Earthquake : भारत में भी आ सकते है तुर्की व सीरिया जैसे तेज झटके , IIT कानपूर के वैज्ञानिक ने जताई ये आशंका |

Earthquake :यह आशंका IIT कानपूर में अर्थ साइंस विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. जावेद मालिक ने जताई है |

प्रो.जावेद मलिक ने से बातचीत के दौरान बताया की भविष्य में भारत के कुछ हिस्सों 7.5 से अधिक तीव्रता के Earthquake आ सकते है| तुर्की-सीरिया में आए Earthquake ने पूरी दुनिया को दहला दिया है

अगर भारत की बात करें तो पिछले साल में करीब 1000 Earthquake के झटके आए थे. जिसमें से 240 बार तेजी से धरती हिली. Earthquake के इलाकों को पांच जोन में बांटा गया है. भारत में पांचवें जोन में आने वाले इलाकों को खतरे में माना गया है | प्रो मलिक ने ये आशंका जताई है की भूकंप का खतरा जोन-5 के इलाको पर ज्यादा रहेगा | इसमें कच्छ अंडमान निकोबार और हिमालयन क्षेत्र है | जोन 4 में बहराइच, गाज़ियाबाद, रुड़की, पीलीभीत, नैनीताल, लखीमपुर समेत तराई वाले क्षेत्र है | कानपूर, लखनऊ , प्रयागराज , वाराणसी, सोनभद्र आदि जोन 3 में आते है |

भूकंप क्या है ? भूकंप आने का कारण-


भूकंप तब होता है जब पृथ्वी के दो खंड अचानक एक दूसरे से फिसल जाते हैं । जिस सतह पर वे फिसलते हैं उसे भ्रंश या भ्रंश तल कहते है | हमारी धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी हुई है, इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट। क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल को लिथोस्फेयर कहते हैं। ये 50 किलोमीटर की मोटी परत, वर्गों में बंटी हुई है, जिन्हें टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है। ये टैकटोनिक प्लेट्स अपनी जगह से हिलती रहती हैं लेकिन जब ये बहुत ज्यादा हिल जाती हैं, तो भूकंप आ जाता है। ये प्लेट्स क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर, दोनों ही तरह से अपनी जगह से हिल सकती हैं। इसके बाद वे अपनी जगह तलाशती हैं और ऐसे में एक प्लेट दूसरी के नीचे आ जाती है। भूकंप को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है कि पृथ्वी के भूपटल में उत्पन्न तनाव के आकस्मिक मुक्त होने से धरती की सतह के हिलने की घटना भूकंप कहलाती है। इस तनाव के कारण हल्का सा कंपन उत्पन्न होने पर पृथ्वी में व्यापक स्तर पर उथल-पुथल विस्तृत क्षेत्र में तबाही का कारण बन सकती है।

जस बिंदु पर भूकंप उत्पन्न होता है उसे भूकंपी केंद्रबिंदु और उसके ठीक ऊपर पृथ्वी की सतह पर स्थित बिंदु को अधिकेंद्र अथवा अंत:केंद्र के नाम से जाना जाता है। अधिकेंद्र की स्थिति को उस स्थान के अक्षांशों और देशांतरों के द्वारा व्यक्त किया जाता है |

Earthquake को मापने के लिए रिक्टर के अलावा मरकेली स्केल का भी इस्तेमाल किया जाता है। पर इसमें Earthquake को तीव्रता की बजाए ताकत के आधार पर मापते हैं। इसका प्रचलन कम है क्योंकि इसे रिक्टर के मुकाबले कम वैज्ञानिक माना जाता है। भूकंप के कारण होने वाले नुकसान के लिए कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं, जैसे घरों की खराब बनावट, खराब संरचना, भूमि का प्रकार, जनसंख्या की बसावट आदि।

Earthquake के विभिन्न प्रकार हैं जिन्हें देखा गया है

  • विवर्तनिक Earthquake: यह Earthquake का सबसे सामान्य रूप है। यह आम तौर पर पृथ्वी की क्रस्ट में मौजूद प्लेटों की गति के कारण होता है, जिन्हें टेक्टोनिक प्लेट कहा जाता है|
  • ज्वालामुखीय Earthquake: टेक्टोनिक Earthquake की तुलना में इस प्रकार का Earthquake कम सामान्य है। इस प्रकार के Earthquake ज्वालामुखी के विस्फोट से पहले या बाद में आते हैं। यह आम तौर पर मैग्मा के ज्वालामुखी से निकलने के कारण आता है, जो चट्टानों द्वारा सतह पर धकेला जाता है।
  • संक्षिप्त Earthquake: इस प्रकार का Earthquake भूमिगत खानों में आता है। मुख्य कारण चट्टानों के भीतर उत्पन्न दबाव हो सकता है।
    विस्फोटक भूकंप: इस प्रकार का Earthquake कृत्रिम प्रकृति का होता है, जिसका अर्थ है कि यह मानव निर्मित गतिविधियों द्वारा उत्पन्न होता है। परमाणु विस्फोट जैसे जमीन पर उच्च-घनत्व विस्फोट, विस्फोटक Earthquake का प्राथमिक कारण हैं। 
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