शिक्षा क्षेत्र में एक और बड़ा घोटाला सामने आया है। द्वारका प्रसाद नायक, निवासी भोपाल, पर 47,98,887 रुपये की सरकारी छात्रवृत्ति हड़पने के लिए फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करने का आरोप लगा है। यह मामला मध्य प्रदेश सरकार द्वारा संचालित विदेश अध्ययन छात्रवृत्ति योजना से जुड़ा हुआ है, जिसमें मेधावी छात्रों को विदेशी शिक्षा प्राप्त करने के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है। पुलिस द्वारा की गई गहन जांच में यह खुलासा हुआ कि नायक ने अपनी शैक्षणिक योग्यता से जुड़े कागजात जाली तैयार कर सरकारी अनुदान प्राप्त किया।
कैसे खुला घोटाले का राज?
इस मामले का भंडाफोड़ तब हुआ जब अरेरा हिल्स पुलिस स्टेशन, भोपाल को शिकायत मिली कि एक छात्र ने छात्रवृत्ति योजना का लाभ उठाने के लिए फर्जी एम.ए. समाजशास्त्र की मार्कशीट और डिग्री प्रस्तुत की थी। प्रारंभिक जांच के दौरान ही शिक्षा विभाग को दस्तावेज़ों में गड़बड़ी नजर आई। इसके बाद विश्वविद्यालय और अन्य प्रमाणपत्रों की गहन जांच की गई, जिसमें यह स्पष्ट हो गया कि प्रस्तुत किए गए दस्तावेज मूल रूप से फर्जी थे।
घोटाले की पूरी कहानी
अरेरा हिल्स पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर नंबर 313/2023 के अनुसार, नायक ने जाली एम.ए. समाजशास्त्र की डिग्री दिखाकर विदेश में पढ़ाई करने के लिए आवेदन किया था। सरकार से मिली छात्रवृत्ति की रकम ₹47.98 लाख थी, जिसे उसने फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर अपने खाते में जमा करवाया। मामला जब शिक्षा विभाग और विश्वविद्यालय प्रशासन तक पहुंचा, तो दस्तावेज़ों की जांच में पाया गया कि एम.ए. की डिग्री नकली थी। इसके तुरंत बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर नायक की गिरफ्तारी की।
कब और कैसे हुई गिरफ्तारी?
पुलिस ने नायक को 8 सितंबर 2023 को हिरासत में लिया और पूछताछ शुरू की। इस दौरान यह भी सामने आया कि उसने एम. फिल डिग्री की प्रथम श्रेणी प्राप्त की थी, जिससे उसे पात्रता मिली थी। मगर उसने अपने एम.ए. की फर्जी मार्कशीट का भी उपयोग किया, जिससे अधिकारियों को गुमराह किया जा सके।
कोर्ट में मामला और ज़मानत की जद्दोजहद
भोपाल जिला सत्र न्यायालय में नायक के खिलाफ धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी हेतु जालसाजी), 471 (फर्जी दस्तावेज़ों का उपयोग) और 201 (सबूत मिटाने का प्रयास) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए अदालत ने इसे विशेष सत्र न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया।
18 अक्टूबर 2023 को जब नायक ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय, जबलपुर में ज़मानत के लिए अर्जी लगाई, तो न्यायमूर्ति अनुराधा शुक्ला ने मामले की सुनवाई की।
ज़मानत कैसे मिली?
नायक की ओर से प्रस्तुत किए गए तर्कों में कहा गया कि वह निर्दोष है और उसका चयन छात्रवृत्ति के लिए एम.ए. डिग्री की बजाय एम.फिल डिग्री के आधार पर हुआ था। इसके अलावा, अभियोजन पक्ष यह साबित करने में असमर्थ रहा कि एम.फिल डिग्री फर्जी थी। अदालत ने यह देखते हुए कि मामला लंबा खिंच सकता है और नायक का स्थायी निवास भोपाल में ही है, उसे ₹50,000 के निजी मुचलके पर ज़मानत दे दी।
सरकार और जनता के लिए बड़ी चेतावनी
यह मामला सरकार के छात्रवृत्ति वितरण में गंभीर लापरवाही को उजागर करता है। यह दर्शाता है कि किस तरह जालसाज फर्जी डिग्रियों का उपयोग करके लाखों रुपये की सरकारी सहायता हड़प रहे हैं। सरकार को चाहिए कि वह छात्रवृत्ति योजनाओं के आवेदन पत्रों और दस्तावेज़ों की सख्त जांच करें ताकि इस तरह के धोखाधड़ी के मामलों को रोका जा सके।
इस मामले से क्या सबक लेना चाहिए?
- डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन अनिवार्य हो – सभी छात्रवृत्ति योजनाओं के दस्तावेजों की अत्याधुनिक तकनीक से सत्यापन किया जाए।
- आधार-आधारित ऑथेंटिकेशन लागू हो – छात्रों के शैक्षणिक रिकॉर्ड को आधार से लिंक किया जाए, जिससे फर्जीवाड़े की संभावना न रहे।
- गंभीर सजा का प्रावधान हो – इस तरह के मामलों में कड़ी कानूनी कार्रवाई और सख्त सजा का प्रावधान किया जाए ताकि कोई दोबारा इस तरह की धोखाधड़ी करने की हिम्मत न करे।
- जनता को जागरूक किया जाए – आम नागरिकों को भी सतर्क रहना चाहिए कि इस तरह की धोखाधड़ी को पहचानने और रिपोर्ट करने में सहायता करें।
अगली सुनवाई और संभावित सजा
न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई अप्रैल 2025 को निर्धारित की है। यदि अदालत नायक को दोषी ठहराती है, तो उसे कम से कम 7 साल की जेल और भारी आर्थिक दंड का सामना करना पड़ सकता है।
यह मामला न केवल सरकारी स्कॉलरशिप वितरण प्रणाली की कमियों को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि फर्जीवाड़े के माध्यम से किस तरह सरकारी योजनाओं का दुरुपयोग किया जा रहा है। जनता को चाहिए कि वह इस तरह की घटनाओं के प्रति सतर्क रहे और सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग करे ताकि भविष्य में ऐसी धोखाधड़ी पर रोक लगाई जा सके।