Dr. Nilesh के खिलाफ 250 से अधिक शिकायतों के बाद भी नहीं हो रही कार्रवाई

स्वतंत्र समय, भोपाल

मप्र ओबीसी महासभा (युवा मोर्चा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राधे जाट ने एक बार फिर पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग में प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत पशु चिकित्सक डॉ. नीलेश ( Dr. Nilesh ) देसाई के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग उठाई है। यह मांग न केवल उनके भ्रष्टाचार और कदाचार के चलते है, बल्कि उनके खिलाफ 250 से अधिक शिकायतें आने के बावजूद राज्य सरकार द्वारा अभी तक कोई ठोस कदम न उठाए जाने के कारण भी है।

Dr. Nilesh प्रतिनियुक्ति खत्म, फिर भी प्रशासनिक पद पर कब्जा

डॉ. नीलेश ( Dr. Nilesh ) देसाई, जो कि वेटनरी सर्जन (पशु चिकित्सक) हैं, को 30 जुलाई 2024 को उनकी प्रतिनियुक्ति समाप्त हो जाने के बावजूद पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग में अवैध रूप से तैनात रखा गया है। ओबीसी महासभा का आरोप है कि डॉ. देसाई अपनी पदस्थापना का दुरुपयोग कर रहे हैं और भ्रष्ट तरीके से धन अर्जित कर रहे हैं। पशुपालन विभाग में चिकित्सकों की कमी होने के बावजूद डॉ. देसाई, जो कि पशु चिकित्सा विशेषज्ञ हैं, प्रशासनिक पदों पर कब्जा जमाए बैठे हैं।

पिछड़ा वर्ग के हितों पर भारी पड़ता प्रशासनिक भ्रष्टाचार

ओबीसी महासभा द्वारा यह भी आरोप लगाया गया है कि डॉ. देसाई की प्रतिनियुक्ति से न केवल प्रशासनिक कदाचार हो रहा है, बल्कि पिछड़ा वर्ग के छात्रों और उनके परिवारों को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। यह आरोप लगाया गया है कि डॉ. देसाई की पिछड़ा वर्ग विरोधी विचारधारा और उनकी पदस्थापना के कारण छात्रवृत्ति और अन्य लाभ योजनाओं का लाभ पिछड़े वर्ग के छात्रों को नहीं मिल पा रहा है। इससे छात्र और उनके परिजन मुख्यमंत्री निवास और कार्यालय के चक्कर काटने पर मजबूर हो रहे हैं।

पूर्व में दर्ज की गई शिकायतें

ओबीसी महासभा ने बताया है कि 250 से अधिक शिकायतें डॉ. देसाई के खिलाफ दर्ज की गई हैं। इसके बावजूद राज्य सरकार या पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। यह दर्शाता है कि राज्य सरकार ऐसे भ्रष्टाचारियों के खिलाफ उदासीन रवैया अपना रही है। यह स्थिति पिछड़ा वर्ग के हितों पर प्रत्यक्ष रूप से हमला है और ऐसे अधिकारियों को बचाने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की मांग की जा रही है।

पशु चिकित्सक या प्रशासनिक अधिकारी?

एक वेटनरी सर्जन के तौर पर, डॉ. नीलेश देसाई को पशुओं के इलाज का अनुभव है, न कि प्रशासनिक कार्यों का। फिर भी उन्हें पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग में एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक पद पर प्रतिनियुक्त किया गया है, जो कि न केवल प्रशासनिक गलतियां हैं, बल्कि पिछड़ा वर्ग के हितों के लिए भी हानिकारक है। इसके बावजूद, डॉ. देसाई पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग में उप संचालक के पद पर बने हुए हैं, जो कि नियमों के खिलाफ है।