स्वतंत्र समय, इंदौर
प्रवर्तन निदेशालय ( ED ) व्दारा इंदौर में नगर निगम के फर्जी बिल महाघोटाले में 20 स्थानों पर मारे गए छापों की अधिकृत जानकारी ट्वीट करते हुए 20.8 करोड़ के सीजर की जानकारी दी। गत दिनों ईडी ने नगर निगम के फर्जी बिल घोटाले में 20 ठिकानों पर छानबीन की थी। इसमें लिप्त ठेकेदारों, निगम अधिकारियों और कर्मचारियों के यहां की गई। मदीना नगर में रहने वाले ठेकेदारों के घरों और उनके ऑफिस में की गई छानबीन में 1 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि जब्त की गई। इसी कड़ी में इनके सहित अन्य आरोपियों की एफडी, बैंकों में जमा राशि 3.5 करोड़ की राशि फ्रीज की गई। इसके अलावा घोटाले और प्रॉपर्टी संबंधी दस्तावेज, डिजिटल डिवाइस जब्त किए थे।
ED को जांच में क्या-क्या मिला…
- आपत्तिजनक दस्तावेज,
- नगद रुपए
- डिजिटल उपकरण
- बैंक खाते
- 1.25 करोड़ रु
ईडी ने एक्स पर ट्वीट करके दी अधिकृत जानकारी
ईडी ने बताया कि इंदौर सब रीजनल कार्यालय ने मनी लाण्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) 2002 के तहत निगम के फर्जी बिल घोटाले में 5 और 6 अगस्त को इंदौर में 20 ठिकानों पर छापे मारकर तलाशी अभियान चलाया था। तलाशी अभियान के दौरान, विभिन्न आपत्तिजनक दस्तावेज, डिजिटल डिवाइस, 1.25 करोड़ रुपए की बेहिसाबी नकदी जब्त की गई और बैंक खाते, सावधि जमा और म्यूचुअल फंड और इक्विटी के रूप में कुल 20.8 करोड़ रुपए के निवेश को फ्रीज कर दिया गया। आगे की जांच जारी है।
तलाशी अभियान के दौरान विभिन्न आपत्तिजनक दस्तावेज
ईडी के मुताबिक विभिन्न निजी ठेकेदारों द्वारा आईएमसी के समक्ष फर्जी बिल पेश करके उत्पन्न पीओसी को उनके और विभिन्न आईएमसी अधिकारियों के बीच लूटा गया था। तलाशी अभियान के दौरान विभिन्न आपत्तिजनक दस्तावेज, डिजिटल उपकरण, रुपये की बेहिसाब नकदी बरामद हुई। 1.25 करोड़ जब्त कर लिए गए और और इक्विटी के रूप में कुल 20.8 करोड़ रुपये का निवेश फ्रीज कर दिया गया। आगे की जांच जारी है.
ठेकेदारों और अधिकारियों की मिलीभगत सामने आई
ईडी ने आईएमसी फर्जी बिल घोटाले के संबंध में आईपीसी, 1860 की विभिन्न धाराओं के तहत मध्य प्रदेश पुलिस, इंदौर द्वारा दर्ज विभिन्न एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की। ईडी की जांच से पता चला कि विभिन्न ठेकेदारों ने आईएमसी अधिकारियों के साथ मिलकर आपराधिक साजिश रची और जल निकासी निर्माण कार्य के फर्जी बिल पेश करके अपराध की आय (पीओसी) अर्जित की। जिस काम के लिए फर्जी बिल बनाए गए थे, वह काम न तो जमीन पर किया गया और न ही भुगतान से पहले आईएमसी के अकाउंट और ऑडिट विभाग द्वारा सत्यापित किया गया।