प्रारंभिक पहचान और समय पर स्क्रीनिंग ओवेरियन कैंसर के इलाज में मददगार, जानें गायनेकोलॉजिस्ट की राय

महिलाओं में दो अंडाशय (ovaries) होते हैं जो प्रजनन के लिये अंडे और हारमोन्स बनाने का काम करते हैं। अंडाशय की सामान्य कोशिकाएँ जब अनियंत्रित रूप में बढ़ने लगती हैं तब वे कैंसर का रूप ले लेती हैं। अंडाशय का कैंसर, वंशानुगत उत्परिवर्तन (mutation) इसके लिये जिम्मेवार होते हैं। चूंकि शुरुआत में कोई विशेष लक्षण नजर नहीं आते और ज्यादातर लक्षण रोग के बढ़ने पर ही दिखाई देते हैं ऐसे में इसका इलाज जरुरी हो जाता है इसलिये मरीज़ भी रोग बढ़ने के बाद निदान के लिये आते हैं। मुख्य रूप से यह 45 से 60 वर्ष की आयु के बीच ज्यादा होता है लेकिन ओवेरियन कैंसर कम आयु के लोगों में भी पाए जाते हैं। ओवेरियन कैंसर के बारे में विस्तार से जानकारी दे रही है इंदौर स्थित कोकिलाबेन धीरुभाई अंबानी अस्पताल की डॉ ऋतु हरिप्रिया, कन्सल्टेन्ट, ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी, आइए जानते हैं-

लक्षण

पेट दर्द, पेट में गठान होना, पेट बढ़ना, भूख व वजन में कमी होना, मल-मूत्र त्यागने में परेशानी होना आदि ओवेरियन कैंसर के लक्षण हो सकते हैं।

कैंसर की पुष्टि

ओवेरियन कैंसर के बारे में पता लगाने के लिए डॉक्टर दवारा जाँच करने पर आशंका जताते हैं। इन जांचों में मुख्य रूप से सोनोग्राफी, खून की जाँचें (जिसमें कैंसर का पता लगाने वाले मार्कर टेस्ट), CT Scan, MRI मुख्य हैं।

इलाज

अंडाशय के कैंसर का इलाज कैंसर के प्रकार और अवस्था (stage) पर निर्भर करता है। शल्यक्रिया (surgery) और कीमोथेरेपी इलाज की मुख्य विधाए हैं। कुछ लोगों को रोग होने की संभावना ज्यादा होती है। मासिक धर्म कम उम्र में शुरू होना या मासिक धर्म का अधिक उम्र तक चलना, मोटापा, परिवार के अन्य सदस्यों में कैंसर होना, कुछ वंशानुगत उत्परिवर्तन (mutation) होना, धूम्रपान और निःसंतानता आदि कई कारण कैंसर की संभावना को बढ़ाते हैं। इन सभी श्रेणियों के अंतर्गत आने वाली महिलाओं को अपना चेकअप जरुर करवाना चाहिए जिससे बीमारी का समय पर पता चल सके।

स्क्रीनिंग जांच व रोकथाम

स्तन कैंसर की स्क्रीनिंग (स्व परीक्षण व मैमोग्राफी) और गर्भाशय के मुंह के कैंसर की स्क्रीनिंग (PAP smear) रोकथाम के लिये बहुत उपयोगी सि‌द्ध हुए हैं लेकिन अंडाशय के कैंसर को (सोनोग्राफी और खून की जाँच Marker Test) बहुत उपयोगी नहीं पाए गए हैं। जिन महिलाओं में कैंसर की पारिवारिक पृष्ठभूमि हो या अन्य किसी कारण से कैंसर का जोखिम अधिक हो, उन्हें नियमित स्क्रीनिंग करवानी चाहिये। कैंसर स्क्रीनिंग के लिये ऐसे अस्पताल जाएं जहां फुल टाईम स्पेशल्टी की सुविधा उपलब्ध हो ताकि समय पर पहचान के साथ ही इलाज मिल सके। चूंकि अंडाशय के कैंसर में पुनरावृति ज्यादा है और लक्षण देर से समझ आते हैं इसलिए इसके प्रति जागरुकता अति आवश्यक है।