प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के खिलाफ कड़ा कदम उठाते हुए कंपनी के एक दर्जन से ज्यादा बैंक खाते फ्रीज कर दिए हैं। यह कार्रवाई विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) के तहत चल रही जांच से जुड़ी है। एजेंसी का आरोप है कि राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं के लिए जारी किया गया सार्वजनिक धन अपने वास्तविक उपयोग से हटाकर दूसरी जगह खर्च किया गया।
कंपनी के 13 बैंक खाते फ्रीज, 54 करोड़ से ज्यादा की रकम जब्त
ED की स्पेशल टास्क फोर्स ने जांच में पाया कि रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के कई खातों में जमा राशि संदिग्ध है। इसी आधार पर एजेंसी ने 13 बैंक खातों को फ्रीज कर दिया, जिनमें कुल 54.82 करोड़ रुपये जमा थे। यह कदम FEMA 1999 की धारा 37A के अनुसार उठाया गया है। एजेंसी का कहना है कि यह मामला अधिनियम की धारा 4 के सीधे उल्लंघन से जुड़ा है। आरोप है कि NHAI द्वारा सड़क और हाईवे निर्माण के लिए जारी फंड का इस्तेमाल उस उद्देश्य के बजाय कहीं और किया गया।
जांच में बड़ा खुलासा: शेल कंपनियों के जरिए फंड बाहर भेजे जाने का शक
ED ने दावा किया कि रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने अपने ‘स्पेशल पर्पस व्हीकल्स’ (SPVs) की मदद से फंड को गलत दिशा में मोड़ा। एजेंसी ने पाया कि यह रकम सीधे उपयोग नहीं की गई, बल्कि दिखावटी सब-कॉन्ट्रैक्टिंग के नाम पर मुंबई में मौजूद कई शेल कंपनियों को भेजी गई। ये कंपनियां सिर्फ कागजों पर चल रही थीं और इनसे किए गए कॉन्ट्रैक्ट फर्जी बताए गए हैं। इस प्रक्रिया के जरिये सार्वजनिक धन पहले इन कंपनियों के खातों में पहुंचा, फिर वहां से इसे अवैध रूप से विदेश भेजा गया। मतलब, भारत की सड़कों पर खर्च होने वाला पैसा कथित तौर पर संदिग्ध चैनलों से देश से बाहर चला गया।
अनिल अंबानी के सामने बढ़ी कानूनी चुनौती
जांच सिर्फ कंपनी संचालन तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह कंपनी के शीर्ष प्रबंधन तक पहुंच चुकी है। ED ने पिछले महीने अनिल अंबानी को बयान दर्ज कराने के लिए समन भी भेजा था, लेकिन वे एजेंसी के सामने पेश नहीं हुए। अभी तक रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की ओर से इस कार्रवाई या आरोपों पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। फिलहाल, यह मामला कंपनी और उसके प्रबंधन के लिए गंभीर परेशानियों का संकेत दे रहा है।