MP government पर आर्थिक संकट गहराया

स्वतंत्र समय, भोपाल

साल के पहले ही वित्तीय महीने में मप्र सरकार ( MP government ) पर आर्थिक संकट गहरा गया है। विभागों को बजट खर्च करने के लिए जो लिमिट नवंबर-दिसंबर में लागू होती थी, वह इस बार अप्रैल माह में ही तय कर दी गई है। खासकर 14 विभागों को अप्रैल से जुलाई तक खर्च करने के लिए करीब 20 हजार करोड़ की मंजूरी दी गई है। 102 योजनाओं में राशि खर्च करने से पहले फाइनेंस की अनुमति जरूरी कर दी गई है, वहीं मंत्रियों के बंगलों की साज-सज्जा, धार्मिक और पर्यटन से जुडेÞ खर्चोंं पर छूट दी गई है।

MP government में 14 विभागों के लिए खर्च की सीमा तय

मप्र सरकार ( MP government ) की वित्तीय स्थिति अप्रैल माह से ही डावांडोल होती नजर आ रही है। यहीं कारण है कि अप्रैल माह में ही 14 विभागों के लिए खर्च की सीमा तय कर दी गई है।सरकार ने 30 विभागों की 60 योजनाओं एवं कार्यक्रमों में होने वाले के भुगतान की मंजूरी पहले सक्षम अधिकारियों से लेनी होगी। इनमें पांच शहरों में स्मार्ट सिटी के कार्यों के अलावा महाकाल परिसर का निर्माण, लाड़ली लक्ष्मी योजना, पुलिस आवास योजना, रोजगार मूलक आर्थिक सहायता, डॉ. टंट्या भील मंदिर का जीर्णोद्धार और राजा संग्राम सिंह पुरस्कार योजना, पीएम श्री स्कूल, जन निजी भागीदारी, नया जेट विमान, चीता प्रबंधन, ई-विधान योजना, रसोई गैस सहायता उज्जवला एवं गैर उज्जवला योजना के काम के लिए भी परमिशन लेना होगा। जबकि छात्रों के लिए पुस्तकें और स्टेशनरी देने, प्रयोग शाला उन्नयन, शासकीय कॉलेजों में वर्चुअल शिक्षण व्यवस्था, महिला स्व सहायता समूहों को अतिरिक्त ब्याज भुगतान, मुख्य मंत्री कृषक मित्र योजना, राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना स्मार्ट मीटर आदि में खर्च के लिए फाइनेंस डिपार्टमेंट की परमिशन के बगैर पेमेंट नहीं होंगे।

मंत्रियों के बंगले और धर्म से जुड़े कार्यों के लिए छूट

डॉ. केशव हेडगेवार संग्रहालय की स्थापना, संग्रहालयों का उन्नयन और विकास कार्य, अटल बिहारी वाजपेयी स्मारक, श्री देवी महालोक सलकनपुर, श्रीरामराजा महालोक ओरछा, श्रीरामचंद्र वनवासी महालोक चित्रकूट, संत रविदास महालोक सागर के काम के लिए सक्षम अधिकारी की परमिशन के बाद भुगतान हो सकेंगे। लोक निर्माण विभाग के अधीन सडक़ और पुलियों की मरम्मत का काम, कैबिनेट मंत्रियों के आवास की साज सज्जा और संधारण तथा अति विशिष्ट व्यक्तियों के आगमन और कार्यक्रम, प्राकृतिक आपदा, न्यायालय डिक्री, भुगतान ब्याज, स्थापना व्यय, वेतन-भत्ते, राज सहायता और सहायक अनुदान पर खर्च की परमिशन जरूरी नहीं होगी। उधर, निर्माण कार्य विभाग, फॉरेस्ट को छोडक़र केंद्र सहायता, केंद्र प्रवृत्ति योजना आदि में 30 करोड़ से अधिक राशि खर्च करने पर फाइनेंस डिपार्टमेंट की अनुमति जरूरी होगी।

सबसे ज्यादा पैसा खर्च करेगा पीएचई

अप्रैल से लेकर जुलाई महीने तक सबसे ज्यादा बजट खर्च की अनुमति सरकार ने पीएचई विभाग को दी है। वह प्रत्येक माह 914 करोड़ खर्च कर सकेगा। लोक निर्माण को 683 करोड़ और जल संसाधन को 619 करोड़ खर्च की परमिशन दी गई है। जबकि बडेÞ डिपार्टमेंट में शामिल हेल्थ को हर माह सिर्फ 106 करोड़ खर्च की अनुमति दी गई है। सबसे कम राशि तकनीकी शिक्षा 81 करोड़ खर्च करेगा।
किस विभाग को कितनी राशि खर्च करने की अनुमति

विभाग                अप्रैल      मई      जून      जुलाई      कुल खर्च

पीएचई                914      914      914      915         3,657
लोक निर्माण        783      783      783      783         3,132
जल संसाधन        619      619      619      620         2,477
ऊर्जा विभाग         439      439      439      439         1,756
नगरीय विकास     372      372      372      373         1,489
नर्मदा घाटी          359      359      359      359         1,436
स्कूल शिक्षा         332       332     332       333         1,329
पंचायत-ग्रामीण   302       302      302      305         1,211
फॉरेस्ट विभाग     210       210      210      210         840
जनजातीय कार्य   185       185      185      185         740
चिकित्सा शिक्षा    155       155      155      157         622
स्वास्थ्य विभाग   106       106      106      107         425
उद्योग विभाग     95         95         95         97         382
तकनीकी शिक्षा    81         81          81         84        327
स्त्रोत फाइनेंस डिपार्टमेंट – राशि करोड़ में 19,823