E-Cabinet In MP: मध्य प्रदेश में अब ई-कैबिनेट बैठक की शुरुआत होने जा रही है, जो पूरी तरह पेपरलेस होगी। उत्तराखंड के बाद ऐसा करने वाला मध्य प्रदेश दूसरा राज्य होगा। मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार ने नए वर्ष में नवाचार के तहत यह निर्णय लिया है। ई-कैबिनेट के लिए राष्ट्रीय सूचना केंद्र (NIC) ने एक विशेष पोर्टल तैयार किया है। यह पोर्टल न केवल कैबिनेट बैठकों को डिजिटल बनाएगा, बल्कि निर्णय प्रक्रिया को तेज और पारदर्शी भी करेगा। इससे बैठक के दौरान दस्तावेज़ों की छपाई की आवश्यकता नहीं होगी और पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिलेगी। इस पहल से सरकार के कार्यों में तकनीकी उन्नति के साथ-साथ समय और संसाधनों की बचत होगी।
मध्य प्रदेश सरकार ने ई-कैबिनेट बैठक प्रणाली को लागू करने के लिए अधिकारियों को इसकी उपयोग विधि समझाने हेतु दिसंबर माह में विशेष प्रशिक्षण दिया था। यह प्रशिक्षण राष्ट्रीय सूचना केंद्र (NIC) की देखरेख में आयोजित किया गया, जिसमें अधिकारियों को ई-कैबिनेट पोर्टल के संचालन और उपयोग की प्रक्रिया सिखाई गई।
इस पहल के तहत, मध्य प्रदेश के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में ई-फाइलिंग व्यवस्था भी लागू की गई है। इसका उद्देश्य सभी प्रक्रियाओं को डिजिटल और पारदर्शी बनाना है। गौरतलब है कि उत्तराखंड में ई-कैबिनेट प्रणाली की शुरुआत चार साल पहले हुई थी और यह वहां सफलतापूर्वक कार्य कर रही है। मध्य प्रदेश में इस प्रणाली को अपनाने से राज्य की प्रशासनिक कार्यक्षमता में सुधार होगा, समय और संसाधनों की बचत होगी, और पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान दिया जाएगा।
मध्य प्रदेश सरकार ने डिजिटल प्रशासन को बढ़ावा देने के लिए वित्त, सहकारिता सहित अन्य विभागों में ई-फाइलिंग प्रणाली को पहले ही लागू कर दिया है। अब मुख्यमंत्री कार्यालय ने भी इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। इसी को आगे बढ़ाते हुए, सरकार ई-कैबिनेट व्यवस्था को लागू करने जा रही है, जिससे कैबिनेट बैठकें पूरी तरह पेपरलेस हो जाएंगी। यह व्यवस्था न केवल पर्यावरण के अनुकूल होगी, बल्कि कार्यप्रणाली को अधिक तेज़, पारदर्शी और कुशल बनाएगी। इस बदलाव के तहत, सभी कैबिनेट दस्तावेज़ और चर्चा डिजिटल माध्यम से संचालित होंगे, जिससे निर्णय प्रक्रिया और भी सरल और प्रभावी हो जाएगी। यह पहल राज्य सरकार के डिजिटल और नवाचारी दृष्टिकोण का प्रतीक है।
ई-कैबिनेट प्रणाली को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए, सरकार ने 28 विभागों के उप सचिव, अवर सचिव, अनुभाग अधिकारी और कर्मचारियों को विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया है। इसके साथ ही, मंत्रिपरिषद के सदस्यों के निजी स्टाफ, निज सचिव और निज सहायक को भी इस प्रणाली के उपयोग की विधि सिखाई जा रही है। यह प्रशिक्षण उन्हें ई-कैबिनेट पोर्टल के संचालन, डिजिटल दस्तावेज़ प्रबंधन, और बैठक के दौरान डिजिटल माध्यमों का उपयोग करने में सक्षम बनाने के लिए दिया जा रहा है। इस व्यापक प्रशिक्षण अभियान का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी संबंधित अधिकारी और कर्मचारी डिजिटल कार्यप्रणाली को कुशलता से अपना सकें और नई व्यवस्था को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके।
ई-कैबिनेट प्रणाली के तहत, मंत्रियों को कैबिनेट प्रस्ताव और अन्य दस्तावेज़ ऑनलाइन भेजे जाएंगे। सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, इस प्रक्रिया में प्रशासनिक अनुमोदन सहित सभी प्रक्रियाएं डिजिटल रूप में संपन्न होंगी। इस व्यवस्था को सुचारु रूप से लागू करने और मंत्रियों को आसानी से काम करने में मदद के लिए सभी मंत्रियों को टेबलेट प्रदान किए जाएंगे। ये टेबलेट विशेष रूप से ई-कैबिनेट पोर्टल से जुड़ी सभी कार्यवाहियों को संभालने के लिए तैयार किए गए हैं। नई प्रणाली का उद्देश्य प्रशासनिक कार्यों को अधिक कुशल, पारदर्शी और समयबद्ध बनाना है। इससे सरकार की कार्यक्षमता बढ़ेगी और कागज़ के उपयोग में कमी लाकर पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान दिया जाएगा।
ई-कैबिनेट व्यवस्था के प्रारंभिक चरण में, प्रस्ताव और अन्य संबंधित दस्तावेज़ भौतिक रूप से भी उपलब्ध रहेंगे। यह सुनिश्चित करेगा कि नई प्रणाली के साथ समायोजन में कोई रुकावट न हो। लेकिन जैसे-जैसे व्यवस्था सुचारु रूप से कार्य करने लगेगी, दस्तावेज़ पूरी तरह डिजिटल कर दिए जाएंगे, और भौतिक फाइलों की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी। इस प्रणाली का एक प्रमुख लाभ यह होगा कि यदि कोई मंत्री किसी कारणवश भोपाल में उपस्थित नहीं हो पाता, तो वह वर्चुअल माध्यम से बैठक में शामिल हो सकेगा। इससे निर्णय प्रक्रिया में लचीलापन आएगा और मंत्रियों को भौगोलिक बाधाओं के बिना कार्यों में भाग लेने का अवसर मिलेगा। यह व्यवस्था न केवल समय और संसाधनों की बचत करेगी, बल्कि सरकार की कार्यप्रणाली को आधुनिक और डिजिटल बनाने में भी मदद करेगी।