील कुमार विगत 10 सालों से इंदौर में आई बस चल रहे हैं। उन्होंने बताया की उन्होंने पहली बार डबल डेकर बस चलाने का अवसर मिला है। सुनील कुमार ने बताया की मुम्बई से बस लेकर आए बस ड्रायवर ने पहले उन्हें दो दिनों की टै्रनिंग दी। इस दौरान उन्हें सारे सिस्टम बताए। इसके दो दिन बाद उद्घाटन के बाद उन्होंने डबल डेकर बस का ट्रायल रन शुरू किया।

18 दिनों में 5 हजार किलोमीटर चलाई

बस ड्रायवर ने बताया की 20 अक्टूबर से लेकर 7 नवम्बर यानी विगत 18 दिनों में उन्होंने शहर के कई हिस्सों में बस का ट्रायल रन लिया है। उन्होंने बताया की अभी तक 4 से 5 हजार किलोमीटर बस चल चुकी है और इस दौरान शहर के लगभग 5 हजार यात्रियों ने डबल डेकर बस में सफर का आनंद लिया। इंदौर में डबल डेकर बस का ट्रायल रन अटल इंदौर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड (एआईसीटीएसएल) ने कराया है जो अभी जारी है।

ट्रायल रन के दौरान दूर-दूर तक पहुंची डबल डेकर बस

बस ड्रायवर सुनील कुमार ने यह भी जानकारी दी है बस का अधिकांश ट्रायल रन बीच शहर से दूर हुआ है। हर दिन सिटी बस ऑफिस से अगल अगल क्षेत्रों में जाकर बस लेकर जाते थे। ट्रायल रन के पहले दिन ट्रायल रन के दौरान, एआईसीटीएसएल कार्यालय से शिवाजी वाटिका, कृषि महाविद्यालय, और पिपलियाहाना चौराहे से होते हुए प्रारंभिक बिंदु पर वापसी की गई। इसके बाद बस का दायरा बढ़ाया गया । ड्रायवर के मुताबिक 21 अक्टूबर से विधिवत ट्रायर रन की शुरुआत हुई। पहले दिन दोपहर 12 बजे सिटी बस ऑफिस से स्टार चौराहे तक ट्रायल लिया गया था। इसके बाद सिटी बस ऑफिस से देवगुराडिय़ा ट्रेचिंग ग्राउंड , अगले दिन पितृ – पर्वत, फिर एबी रोड राऊ स्थित मेडीकैप्स यूनिवर्सिटी , इसके अगले दिन राऊ – पीथमपुर रोड स्थित आईआईएम, इसके अलगे दिन अरविंदो हॉस्पिटल सांवेर रोड, फिर सुपर कॉरिडोर, फिर एयरपोर्ट इस तरह रोज अलग अलग क्षेत्रों में ट्रायर रन का यह सिलसिला चलता रहा।

राजवाड़ा पर नहीं आई बस

शहर का सबसे व्यस्त एमजी रोड और जवाहर मार्ग है। त्यौहार के कारण इन दोनों प्रमुख मार्गों अत्यधिक भीड़ होने के कारण डबल डेकर बस का इन मार्गों पर लाना आसान नहीं थी। जब ड्रायवर सुनील कुमार से पूछा गया तो बस को राजवाड़ा और उससे जुड़े क्षेत्र में बस का ट्रायल रन नहीं लिया गया है। शहर के बाहर जाने के लिए कुछ ऐसे मार्ग आए है जहां से बस को ले जाना पड़ा जैसे एयरपोर्ट जाने के लिए बड़ा गणपति चौराहे वाले रुट्स से जाना पड़ा। उन्होंने बताया की ट्रायल रन के दौरान, जिस रूट पर भी अगले दिन ट्रायल रन होता था, एआईसीटीएसएल और नगर निगम के अधिकारियों से जानकारी प्राप्त होती थी उसके बाद बस को उस रुट पर ले जाते है।

अभी तक बस चलाने में कोई परेशानी नहीं हुई

ऐसा माना जा रहा था की शहर में जब बस चलेगी तो उसे कई परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। इस संदंर्भ में जब ड्रायवर से सवाल पूछा गया तो उन्होंने बताया की कोई बड़ी परेशानी नहीं हुई है। ट्रायल रन के दौरान दो तरह की परेशानियां ज्यादा सामने आई जिसमें बस को सडक़ की क्रॉसिंग करने के समय बिजली औैर वाईफाई की केबल तथा सडक़ किनारे पेड़ों की टहनियां आड़े आ रही थीं। इसके अलावा और कोई परेशानी नहीं हुई। उन्होंने कहा की मुझे तो बस चलाने में बहुत आनंद आया और इंदौर में डबल डेकर बस प्रोजेक्ट भी सफल रहेगा। उन्होंने बताया की ट्रायल रन के दौरान जहां भी बस खड़ी करते वहां पर बस को देखने के लिए अच्छी खासी भीड़ जमा हो जाती है।

बीआरटीएस पर नहीं चल सकती है बस

राजीव गांधी चौराहे से निरंजनपुर तक 11.54 किलोमीटर वाले बीआरटीएस कॉरिडोर पर तो केवल आई बसों का ही संचालन हो सकता है। जब ड्रायवर से सवाल किया की डबल डेकर बस को बीआरटीएस कॉरिडोर में चलाया जा सकता है तो उन्होंने कहा की कॉरिडोर में यह बस नहीं चल सकती है, क्योंकि कॉरिडोर के बस स्टॉप की हाइट डबल डेकर बस की हाइट से लगभग 5 फीट छोटी है। यानी डबल डेकर बस की हाइट कॉरिडोर के बस स्टॉप से काफी ऊंची है। इसके अलावा बस स्टॉप वाली सडक़ भी सकरी है जहां से डबल डेकर बस का निकलना मुश्किल है। वहां से केवल आई बस ही निकल पाती है। इसलिए बीआरटीएस कॉरिडोर में डबल डेकर बस के लिए कोई जगह नहीं है।

ऐसा है डबल डेकर बस का डिजाइन…

  • शहर में इलेक्ट्रिक डबल डेकर बस का ट्रायल रन जारी है।
  • फिजीबिलिटी टेस्ट हेतु ट्रायल रन रोज 50 किलोमीटर का होता है
  • बस की कम्पनी का नाम मुंबई की स्विच है।
  • बस की कीमत लगभग 2 करोड़ रु है
  • बस की लंबाई 9.7 मीटर,
  • बस की चौड़ाई 2.6 मीटर
  • बस की ऊंचाई 4.7 मीटर
  • बस की क्षमता 63 यात्री सीटों की है। (नीचे 29 सीटें एवं ऊपर 36 सीटें हैं)
  • एक बार में फुल चार्ज होने पर यह बस लगभग 160 किमी. चलती है।

कोई खास दिक्कत नहीं आई…

  • ट्रायल रन के दौरान कोई खास परेशानी नहीं आई।
  •  दो मेजर परेशानियां सामने दिखी।
  • सडक़ क्रॉस करते हुए बिजली और केबल तथा सडक़ किनारे पेड़ों की झुकी डालियां आड़े आ रही थीं।

अभी तक का ऐसा रहा सफर…

  • रोज हो रहा है 50 किलोमीटर का सफर।
  • 18 दिनों में लगभग 5 हजार यात्रियों ने सफर का आनंद लिया।
  • अभी तक 4 से 5 हजार किलोमीटर बस चल चुकी है।
  • अधिकांश ट्रायल रन शहर के बाहर हुआ।
  • एमजी रोड और जवाहर मार्ग के कई प्रमुख मार्गों पर नहीं पहुंची बस।