Jaipuria Institute of Management, Indore ने केंद्रीय बजट 2025 पर एक विचारोत्तेजक सत्र का सफलतापूर्वक आयोजन किया। कार्यक्रम की शुरुआत इंस्टीट्यूट को हाल ही में एसोसिएशन टू एडवांस कॉलेजिएट स्कूल्स ऑफ बिजनेस (AACSB) द्वारा मान्यता प्राप्त होने के जश्न से हुई। इसके बाद संस्थान के निदेशक डॉ. दीपंकर चक्रवर्ती ने स्वागत भाषण दिया। इस सत्र में प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों और उद्योग विशेषज्ञों के एक पैनल ने बजट और ‘विकसित भारत 2047’ के दृष्टिकोण के साथ इसकी संरेखना का गहन विश्लेषण किया। इस चर्चा का संचालन डॉ. घनश्याम पांडे ने किया, जिन्होंने इस सत्र को आयोजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रमुख वक्ताओं का विश्लेषण
प्रमुख वक्ताओं में प्रो. आर.एस. देशपांडे (पूर्व निदेशक, सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन संस्थान, बेंगलुरु एवं पूर्व कुलपति, बी.आर. अंबेडकर स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु), डॉ. पी.एस. बिर्थल (निदेशक, ICAR-NIAP), डॉ. एस.पी. शर्मा (मुख्य अर्थशास्त्री, PHD चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री), और श्री शिशिर सिन्हा (प्रसिद्ध आर्थिक पत्रकार, द हिंदू बिजनेस लाइन) शामिल थे। उन्होंने बजट के बाद की स्थिति का आर्थिक विकास, नीतिगत प्रभाव और विभिन्न क्षेत्रों के विकास के संदर्भ में मूल्यांकन किया।
आर्थिक पहलुओं पर चर्चा
चर्चा में कृषि, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME), निवेश, निर्यात, और मध्यम वर्ग की अर्थव्यवस्था में भूमिका जैसे महत्वपूर्ण आर्थिक पहलुओं पर गहन विचार-विमर्श किया गया। वित्तीय नीतियों, मुद्रास्फीति, पूंजीगत व्यय, और बजटीय प्रावधानों के विभिन्न क्षेत्रों पर प्रभावों पर भी चर्चा हुई। MSME और मध्यम वर्ग को आर्थिक प्रगति के प्रमुख प्रेरक तत्वों के रूप में समर्थन देने पर विशेष जोर दिया गया।
विशेषज्ञों के विचार
प्रो. देशपांडे ने बजट के महत्व को भारत की भू-राजनीतिक स्थिति और घरेलू आर्थिक आवश्यकताओं की दृष्टि से विश्लेषित किया। उन्होंने भारत की वैश्विक छवि को एक तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में रेखांकित किया और आर्थिक सर्वेक्षण में उजागर मुद्दों, जैसे बेरोजगारी, वित्तीय अनुशासन, रुपये का अवमूल्यन और विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि पर चर्चा की। डॉ. बिर्थल ने कृषि क्षेत्र की चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए अनुसंधान में अधिक निवेश, प्रभावी भूमि उपयोग योजना और विविधीकरण की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने पंजाब में जल संकट की गंभीरता को रेखांकित किया और जल संसाधन प्रबंधन में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया।
मध्यम वर्ग और आयकर संरचना
डॉ. शर्मा ने बजट के व्यापक आर्थिक प्रभावों पर चर्चा की और आर्थिक चक्रों के महत्व को रेखांकित किया, जो दीर्घकालिक विकास को बनाए रखने में सहायक होते हैं। उन्होंने मांग-आधारित उत्पादन को रोजगार सृजन और आर्थिक स्थिरता को बढ़ाने में सहायक बताया। श्री शिशिर सिन्हा ने बजट के मध्यम वर्ग पर प्रभाव का विस्तृत विश्लेषण किया। उन्होंने आयकर संरचना में युक्तिकरण को एक प्रमुख उपाय बताया, जिससे डिस्पोजेबल आय में वृद्धि होने की संभावना है। इससे शहरी उपभोग को प्रोत्साहन मिलेगा और हाल के मांग में आई मंदी को दूर करने में सहायता मिलेगी।
संचालन और समापन
पैनल ने MSME की परिभाषाओं में परिवर्तन, सरकारी कर्मचारियों के वेतन और वित्तीय नीतियों के प्रभावों पर भी चर्चा की। विमुद्रीकरण और GST जैसी पूर्व की घटनाओं के MSME पर प्रभाव, सरकारी कर्मचारियों के लिए 8वें वेतन आयोग की संभावित घोषणा, और GDP अनुपात को संतुलित करने के लिए वित्तीय अनुशासन बनाए रखने की आवश्यकता जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विचार किया गया।
सत्र के अंत में एक संवादात्मक प्रश्नोत्तर सत्र हुआ, जिसमें छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और विशेषज्ञों से महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्राप्त की। कार्यक्रम का समापन सम्मानित वक्ताओं को स्मृति चिन्ह भेंट कर किया गया, जिससे भारत के आर्थिक भविष्य और बजट 2025 के बाद की संभावनाओं पर एक समृद्ध चर्चा सफलतापूर्वक संपन्न हुई।